Pooja Rani Biography – इंडियन बॉक्सिंग का नया सितारा पूजा रानी बूरा

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Pooja Rani Biography in Hindi –

बॉक्सिंग की दुनिया में नाम कमाने वाली पूजा रानी बूरा (Pooja Rani Boora) आज किसी भी पहचान की मोहताज नहीं रह गई हैं. पूजा रानी ने देश का नाम अपने खेल से हमेशा ही रोशन किया है. बॉक्सर पूजा रानी बूरा (Boxer Pooja Rani Boora in Olympics) ओलंपिक्स में भी भारत को रिप्रजेंट करती हैं. पूजा रानी बूरा एक इंडियन मिडिलवेट बॉक्सर (Pooja Rani Boxer) हैं और कई अवार्ड भी जीत चुकी हैं.

उनके बारे में अधिक बात करें तो यह बता दें कि साल 2014 के दौरान एशियाई खेलों के दौरान पूजा रानी ने 75 किलोग्राम श्रेणी में कांस्य पदक जीता था और देश का नाम ऊँचा किया था. यही नहीं उनके नाम कई ऐसे अवार्ड्स हैं.

आज हम पूजा रानी बूरा कौन हैं ? से लेकर पूजा रानी बूरा की बायोग्राफी और उनके करियर के बारे में बात करने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं विस्तार से :

Who is Pooja Rani Boora? Pooja Rani Boora Biography, Pooja Rani Boora Career etc.

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कौन हैं पूजा रानी बूरा ? Who is Pooja Rani Boora ?

पूजा रानी बूरा एक इंडियन बॉक्सर हैं और गोल्ड, रजत और कांस्य पदक अपने देश के नाम कर चुकी हैं. वे हरियाणा की रहने वाली हैं और एशियाई गेम्स के साथ ही वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलिंपिक में में भी अपने खेल का प्रदर्शन कर चुकी हैं.

पूजा रानी बूरा की बायोग्राफी (Pooja Rani Boora Biography) :

इंडियन बॉक्सर पूजा रानी (Indian Boxer Pooja Rani) का जन्म 17 फरवरी 1991 को हरियाणा में हुआ था. पूजा हरियाणा के भिवानी राज्य के निमरीवाली गाँव की रहने वाली हैं और एक जाट परिवार से बिलोंग करती हैं.

चूँकि वे एक गांव से हैं इसलिए उन्हें इस बात का पहले से ही पता था कि यदि वे अपने पिता से बॉक्सिंग के बारे में कहेंगी तो वे मना कर देंगे. इसलिए उन्होंने अपने पिता को शुरुआत में इस बारे में पता नहीं चलते दिया था.

पूजा रानी बूरा (Pooja Rani Boora) ने अपने ही शहर में हवा सिंह बॉक्सिंग अकादमी से ट्रेनिंग ली, लेकिन इस अकादमी का हिस्सा बनने की हिम्मत जुटाने में भी उन्हें एक साल लग गया. वे अक्सर ही अपनी चोंट के निशान भी अपने पिता से छुपाती थीं ताकि उन्हें उनके इस खेल के बारे में ज्ञात ना हो जाए.

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यहाँ तक की पेशेवर प्रतिस्पर्धा के लिए पिता से अनुमति लेने के लिए भी उन्हें पिता से काफी मुरादें करनी पड़ी थीं. अक्सर ही पूजा रानी के पिता उनसे यह कहते थे कि, अच्छे बच्चे बॉक्सिंग नहीं खेलते.

पूजा रानी बूरा के पिता को जब उनके इस खेल के बारे में पता चला तो उन्होंने पूजा को क्लासेज में जाने से भी रोक दिया था. तब उनके कोच संजय कुमार श्योराण ने उनके परिवार से इस प्रतिस्पर्धा की अनुमति के लिए भी विनती की. हालाँकि इसके बाद भी पूजा को अपने माता-पिता से अनुमति लेने के लिए 6 महीने का इंतजार करना पड़ा.

साल 2009 के दौरान पूजा रानी को जीत तब मिली जब पूजा ने राज्य चैंपियनशिप-नेशनल यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2009 में हरियाणा की ही एक बॉक्सर प्रीति बेनीवाल (Preeti Beniwal) को हराया. प्रीति इस दौरान हरियाणा की प्रमुख मुक्केबाज रही थीं और प्रीति को हारने के बाद पूजा ने रजत पदक जीता था.

पूजा रानी की इस जीत ने एक तरफ जहां उनका हौंसला बढ़ाया तो वहीं उन्हें मिली सराहना से उनका परिवार भी काफी प्रभावित हुआ और उन्होंने पूजा रानी बूरा का समर्थन करना शुरू कर दिया.

एक बॉक्सर होने के साथ ही पूजा रानी बूरा हरियाणा सरकार (Pooja Rani Boora in Haryana Government) में बतौर आयकर निरीक्षक के रूप में भी कार्यरत हैं.

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साल 2009 में नेशनल यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप को जीतने के बाद ही पूरा रानी नेशनल लेवल बॉक्सिंग की तरफ अपने कदम बढ़ा चुकी थीं.

इसके बाद साल 2012 के दौरान ही पूजा रानी बूरा ने एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भी अपनी जीत दर्ज की और इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया में भी आरिफुरा खेलों में कई रजत पदक अपने नाम किए और देश का नाम रोशन किया.

पूजा रानी ने साल 2016 के रियो ओलंपिक (Pooja Rani in Olympics) के लिए भी क्वालीफाई किया और इसके साथ ही वे टॉप प्रतियोगियों में शामिल हो गईं. हालाँकि वे एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के द्वितीय चरण में हार गई थीं और रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में असफल भी रहीं.

बॉक्सर ने साल 2014 के दौरान 75 किलो श्रेणी में एशियाई गेम्स ने देश को कांस्य पदक दिया था.  इसके अलावा साल 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में भी उन्होंने गोल्ड मैडल जीतकर देश का नाम रोशन किया.

साल 2015 और 2015 के दौरान पूजा रानी बूरा ने 75 किलो की श्रेणी के लिए एशियाई चैंपियनशिप में क्रमशः रजत और कांस्य पदक को अपने नाम किए थे. 

इसके अलावा पूजा साल 2014 के ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. साल 2020 के दौरान पूजा रानी ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए अर्हता लेने वाली पहली भारतीय भी हैं.

पूजा रानी ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में भाग लिया, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सकी.

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