हेलो दोस्तों ! जब भी हम अच्छे बिस्किट्स के बारे में बात करते हैं तो उनमें Parle-G का नाम तो आ ही जाता है. जी हाँ, Parle-G एक ऐसा बिस्किट है जो हर वर्ग के लोगों की पसंद है. Parle-G हम सभी की पहली पसंद तो बना हुआ है लेकिन क्या आप जानते है कि Parle-G की शुरुआत कहाँ से हुई है? और Parle-G का निर्माण कहाँ किया जाता है? या Parle-G को बनाने वाली कम्पनी कहाँ की है? यदि नहीं तो चलिए जानते हैं विस्तार से :
“Parle-G” भारत का सबसे अधिक बिकने वाला बिस्किट :
Parle-G बिस्किट का निर्माण पारले प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाता है जोकि एक भारतीय कंपनी है. भारत का यह बिस्किट पूरे विश्व में ही अपने बिस्किट के चलते नाम कमा रहा है. पारले कंपनी वैसे तो कई प्रोडक्ट मार्केट में लांच करती है लेकिन Parle-G या Parle ग्लूकोज बिस्किट को लोगों का सबसे अधिक प्यार मिला है. Parle-G भारत का सबसे पुराना ब्रांड तो है ही इसके साथ ही यह बिस्किट भारत का सबसे अधिक बिकने वाला बिस्किट भी बना हुआ है.
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कम्पनी का रैपर इसकी पहचान :
Parle-G ला रैपर मोम के कागज से बनाया गया जिस पर वाइट एंड येलो कलर रहता है. कई नकली कम्पनियों के द्वारा इस बिस्किट की नक़ल की गई और इसके जैसे ही बिस्किट सेल करने की कोशिश की गई लेकिन Parle-G को बीट नहीं कर पाईं.
Parle-G कम्पनी का नारा :
Parle-G कंपनी के बारे में यह बात तो हम जानते ही हैं कि यह बिस्किट अपने नाम से ही बिकता है. वहीँ इससे जुड़ा नारा भी अपने आप में बेहद खास है. कम्पनी ने अपने बिस्किट Parle-G के लिए जो नारा दिया वह आज तक लोगों की जुबान पर है. और वह नारा है Parle-G : जी मतलब जीनियस. आज भी हम अगर कहीं Parle-G का नाम सुनते हैं तो अपने आप ही मुंह से जी मतलब जीनियस निकल ही जाता है.
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पारले का नाम और पारले के दूसरे ब्रांड्स :
आपको बता दें कि पारले-जी का नाम उपनगरीय रेल स्टेशन विले पार्ले से लिया गया है. यह नाम पार्ले नामक एक पुराने गांव पर बेस्ड है. इसके पास में ही एक और स्थान है जहाँ पार्ले एग्रो उत्पादन गोडाउन है. इसके साथ ही यह भी बता दें कि पारले कंपनी के द्वारा Parle-G के साथ ही KrackJack, Monaco और Magic का भी निर्माण किया जाता है.
Parle-G की बिक्री :
यह तो हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि पारले-जी बिक्री के मामले में कई अन्य ब्रांड्स से आगे है. ऐसा कहना गलत नहीं है कि Parle-G विश्व का सबसे अधिक बिकने वाला बिस्किट बन चुका है. इंडिया के मार्केट की बात करें तो देश के ग्लूकोज बिस्किट के बाजार पर Parle-G ने करीब 70 प्रतिशत कब्ज़ा किया हुआ है. इसके बाद ब्रिटानिया के टाइगर बिस्किट का नंबर आता है जिसका 17 से 18 प्रतिशत कब्ज़ा है वहीँ इसके बाद सनफीस्ट बिस्किट का मार्किट पर 8 से 9 प्रतिशत कब्ज़ा है. Parle-G के ब्रांड की कीमत के बारे में बात करें तो यह 2 हजार करोड़ रुपए अनुमानित है. वहीँ बीते वित्त वर्ष के दौरान पारले की टोटल बिक्री 3500 करोड़ रुपए रही थी.
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पार्ले का इतिहास :
पार्ले प्रोडक्ट्स नामक इस कंपनी की शुरुआत सन 1929 में हुई थी. इस दौरान भारत देश ब्रिटिश शासन के अधीन था. मुंबई के उपनगर विले पार्ले में शुरू हुए इस बिज़नस की शुरुआत टॉफ़ी (मेलोडी, कच्चा मेंगो आदि) और मिठाई के उत्पादन से हुई थी. जिसके बाद से इसका नाम होना शुरू हुआ और देखते ही देखते कंपनी का नाम बड़े नामों में शामिल हो गया. पारले के बिस्किट को जब लांच किया गया था तब उसका नाम पारले ग्लूको था लेकिन इसे साल 1982 में बदलकर पारले-जी कर दिया गया.
Who is Parle-G Girl :
शुरुआत में Parle-G बिस्किट के कवर पर गाय और ग्लावन बनी होती थी लेकिन इसे बाद में बदल दिया गया. पारले-जी के कवर पर इसके बाद एक क्यूट गर्ल को रिप्लेस किया गया जिसे लोगों ने काफी पसंद किया. Parle-G के कवर का कलर हमेशा से ही वाइट और येलो ही रहा है लेकिन इसके ऊपर आने वाली बच्ची के नाम को लेकर काफी बार बहस हो चुकी है. इस बच्ची के नाम को लेकर कई बार तीन नाम नीरू देशपांडे, सुधा मूर्ति और गुंजन गंडानिया सामने आते रहे हैं. तीनो के नामों को लेकर कई दावे किए जा चुके हैं लेकिन मीडिया में नीरू देशपांडे को ही ये बच्ची बताया जाता है.