Pravin Jadhav Biography – नाले के किनारे बनी झुग्गी से ओलंपिक तक, प्रेरणादायी है प्रवीण जाधव की कहानी

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Pravin Jadhav Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारतीय आर्चरी खिलाड़ी प्रवीण जाधव के बारे में बात करेंगे. प्रवीण जाधव की मेहनत और जज्बे की कहानी करोड़ों भारतीयों के सामने एक मिसाल है. नाले के किनारे बनी झुग्गियों में रहने वाले प्रवीण जाधव आज विश्व के सर्वश्रेष्ठ तीरंदाज खिलाड़ियों में से एक है. खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी प्रवीण जाधव के संघर्षों की कहानी से प्रभावित है.

दोस्तों प्रवीण जाधव भले ही आज दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तीरंदाज खिलाड़ियों में से एक हो, लेकिन यह भी सच है कि आज भी भारत कम ही लोग ऐसे हैं जो प्रवीण जाधव के बारे में जानते हैं. आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि प्रवीण जाधव कौन है?, प्रवीण जाधव कैसे एक सर्वश्रेष्ठ तीरंदाज खिलाड़ी बने? और प्रवीण जाधव का बचपन किन हालातों में बीता. तो चलिए दोस्तों शुरू करते है प्रवीण जाधव का जीवन परिचय.

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प्रवीण जाधव की जीवनी (Pravin Jadhav Biography)

दोस्तों प्रवीण जाधव का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के सारदे गांव में 6 जुलाई 1996 को हुआ था. प्रवीण जाधव का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था. प्रवीण जाधव के माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे. प्रवीण जाधव का बचपन नाले के किनारे बनी झुग्गियों में बिता है. प्रवीण जाधव के माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी भी अच्छी नहीं थी कि वह अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दे सके.

गाँव में किया तीरंदाजी का अभ्यास

दोस्तों प्रवीण जाधव उन लोगों में से नहीं थे जो अपनी गरीबी का रोना रोते हैं. उन्होंने अपने गाँव में ही लकड़ी से तीर-कमान बनाकर अभ्यास करना शुरू कर दिया. इस बीच जब उनके स्कूल में विकास भुजबल नाम के प्राइमरी स्कूल टीचर आए तो उन्होंने स्कूल में स्पोर्ट्स एक्टिविटी करवाना शुरू किया. उन्होंने ही सबसे पहले प्रवीण जाधव के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना और उन्होंने प्रवीण जाधव को महाराष्ट्र राज्य सरकार की स्कीम क्रीडा प्रबोधनी स्कीम के तहत मदद भी दिलाई.

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प्रवीण जाधव का करियर (Praveen Jadhav Career)

जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि प्रवीण जाधव की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. यही कारण है कि वह काफी कमजोर थे. 10 साल की उम्र तक भी प्रवीण जाधव का वजन सिर्फ 22 किलो था. जिसके बाद उनके टीचर ने प्रवीण जाधव के खान-पान पर भी ध्यान दिया. इससे प्रवीण जाधव के खेल में सुधार आया और उन्होंने तालुका और जिला स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया.

अच्छे प्रदर्शन के कारण प्रवीण जाधव को पुणे में बेलवाणी में ट्रेनिंग करने का मौका भी मिला. साल 2016 में 19 साल की उम्र में प्रवीण जाधव ने पहली बार एशिया कप स्टेज 1 में भारत का प्रतिनिधित्व किया और रिकर्व पुरुष टीम इवेंट में कांस्य पदक जीता. इसके बाद साल 2017 में प्रवीण जाधव आर्मी में शामिल हो गए. इससे उन्हें ओलंपिक गोल्ड कोस्ट से मदद मिलने लगी.

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वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक (Silver Medal in World Championship)

प्रवीण जाधव ने साल 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इस चैंपियनशिप में प्रवीण जाधव ने शानदार खेल दिखाया और सिल्वर पदक अपने नाम किया. इस जीत के साथ ही प्रवीण जाधव ने टोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया था. हालांकि टोक्यो ओलंपिक में प्रवीण जाधव कोई मेडल नहीं जीत सके. लेकिन दिहाड़ी मजदूर के बेटे प्रवीण जाधव के ओलंपिक तक पहुँचने की कहानी वाकई प्रेरणादाई है.

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