Fouaad Mirza Biography – विरासत में मिला है फवाद मिर्जा को घुड़सवारी का हुनर

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Fouaad Mirza Biography in Hindi –

घुड़सवारी (horse riding) के मामले में अब तक हमने कुछ ही गिने-चुने नाम सुने हैं जो अपनी इस कला से भारत देश का नाम रोशन कर रहे हैं. इन नामों में ही अब एक और नाम (Indian equestrian Fouaad Mirza) फवाद मिर्जा का भी शामिल हो गया है. फवाद मिर्जा ओलंपिक (fouaad mirza olympics) खेलों में ना केवल अपना कमाल दिखा चुके हैं बल्कि साथ ही अपनी घुड़सवारी से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में भी कामयाब हुए हैं.

फवाद मिर्जा के द्वारा क्वालीफाई करने के लिए सर्वप्रथम व्यक्तिगत इवेंट सीरीज में साउथ ईस्ट एशिया और ओशिनिया के लिए खेलकर पहला स्थान हासिल किया गया था और इसके बाद साल 2019 के दौरान टोक्यो ओलंपिक (fouaad mirza in tokyo olympics) के लिए कोटा सुनिश्चित किया गया था. हालाँकि उन्हें MER मानदंडों के लिए इंतजार करना पड़ा था.

फवाद मिर्जा, इंद्रजीत लांबा और इम्तियाज अनीस के बाद ऐसे तीसरे भारतीय व्यक्तिगत घुड़सवार हैं जिन्होंने ओलंपिक में भारत का परचम बुलंद किया. फवाद मिर्ज़ा टोक्यो ओलंपिक में फाइनल तक पहुंचे, लेकिन कोई पदक नहीं जीत सके.

चलिए आज हम बात कर रहे हैं हैं फवाद मिर्जा की बायोग्राफी (fouaad mirza biography in hindi) से लेकर फवाद मिर्जा का लाइफ करियर (fouaad mirza career) और फवाद मिर्जा के बारे में खास बातें. तो चलिए जानते हैं उनका सफ़र :

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फवाद मिर्ज़ा का प्रारम्भिक जीवन :

घुड़सवारी में नाम कमाने वाले फवाद का जन्म (fouaad mirza date of birth) 6 मार्च 1992 को कर्णाटक के बैंगलोर में हुआ था. फवाद के पिता का नाम डॉ. हसनिन मिर्जा है और वे एक घुड़सवार होने के साथ ही एक पशु चिकित्सक भी हैं. फवाद को भी घुड़सवारी (horse riding) विरासत में ही मिली है. इसके चलते उन्होंने बचपन से ही घोड़ों को काफी करीब से देखा है और उनके साथ अलग ही रिश्ता भी महसूस किया है.

फवाद मिर्जा और घुड़सवारी (fouaad mirza and horse riding) :

जैसा कि हम बता ही चुके हैं कि फवाद के पिता हसनिन (dr hasnin mirza) भी एक घुड़सवार हैं. उन्होंने ही अपने बेटों फवाद और एली आस्कर को भी घोड़ों के बारे में बताया और उनसे लगाव कराया. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान इस बारे में बात करते हुए बताया था कि वे एक स्टड फार्म पर काम किया करते थे और उनके साथ इस दौरान कुछ साथी भी हुआ करते थे. यह उनका पुश्तैनी काम था.

दोनों बेटे भी इस कारण साथ ही रहे हैं और घोड़ों के आसपास ही बड़े भी हुए हैं. उन्होंने घोड़ों के साथ काफी समय भी बिताया है. वे घोड़ों एक नेचर से भलीभांति परिचित भी हैं और उनसे अपने लगाव को समझते भी हैं. फवाद के दादाजी भी एक घुड़सवार रह चुके थे और वे 61वीं घुड़सवार सेना में सेना अधिकारी रहे.

फवाद को उनके पिता ने ही घुड़सवारी के बारे में बताया और उन्हें इसका प्रशिक्षण भी दिया है. इसलिए यह कहना गलत नहीं है कि फवाद को घुड़सवारी विरासत में मिली है.

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फवाद मिर्जा का खेल करियर (fouaad mirza sports career) :

साल 2018 के दौरान जकार्ता में हुई घुड़सवारी स्पर्धा में फवाद मिर्जा ने भाग लिया था और साथ ही मैडल भी पक्का किया था. सन 1982 के बाद वे एशियाई खेलों में व्यक्तिगत पदक पक्का करने वाले पहले भारतीय बनकर उभरे थे. यहीं से उन्हें नाम मिलना भी शुरू हो गया था. उनके पहले के बारे में बता दें कि साल 1982 के दौरान एशियाई खेलों में रघुबीर सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित स्पर्धा में गोल्ड मैडल जीता था.

फवाद मिर्जा के नाम इसके साथ ही कई और रिकार्ड्स भी हैं. जिनमें से एक 26.40 जम्पिंग स्कोर के साथ सिल्वर मैडल को अपने नाम करने का भी रिकॉर्ड है. वे राकेश कुमार, आशीष मलिक और जितेंद्र सिंह संग इंडियन टीम के पार्ट के तौर पर भी अपना गेम दिखा चुके हैं. इस दौरान उन्होंने 121.30 स्कोर पर देश को रजत दिलाया था.

साल 2019 के दौरान फवाद मिर्जा को अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था. इसी वर्ष में अक्टूबर महीने के दौरान फवाद ने CCI3*S इवेंट में गोल्ड मैडल जीता था.

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