Rani kamlapati History – रानी कमलापति कौन थी?, कैसा रहा रानी कमलापति का इतिहास

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Rani kamlapati History – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम रानी कमलापति के बारे में बात करंगे. रानी कमलापति एक गोंड रानी थी. रानी कमलापति ने गिन्नौरगढ़ के राजा के साथ विवाह किया था. रानी कमलापति गोंड राजवंश की अंतिम रानी थी. रानी कमलापति के बारे में कहा जाता है कि वह बेहद खूबसूरत थी. भोपाल में आज भी रानी कमलापति का महल एवं पार्क शहर का एक प्रमुख स्थल है.

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि रानी कमलापति कौन थी? (Who was Rani kamlapati?), रानी कमलापति के पति कौन थे? (Who was husband of Rani kamlapati?), रानी कमलापति और मोहम्मद खान की कहानी (Story of Rani kamlapati and Mohammad Khan) क्या थी?, रानी कमलापति की मृत्यु कैसे हुई थी? (How did Rani kamlapati die?) तो चलिए शुरू करते है रानी कमलापति का इतिहास (Rani kamlapati History)

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रानी कमलापति की कहानी (Story of Rani kamlapati)

दोस्तों यह कहानी शुरू होती है 1700 ई. के समय से. उस समय भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर दूर गिन्नौर गढ़ नाम की एक जगह हुआ करती थी. इस रियासत के राजा का नाम निजाम शाह था. वर्तमान समय में जो भोपाल है, वह उस समय एक छोटा सा गांव हुआ करता था. यह गांव निजाम शाह के साम्राज्य के अंदर आता था. निजाम शाह एक गोंड राजा थे और उनकी सात पत्नियाँ थी. निजाम शाह की सात पत्नियों में से एक पत्नी का नाम कमलापति था. कहा जाता है कि निजाम शाह को रानी कमलापति सबसे अधिक प्रिय थी. रानी कमलापति बेहद खूबसूरत थी.

निजाम शाह का एक भतीजा था, जिसका नाम आलम शाह था. आलम शाह को अपने चाचा निजाम शाह से काफी इर्ष्या थी. इसके तीन कारण थे – राज्य, सम्पत्ति और कमलापति. कहा जाता है कि आलम शाह अपनी चाची कमलापति की खूबसूरती पर मोहित हो गया था और उन्हें अपना बनाना चाहता था. आलम शाह ने अपनी चाची के सामने अपने प्यार का इजहार भी किया, लेकिन रानी कमलापति ने उसे ठुकरा दिया.

इसके बाद आलम शाह ने रानी कमलापति को पाने के लिए षडयंत्र रचा. उसने एक दिन अपने चाचा निजाम शाह के खाने में जहर मिला दिया. वह खाना खाकर निजाम शाह का निधन हो गया. इसके बाद आलम शाह ने राज्य पर कब्जा कर लिया. दूसरी तरफ निजाम शाह के निधन के बाद रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह के साथ गिन्नौर गढ़ से आकर भोपाल के रानी कमलापति महल में रहने लगी. कहा जाता है कि इस दौरान आलम शाह ने रानी कमलापति पर शादी करने के लिए दबाव भी बनाया था, लेकिन रानी कमलापति ने इंकार कर दिया था.

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रानी कमलापति हर हाल में अपने पति निजाम शाह की हत्या का बदला लेना चाहती थी, लेकिन फौज और पैसे की कमी के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रही थी. ऐसे में रानी कमलापति ने निर्णय लिया कि वह इस मामले में मोहम्मद खान से मदद मांगेगी. मोहम्मद खान का उस समय जगदीशपुर पर शासन था. कहा जाता है कि मोहम्मद खान किसी समय भोपाल के बड़े तलाब पर मछलियों का शिकार करने के लिए आता था. जब रानी कमलापति को यह बात पता चली तो उन्होंने आदेश दिया कि अगली बार मोहम्मद खान मछलियों का शिकार करने के लिए आए तो उसे उनके सामने पेश किया जाए.

कुछ दिनों बार मोहम्मद खान जब वापस मछलियों का शिकार करने के लिए आया तो उन्हें रानी कमलापति के सामने पेश होने के लिए कहा गया. इस दौरान रानी कमलापति, मोहम्मद खान की व्यक्तिव और शान-औ-शौकत से काफी प्रभावित हुई थी. ऐसे में रानी कमलापति ने मोहम्मद खान से अपने पति की हत्या का बदला लेने के लिए कहा. इसके बदले में रानी कमलापति ने मोहम्मद खान को एक लाख रुपए देने का वादा किया. इसके बाद मोहम्मद खान ने बाड़ी के राजा पर हमला कर उसकी हत्या कर दी. इस काम से रानी बहुत खुश हुई, लेकिन उसके पास मोहम्मद खान को देने के लिए कुछ नहीं था. ऐसे में रानी कमलापति ने मोहम्मद को भोपाल का एक हिस्सा दे दिया.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो मोहम्मद खान ने इसके बाद रानी कमलापति की खूबसूरती से प्रभावित होकर उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन रानी कमलापति ने इंकार कर दिया. लेकिन मोहम्मद खान किसी भी तरह से रानी कमलापति को पाना चाहता था. इस बीच मोहम्मद खान और रानी कमलापति बेटे नवल शाह के बीच युद्ध भी हुआ. इस युद्ध में 16 वर्षीय नवल शाह का निधन हो गया. इस युद्ध के दौरान घाटी में इतना खून बहा कि वह पूरी तरह से लाल हो गई. आज उसी जगह को लालघाटी के नाम से जाना जाता है. इसके बाद भोपाल पर मोहम्मद खान का एकाधिकार हो गया, वहीं दूसरी तरफ मोहम्मद खान से बचने के लिए रानी कमलापति ने अपने महल के छोटे तालाब में जलसमाधि ले ली.

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हालांकि यहाँ यह बताना जरूरी है कि कुछ लोग रानी कमलापति और मोहम्मद खान की इस कहानी से अलग एक दूसरी कहानी को मानते है. इस कहानी के अनुसार रानी कमलापति, मोहम्मद खान को अपना भाई मानती थी और मुसीबत के समय में भाई होने के नाते मोहम्मद खान से मदद मांगी थी. मोहम्मद खान ने भी रानी कमलापति को बहन मानते हुए उनकी मदद की थी और उनके भतीजे को युद्ध में मार गिराया था. इससे खुश होकर रानी कमलापति ने तोहफे के रूप में मोहम्मद खान को भोपाल का एक हिस्सा दे दिया था. इसके बाद जब तक रानी कमलापति जीवित रही, मोहम्मद खान की हिफाजत में रही. रानी कमलापति की प्राकृतिक मौत के बाद मोहम्मद खान ने उस इलाके को भी अपने अधीन ले लिया.

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