अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे महंत नरेंद्र गिरि, शिष्य आनंद गिरि से था पुराना विवाद

Mahant Narendra Giri - Biography in Hindi, controversial statement, Anand Giri, Death

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Mahant Narendra Giri Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम प्रयागराज स्थित मठ बाघमबारी गद्दी के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) के बारे में बात करेंगे. बता दे कि नरेंद्र गिरि बाघंबरी मठ के महंत होने के साथ-साथ प्रयागराज के संगम किनारे प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी भी थे.

महंत नरेंद्र गिरि का नाम देश के बड़े और सम्मानित साधू-संतों में लिया जाता रहा है. बड़े-बड़े नेता या अधिकारी अपनी प्रयागराज की यात्रा के दौरान महंत नरेंद्र गिरि से मिलने के लिए पहुँचते थे. नरेंद्र गिरि ने रामजन्म भूमि आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. इन सब के अलावा नरेंद्र गिरि को अपने बयानों के लिए भी जाना जता रहा है. वह अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रहे हैं.

दोस्तों अब तक हम यह तो जान ही चुके हैं कि महंत नरेंद्र गिरि कौन थे? (Who was Mahant Narendra Giri) आगे इस आर्टिकल में हम महंत नरेंद्र गिरि के जीवन से जुड़ी चीजों के बारे में बात करेंगे. हम महंत नरेंद्र गिरि के विवादित बयान (Mahant Narendra Giri controversial statement), प्रयागराज कुंभ मेले में उनकी भूम‍िका, महंत नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के विवाद (Controversy between Mahant Narendra Giri and Anand Giri) सहित अन्य चीजों के बारे में भी बात करेंगे. तो चलिए शुरू करते है महंत नरेंद्र गिरि का जीवन परिचय.

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महंत नरेंद्र गिरि जीवनी (Mahant Narendra Giri Biography)

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत स्वामी नरेंद्र गिरी जी अपने बचपन से ही जुझारू प्रवृत्ति के व्यक्ति थे. महज 11 साल की उम्र में ही नरेंद्र गिरि धर्म और अध्यात्म के रास्ते पर चल पड़े थे. वह लंबे समय तक राम मंदिर आन्दोलन से जुड़े हुए रहे है. वह प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत और संगम किनारे प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी भी थे.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष

महंत नरेंद्र गिरि का निरंजनी अखाड़े से खास जुड़ाव रहा है. वह इस अखाड़े के सचिव रह चुके हैं. इसके अलावा साल 2015 में महंत नरेंद्र गिरि को सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था. इसके बाद साल 2019 में उन्हें दोबारा अध्यक्ष चुना गया था.

प्रयागराज कुंभ मेले में भूम‍िका

महंत नरेंद्र गिरि ने प्रयागराज में हुए कुंभ मेले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कुंभ मेलों के दौरान कौन-सा अखाड़ा कब स्नान करेगा, यह अखाड़ा परिषद ही तय करती है और कुंभ मेले के दौरान महंत नरेंद्र गिरि ही अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे. कुंभ मेले के दौरान उन्होंने व्यवस्थाओं को लेकर शासन और प्रशसान का मार्गदर्शन किया था.

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विवादों से रहा है नाता

महंत नरेंद्र गिरि अक्सर अपने बयानों या अन्य चीजों के कारण मीडिया की सुर्ख़ियों में रहे. वह हमेशा मुखर रहे. महंत नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य नरेंद्र गिरी से हुए विवाद के बाद उन्हें मठ से बाहर कर दिया था. हालांकि बाद में अखाड़ा परिषद की मध्यस्थता के बाद वापस ले लिया था. इसके अलावा विवादित संतो को फर्जी संत घोषित करना हो या संतों की हत्या और उत्पीड़न का मामला हो, उन्होंने हमेशा बेबाक टिप्पणी की है.

इन सब के अलावा साल 2012 में महंत नरेंद्र गिरि का सपा नेता और हंडिया से विधायक रहे महेश नारायण सिंह के साथ भी विवाद हुआ था. साल 2015 में सचिन दत्ता नाम के रियल स्टेट व्यवसायी को महामंडलेश्वर की उपाधि देने पर भी विवाद हुआ था. साथ ही पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध स्थिति में मौत को लेकर भी महंत नरेंद्र गिरि पर सवाल खड़े हुए थे.

डीआईजी से हुआ था विवाद

महंत नरेंद्र गिरि का साल 2004 में तत्कालीन डीआईजी आरएन सिंह से जमीन बेचने के मामले में पैसों को लेकर विवाद हो गया था. इस मामले में डीआईजी ने कई दिनों तक मंदिर के सामने धरना दिया था. उस समय मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए डीआईजी को सस्पेंड कर दिया था, जिसके बाद यह मामला शांत हुआ.

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शिष्य आनंद गिरि से विवाद

महंत नरेंद्र गिरि का अपने शिष्य आनंद गिरि से विवाद रहा है. आनंद गिरि ने उन पर मठ और हनुमान मंदिर से होने वाली करोड़ों रुपये की आमदनी में हेरफेर समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे. आनंद गिरि के व्यवहार से दुखी होकर महंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें आश्रम से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद जब अखाड़ों ने हस्तक्षेप किया तो आनंद गिरि ने महंत नरेंद्र गिरि के पैरों में गिरकर माफ़ी मांगी. इसके बाद जाकर यह मामला शांत हुआ, लेकिन दोनों के बीच पहले जैसा रिश्ता नहीं रहा.

महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु (Mahant Narendra Giri Death)

20 सितंबर 2021 को महंत नरेंद्र गिरि का शव उनके कमरे में मिला. शुरूआती जाँच में पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला बताया. महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट भी छोड़ा था. इस सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने बताया था कि आश्रम में आगे कैसे क्या करना है. इसके अलावा अपने शिष्य आनंद गिरी और कुछ अन्य लोगों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था. इस मामले में पुलिस ने आनंद गिरी को गिरफ्तार भी किया.

महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath), पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) और अन्‍य कई नेताओं सहित आम जनता ने उनके निधन पर शौक व्यक्त किया था.

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