Vijay Karnik Biography – जानिए स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक की पूरी कहानी

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Vijay Karnik Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारतीय वायुसेना के स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक (Squadron Leader Vijay Karnik) के बारे में बात करेंगे. विजय कार्णिक भारतीय वायुसेना के एक जांबाज अफसर रहे है, जिन्होंने साल 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक ने युद्ध के मैदान में जो साहस और हौसला दिखाया, उसकी आज भी मिसाल दी जाती है. स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक के जीवन पर बॉलीवुड में एक फिल्म भी बन चुकी है, जिसका नाम है भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया (Bhuj: The Pride of India). इस फिल्म में बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने विजय कार्णिक की भूमिका निभाई थी.

यह तो हम जान ही गए हैं कि स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक कौन थे? (who was vijay karnik) दोस्तों स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक की कहानी प्रेरणादायी जरूर है, लेकिन आज भी कई लोग उनकी कहानी और उनके बारे में नहीं जानते हैं. ऐसे में आज हम इस आर्टिकल के जरिए जानेंगे कि विजय कार्णिक ने युद्ध के मैदान में किस तरह साहस दिखाया और साथ ही जानेंगे उनके निजी जीवन के बारे में. तो चलिए शुरू करते है विजय कार्णिक का जीवन परिचय (Vijay Karnik Story in Hindi).

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विजय कार्णिक जीवनी (Vijay Karnik Biography)

विजय कार्णिक का जन्म 6 नवंबर 1939 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था. विजय कार्णिक के पिता का नाम श्रीनिवास कार्णिक है. विजय कार्णिक की माता का नाम ताराबाई कार्णिक है. श्रीनिवास कार्णिक के तीन भाई है, जिनका नाम विनोद, लक्ष्मण एवं अजय है. विजय कार्णिक के दो भाई भारतीय सेना में थे, जबकि एक भाई भारतीय वायुसेना में था. विजय कार्णिक की बहन का नाम वसंती है. विजय कार्णिक की पत्नी (Vijay Karnik Wife) का नाम उषा कार्णिक है. विजय कार्णिक के बेटे का नाम शलाका कार्णिक और बेटी का नाम परेश कार्णिक है.

विजय कार्णिक शिक्षा (Vijay Karnik Education)

विजय कार्णिक ने अपनी शुरूआती शिक्षा नागपुर से ही पूरी की है. इसके बाद उन्होंने नागपुर के विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा हासिल की. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद विजय कार्णिक भारतीय वायुसेना में शामिल हो गए थे.

विजय कार्णिक करियर (Vijay Karnik Career)

12 मई 1962 को भारतीय वायुसेना ने विजय कार्णिक को अपने दल में शामिल किया. विजय कार्णिक ने 1962 में भारत-चीन युद्ध और 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया. खासकर साल 1965 और साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय कार्णिक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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विजय कार्णिक के जीवन का सबसे बड़ा क्षण साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आया. दरअसल उस समय भारत और पाकिस्तान की जंग में पाकिस्तान के हाथ से पूर्वी हिस्सा यानि बांग्लादेश निकाल चुका था. ऐसे में पाकिस्तान ने गुजरात के कच्छ पर कब्ज़ा करने की रणनीति बनाई ताकि भारत सरकार से कच्छ को वापस करने के बदले बांग्लादेश को लेकर मोल-भाव कर सके. ऐसे में 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की तरफ से ऑपरेशन चंगेज खां लॉन्‍च किया गया. इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्‍तान एयरफोर्स ने भुज एयरबेस पर लगातार कई दिनों तक हवाई हमले किए.

उस समय भुज एयरबेस के संचालन की जिम्मेदारी स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक के पास थी. पाकिस्तान के हमले से भुज एयरबेस को काफी नुकसान पहुंचा और भारतीय वायुसेना को वहां से उड़ान भरने में दिक्कत आने लगी. उड़ान का सही संचालन करने के लिए भुज एयरबेस के मरम्मत करना जरूरी था, लेकिन भारतीय वायुसेना के पास भुज एयरबेस पर पर्याप्त सैनिक नहीं थे.

ऐसी स्थिति में भारतीय वायुसेना ने पास के ही गांव माधवपुर के लोगों से मदद ली. भारत माता की आन-बान-शान के लिए माधवपुर की महिलाओं ने लगभग 72 घंटे तक की कड़ी मेहनत की और उन महिलाओं की मदद से भारतीय वायु सेना ने 72 घंटे में ही भुज एयरबेस की मरम्मत करके उसे उड़ान भरने के लिए तैयार कर दिया. माधवपुर की महिलाओं ने अपनी जान की परवाह किए बिना भारतीय वायु सेना की मदद की. उस समय महिलाओं को हरी साड़ी पहनने के लिए कहा गया ताकि हमला होने पर वह झाड़ियों में छिप सके. इस पूरे काम को स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक के नेतृत्व में अंजाम दिया गया था.

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भारत-पाकिस्तान का युद्ध खत्म होने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी खुद भुज एयरवेज पर आई थी और महिलाओं के इस साहस के कारण उन्हें महिलाओं को झांसी की रानी कहके संबोधित किया था. इस काम के बदले प्रत्येक महिला को 50,000 रुपए का इनाम दिया गया. भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान विजय कार्णिक ने भारतीय सेना के कई अधिकारियों और सैनिकों को फ्लाइट में बैठाकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर लैंड करवाया. युद्ध के बाद विजय कार्णिक को वायु सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था.

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