कौन हैं चंपत राय ? जानिए राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के बारे में

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अयोध्या में राम मंदिर (ram mandir ayodhya) का बनना हर हिन्दू के लिए एक सपना पूरा होने जैसा है. जब से सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने अयोध्या में श्री राम की जन्मभूमि (ram janmbhoomi) पर राम मंदिर (ram mandir) का निर्माण किए जाने को हरी झंडी दिखाई है तब से समूचे भारत वर्ष में ख़ुशी की लहर देखने को मिली है.

राम मंदिर के निर्माण को लेकर कई लोगों ने अहम भूमिका निभाई है जिनमें से कुछ के बारे में तो हम जानते हैं, लेकिन अब भी कई नाम ऐसे हैं जिनसे हम अंजान भी हैं.

राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए आंदोलन (ram mandir andolan) से लेकर राम मंदिर के निर्माण के अब तक के सफ़र में एक व्यक्ति का काफी योगदान रहा है. और उनका नाम है चंपत राय बंसल (champat rai bansal) का. यदि आप जानते हैं कि चंपत राय बंसल कौन है? (who is champat rai?) तो यह बेहद अच्छी बात है. लेकिन यदि आप उनके बारे में नहीं जानते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं उनके बारे मे कि ;

चंपत राय बंसल कौन हैं  ? (who is champat rai bansal) चंपत राय बंसल का राम मंदिर निर्माण में क्या योगदान है ? चंपत राय बंसल की लाइफ स्टोरी (champat rai bography in hindi) और चंपत राय बंसल के बारे में खास बातें.

कौन हैं चंपत राय ? who is champat rai ?

दोस्तों ! चंपत राय बंसल की अयोध्या के श्रीराम मंदिर आंदोलन के साथ ही श्रीराम मंदिर निर्माण में भी काफी अहम भूमिका रही है. चंपत राय बंसल विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट (ram mandir trust) के महासचिव हैं.

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चंपत राय का जन्म 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश में हुआ था. वे भारत के जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीना कस्बे के निवासी हैं. चंपत राय के पिता का नाम रामेश्वर प्रसाद बंसल और माता का नाम सावित्री देवी है.

चंपत राय बंसल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ; (champat rai and Rashtriya Swayamsevak Sangh)

आपको चंपत राय के बारे में यह बात बता दें कि वे अपने जीवन की शुरुआत के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के प्रति झुकाव महसूस करते थे. इसके चलते ही उन्होंने काफी कम उम्र में ही संघ (RSS) से जुड़ गए थे. उनके पिता रामेश्वर प्रसाद भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य रहे, जिसका चंपत राय के जीवन पर भी प्रभाव रहा.

चंपत राय अपने शुरूआती दिनों से ही संघ (RSS) के कार्यों से ना केवल प्रभवित हुए बल्कि वे युवा होने के साथ ही संघ (RSS) से जुड़े और संघ (RSS) के पूर्णकालिक सदस्य भी बन गए. वे पढ़ाई-लिखाई में भी अव्वल रहे और धामपुर के आर.एस.एम डिग्री कॉलेज में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर के पद पर विराजमान हुए.

जब देश में 25 जून 1975 को आपातकाल (emergency in India) लगाया गया था तब भी चंपत राय आर.एस.एम कॉलेज धामपुर में एक प्रोफेसर के पद पर थे. इस समय चंपत राय को अरेस्ट करने के लिए पुलिस जब कॉलेज में पहुंची तो वे अपने स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे थे. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए प्रिंसिपल के कक्ष में बुलाया था.

बताया जाता है कि जब चंपत राय प्रिंसिपल रूम में पहुंचे तो उन्होंने पुलिस से यह कहा था कि वे अपने घर जाएँगे और वहां से कपडे लेकर सीधे कोतवाली पहुंचेंगे. जैसा उन्होंने कहा था वैसा ही उन्होंने किया भी. वे कपडे लेकर कोतवाली पहुंचे और यहाँ से उन्हें अरेस्ट कर के सीधे जेल भेज दिया गया.

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चंपत राय ने जेल में लगभग 18 महीने का समय बिताया और इसके बाद जब आपातकाल खत्म हुआ तो इसके साथ ही उन्हें भी आजाद कर दिया गया.

चंपत राय बंसल ने इसके बाद साल 1980-81 के दौरान प्रोफ़ेसर के पद से इस्तीफा दे दिया और संघ (RSS) के प्रचारक के तौर पर अपना आगे का सफर शुरू किया. वे पहले देहरादून, सहारनपुर में प्रचारक के तौर पर काम करते रहे.

जिसके बाद साल 1985 के दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी विभाग के प्रचारक के रूप में काम किया. इसके बाद साल 1986 में चंपत राय को विश्व हिंदू परिषद में प्रांत संगठन मंत्री बनाकर भेजा गया.

साल 1991 की बात है जब चंपत राय को क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाया गया और इसके साथ ही उन्हें अयोध्या (ayodhya) भेजा गया था. वे साल 1996 के दौरान ही विश्व हिन्दू परिषद (Vishva Hindu Parishad) के केंद्रीय मंत्री भी बनाए गए.

चंपत राय का लगातार पद मजबूत होता ही गया है. उन्हें साल 2002 के दौरान संयुक्त महामंत्री और इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया. वे शुरुआत से ही संघ (RSS) के लिए काम कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने राम मंदिर आन्दोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है.

चंपत राय बंसल के बारे में आप यह कह सकते हैं कि उनका योगदान राम मंदिर के आन्दोलन से लेकर राम मंदिर के निर्माण के लिए मिली मंजूरी तक में अतुल्यनीय रहा है. वे अब भी राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं. और इस ट्रस्ट के महासचिव के रूप में काम कर रहे हैं.

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