History of Tricolor : कैसे बना तिरंगा ? क्या है तिरंगे के रंगों का मतलब ?

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history of Tricolor in hindi – 

हमारे देश भारत का राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ (National Flag of India Tricolor) जहाँ भी लहराता दिखाई दे जाता है तो हाथ खुद ही सलामी के लिए माथे तक पहुँच ही जाते हैं. तिरंगे में तीन रंग होते हैं और इसलिए ही इसे तिरंगा कहा जाता है. तिरंगे को लेकर कई ऐसी बातें हैं जिनके बारे में हम जानते हैं जैसे कि तिरंगे में कितने रंग हैं ? तिरंगे के बीच में क्या है ? तिरंगे में कौनसे रंग होते हैं ? आदि. लेकिन इसके बाद भी तिरंगे के बारे में कई ऐसी बातें हैं जिनसे हम अंजान हैं. तो चलिए जानते हैं तिरंगे के इतिहास (History of Tricolor) के बारे में :

तिरंगे का जन्मदिन (Tricolor History) : 

भारतीय संविधान सभा (Constituent Assembly of India) के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru) ने 22 जुलाई 1947 को तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज (Tricolor as National Flag) के रूप में अपनाने की घोषणा की थी. आप गौर करें तो पाएँगे कि यह घोषणा देश को अंग्रेजों से आज़ादी मिलने से कुछ दिनों पहले ही की गई थी. देश को आज़ादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी और देश के स्वतंत्रता दिवस (Independence day) यानि 15 अगस्त 1947 और गणतंत्र दिवस (Republic day) यानि 26 जनवरी 1950 के बीच तिरंगे को सभी जगहों पर राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया.

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तिरंगे का रंग (Colors of Tricolor) :

यह बात तो हम सभी जानते हैं कि तिरंगे में तीन रंग होते हैं और इस कारण ही इसे तिरंगा कहा जाता है. तिरंगे में मौजूद हर रंग का अपना एक महत्व है. और हर रंग एक अलग मतलब बयां करता है. जब तिरंगे को बनाया गया था तब इसमें तीन रंगों का प्रयोग किया गया था.

हिंदुओं के प्रतिनिधित्व के लिए लाल रंग, मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व के लिए हरे रंग और बाकि सभी धर्मों के प्रतिनिधित्व के लिए सफ़ेद रंग का इस्तेमाल झंडे में किया गया था. इसके साथ ही देश की प्रगति को दिखाने के लिए सफेद पट्टी में चरखे को भी स्थान दिया गया था.

तिरंगे में समय के साथ कुछ बदलाव भी किए गए. जैसे हिंदुओं के प्रतिनिधित्व के लिए लाल रंग की जगह केसरिया रंग का इस्तेमाल किया गया. इसके बाद चरखे को हटाकर सम्राट अशोक के धर्मचक्र को स्थान दिया गया और देश को अपना राष्ट्रीय ध्वज मिला.

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किसने किया तिरंगे का निर्माण ? (Who made the Tricolor?)

2 अगस्त 1876 को जन्मे पिंगली वेंकैया (Pingali Venkaiah) तिरंगे के निर्माता (Pingali Venkaiah is the creator of the Tricolor) है. वह आंध्रप्रदेश के मछलीपट्टनम पास के एक गांव में रहते थे. पिंगली वेंकैया ने साल 1916 में एक ऐसा झंडा बनाने के बारे में सोचा जिसके अंतर्गत सभी देशवासी अपनी लड़ाई लड़ सके. करीब 30 से ज्यादा देशों के झंडों को परखने के बाद पिंगली वेंकैया ने भारत की धर्मनिरपेक्षता को देखते हुए तीन रंगों का झंडा (Flag with three colors) बनाया.

तिरंगे से जुडी कुछ और खास बातें :

जब भी कभी किसी मंच पर तिरंगा लहराया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि तिरंगे को फहराए जाने पर बोलने वाले का मुंह सुनने वालों की तरफ ही हो. और साथ ही तिरंगा सदैव उसके दाहिने हाथ की तरफ हो.

हमारे भारत देश में एक कानून है जिसका नाम “फ्लैग कोड ऑफ इंडिया” इसे हिंदी में “भारतीय ध्वज संहिता” कहते हैं. इस कानून के अंतर्गत राष्ट्रीय ध्वज यानि तिरंगे को फहराए जाने के लिए वक्त भी निश्चित किया गया है. और यदि इस नियम का उल्लंघन किया जाता है तो सजा का भी प्रावधान है.

तिरंगे का कपड़ा हमेशा कॉटन या सिल्क या खादी का ही होना चाहिए. आपको यह जानकर आश्चर्य भी होगा कि देश में प्लास्टिक का तिरंगा बनाने पर पाबंदी है. इसके साथ ही तिरंगे का अनुपात 3:2 होना चाहिए और यह रेक्टंगुलर शेप में होता है. यह तो हम जानते ही हैं कि तिरंगे में मौजूद अशोक चक्र में 24 तिल्लियां होती हैं.

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पहली बार तिरंगे को 7 अगस्त 1906 को कोलकाता (First Time Tricolor waves in Kolkata) के पारसी बागान चौक में फहराया गया था. किसी मोटर के पीछे, बोट पर या किसी हवाईजहाज पर तिरंगा लगाना प्रतिबंध लगाया गया था. इसके साथ ही आप किसी बिल्डिंग को कवर करने के लिए भी इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं.

तिरंगा लगाने से पहले आपको यह बात ध्यान रखना चाहिए कि तिरंगा जमीन को नहीं छूना चाहिए. इसके साथ ही यह इसके साथ ही आप इसके बराबरी में किसी और देश का झंडा नहीं लगा सकते हैं. ना ही इसके उपर किसी झंडे को लगा सकते हैं.

देश की महान शख्सियतों को और शहीदों को तिरंगे में ही लपेटा जाता है. जब ऐसा होता है तो केसरिया पट्टी को सिर की तरफ और हरी पट्टी को पैरों तरफ रखा जाता है. और जब उन्हें जलाया या दफनाया जाता है तो इसके बाद तिरंगे को सम्मान के साथ गोपनीय तरीके से जलाया जाता है या फिर किसी पवित्र नदी ने वजन के साथ बंधकर समधी दे दी जाती है.

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