शिक्षिका के रूप में शुरू किया था करियर, 4 बार बनी उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री

Mayawati Biography - Wiki, Bio, Politics, BSP, Guest House Kand, Net Worth and More

0

BSP President Mayawati Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम देश की दिग्गज नेत्रियों ने से एक और उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बारे में बात करेंगे. मायावती (Mayawati) बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) यानि बसपा की अध्यक्ष है. मायावती को दलित वर्ग के लोगों की आवाज के रूप में देखा जाता है. उत्तरप्रदेश के दलित वर्ग में उनकी अच्छी खासी पकड़ है. मायावती की वैसे तो राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान है, लेकिन उनकी राजनीति उत्तरप्रदेश तक ही सीमित है. उत्तरप्रदेश के बाहर कभी भी मायावती कोई बड़ी सफलता नहीं मिली.

दोस्तों हम सभी यह तो जानते ही हैं कि मायावती कौन है? (Who is Mayawati?) आगे इस आर्टिकल में हम मायावती की पूरी कहानी (Mayawati full story) जानेंगे. हम मायावती के राजनीतिक करियर (Mayawati Political Career), मायावती के परिवार (Mayawati Family) सहित अन्य चीजो पर बात करेंगे. इसके अलावा हम यह भी जानेंगे कि गेस्ट हाउस कांड क्या है? (What is Guest House Kand?), गेस्ट हाउस कांड के आरोपी (Guest House Kand Accused) कौन है? तो चलिए शुरू करते है मायावती का जीवन परिचय.

क्रिकेट से लेकर राजनीति तक, नवजोत सिंह सिद्धू ने की हमेशा बगावत

बसपा अध्यक्ष मायावती की जीवनी (BSP President Mayawati Biography)

उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती का जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली में हुआ था. मायावती के पिता (Mayawati Father) का नाम प्रभु दास है. मायावती की माता का नाम रामरति है. मायावती के पिता गौतम बुद्ध नगर के बादलपुर में एक डाक कर्मचारी थे.

मायावती शिक्षा (Mayawati Education)

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मायावती ने साल 1975 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए की शिक्षा हासिल की. इसके बाद मायावती ने साल 1976 में वीएमएलजी कॉलेज, गाजियाबाद से बीएड की शिक्षा ली. मायावती ने 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी किया है.

मायावती करियर (Mayawati Career)

मायावती शुरुआत में एक आईएएस अधिकारी बनना चाहती थी. उन्होंने बीएड की शिक्षा लेने के बाद ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी. इसके अलावा मायावती ने अपने आस-पड़ोस के छात्रों को पढ़ाना भी शुरू कर दिया. इस तरह उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक टीचर के तौर पर की. इस बीच साल 1977 में एक दिन दलित राजनेता कांशी राम उनके घर पर आए. कांशी राम पहली ही मुलाकात में मायावती के विचारों से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने मायावती को राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.

देश विरोधी नारों को लेकर सुर्खियों में आए थे कन्हैया कुमार, जानिए कितनी है संपत्ति

मायावती का राजनीतिक करियर (Mayawati Political Career)

साल 1984 में कांशी राम ने बहुजन समाज पार्टी की स्थापना (Bahujan Samaj Party Establishment) की. ऐसे मायावती ने शिक्षिका का काम छोड़ दिया और बसपा की एक सदस्य के रूप में पार्टी में शामिल हो गई. मायावती ने साल 1984 में ही बसपा के टिकट पर कैराना लोक सभा सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. मायावती ने पहली बार साल 1989 में लोकसभा चुनाव जीता और सांसद बनी.

मायावती पहली बार मुख्यमंत्री कब बनी थी?

90 के दशक में उत्तरप्रदेश के दलित समुदाय के बीच बसपा की पैठ तेजी से बढ़ी. इसमें मायावती का भी अहम् योगदान था. कांशी राम को भी मायावती की काबिलियत पर खासा भरोसा था. साल 1994 में मायावती को बसपा की ओर से राज्यसभा भेजा गया. साल 1995 में जब उत्तरप्रदेश में गठबंधन की सरकार बनी तो कांशी राम ने मायावती को उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. इस तरह मायावती भारत की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनी. हालांकि मायावती के मुख्यमंत्री बनने से ठीक पहले गेस्ट हाउस कांड हो गया था, जिसने मायावती और मुलायम को दुश्मन बना दिया.

गेस्ट हाउस कांड क्या है? (What is Guest House Kand?)

दरअसल साल 1993 में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मिलकर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन को जीत हासिल हुई. सपा ने 109 सीटों पर जीत हासिल की जबकि बसपा को 67 सीटों पर जीत नसीब हुई. इस तरह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव बसपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. लेकिन 2 जून 1995 को बसपा ने मुलायम सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इस वजह से मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई.

बुरे दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था को मनमोहन सिंह ने दी थी संजीवनी

बसपा के समर्थन वापसी के ऐलान के बाद मुलायम सिंह की सरकार गिरना तय हो चुका था. ऐसे में मुलायम सिंह के समर्थक भड़क गए और वह लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए. मायावती उस समय गेस्ट हाउस के कमरा नंबर-1 में रुकी हुई थी. अजय बोस की किताब ‘बहनजी’ के अनुसार कथित तौर पर सपा के गुंडों ने उस दिन मायावती पर हमला बोल दिया और उनको मारते हुए उनके कपड़े फाड़ने की कोशिश की. हालांकि मायावती जैसे-तैसे बचते हुए एक कमरे में जा छुपी. लेकिन कथित सपा के समर्थक उस कमरे के बाहर इकट्ठा होकर दरवाजा तोड़ने लगे.

उस समय ब्रह्मदत्त द्विवेदी नाम के एक दबंग नेता और विधायक मायावती के बचाव में आगे आए. ब्रह्मदत्त द्विवेदी भाजपा के विधायक और संघ के स्वयं सेवक थे. RSS में होने के कारण ब्रह्मदत्त द्विवेदी को अच्छे से लाठी चलाना आती थी. जब ब्रह्मदत्त ने मायावती को कथित सपा के समर्थकों से घिरे देखा तो वह अकेले लाठी लेकर उनसे भीड़ गए. उन्होंने अकेले ही सभी कथित सपा के समर्थकों को पीछे धकेल दिया. इसे ही गेस्ट हाउस कांड कहा जाता है.

गेस्ट हाउस कांड के बाद ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने सार्वजनिक तौर पर माना था कि ब्रह्मदत्त ने अपनी जान की परवाह किए बिना मेरी जान बचाई. इस कांड के बाद मायावती ने ब्रह्मदत्त को अपना बड़ा भाई बना लिया. ब्रह्मदत्त उस समय फर्रुखाबाद से चुनाव लड़ते थे. मायावती ने कभी भी ब्रह्मदत्त खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारा. मायावती भले ही पूरे राज्य में भाजपा का विरोध करती थी, लेकिन फर्रुखाबाद में वह उसी भाजपा के उम्मीदवार ब्रह्मदत्त के लिए चुनाव प्रचार करने भी पहुँच जाती थी.

गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक है हरीश रावत

गेस्ट हाउस कांड के बाद ही मायावती भाजपा के समर्थन से उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी. मायावती जून 1995 से अक्टूबर 1995 तक मुख्यमंत्री रही. इसके बाद मार्च 1997 से लेकर सितंबर 1997 तक मायावती दूसरी बार मुख्यमंत्री के पद पर रही. 15 दिसंबर 2001 को दलित नेता कांशी राम ने एक रैली के दौरान मायावती को अपनी राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया. मई 2002 को भाजपा के समर्थन से मायावती तीसरी बार उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी. वह अगस्त 2002 तक मुख्यमंत्री रही.

18 सितंबर 2003 को कांशी राम का स्वास्थ्य ख़राब होने के कारण मायावती बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनी. मायावती अब तक तीन बार मुख्यमंत्री बन चुकी थी, लेकिन वह कभी भी एक साल तक भी मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रही. इस बीच साल 2007 में उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए. यह चुनाव मायावती के नेतृत्व में लड़ा गया था. इस चुनाव में बसपा ने अकेले ही 206 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया. इसी के साथ मायावती चौथी बार उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री रही. इस बार मायावती पूरे पांच साल मुख्यमंत्री बनी रही.

इसके बाद साल 2012 में उत्तरप्रदेश में फिर से विधानसभा चुनाव हुआ, जिसमें बसपा को हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को पूर्व बहुमत मिला और अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बसपा को बड़ा नुकसान हुआ और मायावती की पार्टी एक भी लोकसभा चुनाव नहीं जीत सकी. इसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. इस बार जनता ने भाजपा को बहुमत दिया और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने.

सिक्का उछाल पोस्टिंग व #MeToo का आरोप, जानिए पंजाब के नए CM चरणजीत सिंह चन्नी कौन है?

लगातार तीन बार मिली हार को देखते हुए मायावती ने साल 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा. हालांकि मायावती के इस कदम से भी उन्हें कोई बड़ी सफलता नहीं मिली. हाँ यह जरुर हुआ कि साल 2014 में एक भी सीट ना जीतने वाली बसपा इस चुनाव में 10 सीटें जीतने में सफल रही.

मायावती की नेट वर्थ (Mayawati net worth)

बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा 2012 में राज्यसभा में दाखिल किए नामांकन पत्र के अनुसार उस समय उनके पास 111 करोड़ रुपए की सम्पत्ति थी.

Leave A Reply

Your email address will not be published.