बुरे दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था को मनमोहन सिंह ने दी थी संजीवनी

Manmohan Singh Biography : Age, Bio, Education, Wife, Caste, Property, Family, Net worth

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Manmohan Singh Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम देश के पूर्व प्रधानमंत्री और देश के बड़े नेता व अर्थशास्त्री में से एक डॉ मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) के बारे में बात करेंगे. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के बाद डॉ मनमोहन सिंह देश के ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री भी रहे है, जिन्होंने लगातार 10 सालों तक इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभाया है.

प्रधानमंत्री बनने से पहले डॉ मनमोहन सिंह, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रह चुके हैं. इसके अलावा मनमोहन सिंह ने नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी भी निभाई है. भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए क्रांतिकारी बदलाव में मनमोहन सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका है. खासकर बतौर वित्तमंत्री साल 1991 में उनके द्वारा पेश किए गए बजट को आज भी ‘game changer budget’ कहा जाता है.

दोस्तों मनमोहन सिंह कौन है? (who is manmohan singh) यह तो हम सभी जानते ही है. आज इस आर्टिकल में हम मनमोहन सिंह के परिवार (manmohan singh family), मनमोहन सिंह की शिक्षा (manmohan singh education), मनमोहन सिंह के करियर (manmohan singh career), मनमोहन सिंह की जीवनी (Manmohan Singh Biography), मनमोहन सिंह के कार्यकाल (Manmohan Singh Tenure) सहित अन्य चीजों के बारे में बात करेंगे. तो चलिए शुरू करते है मनमोहन सिंह का जीवन परिचय.

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मनमोहन सिंह जीवनी (Manmohan Singh Biography)

दोस्तों भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म (Manmohan Singh Birth Place) 26 सितम्बर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त (वर्तमान पाकिस्तान) के गाह में हुआ था. मनमोहन सिंह का जन्म एक सिख परिवार (Manmohan Singh Religion) में हुआ था. देश के विभाजन के बाद उनका परिवार पकिस्तान से अमृतसर आकर बस गया था.

मनमोहन सिंह का परिवार (Manmohan Singh Family)

मनमोहन सिंह के पिता (Manmohan Singh Father) का नाम गुरुमुख सिंह है. मनमोहन सिंह की माता का नाम अमृत कौर है. मनमोहन सिंह जब छोटे थे तभी उनकी माता का निधन हो गया था. ऐसे में मनमोहन सिंह की दादी ने ही उनका पालन पोषण किया.

मनमोहन सिंह की शिक्षा (manmohan singh education)

मनमोहन बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार थे. वह हमेशा क्लास में अव्वल आते थे. मनमोहन सिंह ने अपनी शुरूआती शिक्षा वर्तमान पाकिस्तान से ही पूरी की है. देश के विभाजन के बाद जब उनका परिवार अमृतसर आ गया तो उन्होंने हिन्दू कॉलेज में दाखिला ले लिया.

मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की शिक्षा हासिल की है. इसके बाद मनमोहन सिंह ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की शिक्षा हासिल की.

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मनमोहन सिंह करियर (Manmohan Singh Career)

पढ़ाई पूरी होने के बाद मनमोहन सिंह वापस भारत लौट आए और पंजाब यूनिवर्सिटी व दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में बतौर प्रोफ़ेसर अपने करियर की शुरुआत की. साल 1971 में मनमोहन सिंह इंडियन सिविल सर्विस (Indian Civil Service) में शामिल हो गए. उन्हें भारत सरकार ने कॉमर्स मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बनाया. इसके बाद मनमोहन सिंह वित्तमंत्रालय में मुख्य सलाहकार के अलावा कई अलग-अलग पदों पर रहे.

मनमोहन सिंह बने आरबीआई गवर्नर (Manmohan Singh Become as RBI Governor)

16 सितंबर 1982 को डॉ. मनमोहन सिंह को भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया गया. मनमोहन सिंह ने 16 सितंबर 1982 से लेकर 14 जनवरी 1985 तक आरबीआई गवर्नर की जिम्मेदारी का निर्वहन किया.

मनमोहन सिंह का राजनीतिक जीवन (Manmohan Singh Political Journey)

साल 1991 में मनमोहन सिंह ने सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखने का फैसला लिया. इसी साल जब पी वी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मनमोहन सिंह की काबिलियत को देखते हुए उन्हें देश का वित्त मंत्री बनाया. यह वह समय था जब देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही थी. ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए मनमोहन सिंह ने कई तरह के ऐतिहासिक फैसले किए. साल 1991 में उन्होंने जो बजट पेश किया उसे ‘game changer budget’ भी कहा जाता है.

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बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण में बड़े बदलाव किए. इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पॉलिसी में भी बदलाव करते हुए इम्पोर्ट लाइसेंस फीस को घटाया गया और एक्सपोर्ट को प्रमोट किया गया. कस्टम ड्यूटी को 220 फीसदी से घटाकर 150 फीसदी कर दिया गया. बैंकों पर से RBI का नियंत्रण कम कर दिया गया. जिससे भारत में निजी बैंक खुलने लगे.

इसके अलावा लाइसेंस राज खत्म कर दिया गया और वस्तुओं की कीमतों का फैसला बाजार पर छोड़ दिया गया. इसके अलावा भारतीय उद्योगों को सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजार से प्रतियोगिता करने के रास्ते खोल दिए. मनमोहन सिंह के इन बदलावों के कारण ही अगले एक दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था ने तेजी पकड़ी.

दोस्तों आज आपके पास पैसा है तो आप आसानी से कार या बाइक खरीद सकते हैं और अगर पैसा नहीं हैं तो बैंक से लोन भी ले सकते हैं. लेकिन उस समय गाड़ी खरीदना इतना आसान नहीं था. उस समय आपको अपने पैसों से गाड़ी खरीदने के लिए भी सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी. आपको सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते थे, लाइसेंस लेना पड़ता था. यही नहीं उस समय सरकार ही तय करती थी कि देश में कितनी गाडियां बनेगी और उसकी कीमत क्या होगी. गाडियां तो छोडो उस समय सीमेंट खरीदने के लिए भी सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी.

मनमोहन सिंह ने भारतीय बाजार पर से सरकारी नियंत्रण कम कर दिया और निजी कंपनियों को काम करने की आजादी दे दी. 18 इंडस्ट्रीज को छोड़कर शेष के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया. बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने ऐसे कई फैसले किए, जिनसे आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिली.

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मनमोहन सिंह बने प्रधानमंत्री (Manmohan Singh Become as Prime Minister)

साल 1998 से साल 2004 तक जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब मनमोहन सिंह राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे. इसके बाद जब साल 2004 में हुए चुनाव में UPA की सरकार बनी तो तत्कालीन कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमंत्री बना दिया. 22 मई 2004 को मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.

मनमोहन सिंह एक अच्छे अर्थशास्त्री तो थे ही, प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ मिल कर देश की अर्थव्यवस्था में कई परिवर्तन किए. यहीं कारण है कि साल 2007 में देश की हाईएस्ट ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) 9% तक बढ़ गई थी. उस समय भारत दुनिया का दूसरा सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाला देश बन गया था.

अर्थव्यवस्था के अलावा मनमोहन सिंह के शासनकाल में शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए. उनकी सरकार के दौरान गाँव व छोटी जाति, जनजाति में हायर शिक्षा के लिए अभियान चलाया गया.

मुंबई में आतंकवादी हमला (26/11 Mumbai Terror Attack)

26 नवंबर 2008 की रात को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ. उस रात को आतंकियों ने मुंबई में जो आतंक का तांडव मचाया उससे मुंबई ही नहीं बल्कि पूरा देश हिल गया था. उस खौफनाक हमले से मनमोहन सिंह सरकार की छवि को भी गहरा धक्का लगा. राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उनकी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी. इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार ने नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) का गठन किया. इसका काम आतंकवाद पर कड़ी नजर रखना है.

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दूसरी बार बने प्रधानमंत्री

मनमोहन सिंह सरकार के पहले पांच साल को देश की जनता ने खूब पसंद किया. उनकी सरकार में ग्रामीण नागरिकों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत हुई. इसकी भी दुनियाभर में सराहना हुई. उनकी सरकार के अच्छे कामों का ही नतीजा था कि देश की जनता ने उन्हें एक बार फिर से प्रधानमंत्री चुना. मनमोहन सिंह ने 22 मई 2009 को दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. उस समय जवाहरलाल नेहरु के बाद मनमोहन सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से प्रधानमंत्री चुना गया. हालांकि बाद में नरेन्द्र मोदी ने भी यह कारनामा किया.

2014 चुनाव में मिली हार

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दूसरा कार्यकाल काफी विवादों में रहा. इस दौरान उनकी सरकार के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे. मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में उनके खिलाफ कई प्रदर्शन हुए. दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप से भी सरकार की छवि को गहरा धक्का लगा. इसके अलावा अन्ना हजारे के आन्दोलन और बाबा रामदेव के आन्दोलन के चलते भी उनकी सरकार को काफी परेशानी हुई. ऐसे अनेक कारण है, जिसके चलते साल 2014 में हुए चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई और देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाया. इस हार के बाद मनमोहन सिंह राजनीति में जरूर रहे और सांसद भी रहे, लेकिन स्वास्थ, उम्र सहित अन्य कारणों से चर्चा में कम ही रहे.

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मनमोहन सिंह का व्यक्तित्व (manmohan singh personality)

दोस्तों मनमोहन सिंह का व्यक्तित्व एकदम शांत स्वभाव का है. वह बहुत कम बोलते है. इस कारण लोग उनका मजाक भी उड़ाते थे, लेकिन मनमोहन सिंह ऐसे व्यक्ति नहीं थे जो सत्ता के लिए गन्दी राजनीति करे. वह किसी को लेकर कोई विवादित बयान भी नहीं देते थे. मनमोहन सिंह ऐसे नेता रहे है जो चुपचाप अपना काम करते थे.

मनमोहन सिंह की पत्नी और बच्चे (Manmohan Singh’s wife and children)

दोस्तों मनमोहन सिंह की पत्नी का नाम गुरशरण कौर है. मनमोहन सिंह और गुरशरण कौर का विवाह साल 1958 में हुआ था. मनमोहन सिंह और गुरशरण कौर की तीन बेटियां है. मनमोहन सिंह की बेटियों के नाम (Manmohan SIngh Daughter’s Name) उपिन्दर, अमृत व दमन है.

मनमोहन सिंह के अवार्ड्स व अचीवमेंट  (Manmohan Singh Awards and achievements)

  1. कैंब्रिज के जॉन कॉलेज ने साल 1982 को मनमोहन सिंह को मानद सदस्यता  दी थी.
  2. भारत सरकार ने साल 1987 को मनमोहन सिंह को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.
  3. लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ने साल 1994 में मनमोहन सिंह को प्रतिष्ठित अध्येता चुना था.
  4. भारतीय संसद ग्रुप ने साल 2002 में मनमोहन सिंह को संसदीय अवार्ड से सम्मानित किया था.

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डॉ मनमोहन सिंह स्कॉलरशिप (Dr Manmohan Singh Scholarship)

सोशल मीडिया पर डॉ मनमोहन सिंह को लेकर अक्सर एक खबर वायरल होती रहती है कि उनकी लिखी किताबो को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाता है. बता दे कि ऐसी कोई जानकारी अधिकारिक तौर पर सामने नहीं आई है. लेकिन यह बात सच है कि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सेंट जॉन्स कॉलेज में ‘डॉ मनमोहन सिंह स्कॉलरशिप’ दी जाती है. यह स्कॉलरशिप उन भारतीय छात्रों के लिए है, जिन्हें डॉक्टरेट करना होता है.

मनमोहन सिंह की किताबें (manmohan singh books)

  1. The Quest for Equity in Development
  2. Global Trading System, the WTO, and the Developing Countries
  3. Prime Minister Manmohan Singh
  4. To the Nation, for the Nation
  5. Changing India

मनमोहन सिंह की संपत्ति (manmohan singh property)

साल 2012 में मनमोहन सिंह द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उनके पास उस समय 10.73 करोड़ रूपए की सम्पत्ति थी. वहीं एक वेबसाइट के अनुसार वर्तमान में मनमोहन सिंह की नेट वर्थ (manmohan singh net worth) लगभग 3 मिलियन डॉलर यानि 20 करोड़ रूपए से अधिक है.

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