कौन थे महेंद्र प्रताप सिंह ? जिनके नाम पर बन रही Raja Mahendra Pratap Singh University

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Raja Mahendra Pratap Singh University in hindi –

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अलीगढ़ शहर में एक नई यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया गया. इस यूनिवर्सिटी का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह (Raja Mahendra Pratap Singh) के नाम पर रखा जाना है. मालूम हो कि योगी सरकार (Yogi Government) ने साल 2019 के सितम्बर माह के दौरान यह घोषणा की थी कि वे राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर एक यूनिवर्सिटी खोलेंगे.

राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी का शिलान्यास (Foundation stone of Raja Mahendra Pratap Singh University laid) 14 सितम्बर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया. पीएम मोदी का यह कहना है कि उनकी सरकार उन सभी महान शख्सियतों को सम्मान दे रही है जिन्हें बीती सरकारों में भुला दिया गया था.

राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी (Raja Mahendra Pratap Singh University) के बारे में जानने से पहले हमें यह जानना बहुत जरुरी है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह कौन थे ? राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने क्या काम किए ? राजा महेंद्र प्रताप सिंह के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आदि. साथ ही हम जानेंगे राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी के बारे में भी.

Mahendra Pratap Singh Biography – राजा महेन्द्र प्रताप सिंह एक ऐसे शख्स थे, जिनका देश की आजादी, शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में बड़ा योगदान है. हालांकि यह दुर्भाग्य है कि ऐसे शख्स की महान विरासत को देश ने समय के साथ भुला दिया. राजा महेन्द्र प्रताप सिंह हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्षधर थे. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए अपनी जमीन दान में दी थी. इसके आलावा राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने अंग्रेजों के खिलाड़ी बिगुल फूंकते हुए अफगानिस्तान में भारत की पहली अस्थाई सरकार की घोषणा की जिसके राष्ट्रपति वह खुद बने. इसके अलावा देश की आजादी के बाद राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने चुनाव भी लड़ा, जिसमें वह अटल बिहारी वाजपेयी को हराकर लोकसभा सांसद बने. इस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी का जमानत तक जब्त हो गई थी.

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राजा महेन्द्र प्रताप सिंह जीवनी (Raja Mahendra Pratap Singh Biography)

दोस्तों राजा महेन्द्र प्रताप सिंह का जन्म 1 दिसंबर 1886 को मुरसान के राजा बहादुर घनश्याम सिंह के यहां हुआ था. महेन्द्र प्रताप सिंह अपने पिता की तीसरी संतान थे. उनके दो बड़े भाइयों का नाम दत्तप्रसाद सिंह और बलदेव सिंह था. महेन्द्र प्रताप सिंह के बचपन का नाम खड़गसिंह था. हालांकि 3 वर्ष की उम्र में खड़गसिंह को हाथरस के राजा हरिनारायण ने अपनी कोई संतान ना होने से गोद ले लिया था, जिसके बाद उनका नाम खड़गसिंह से बदलकर महेन्द्र प्रताप सिंह कर दिया गया.

राजा हरिनारायण द्वारा गोद लेने के बाद भी महेन्द्र प्रताप सिंह कुछ साल तक मुरसान में रहे ताकि हरिनारायण की सम्पत्ति की लालच में कोई महेन्द्र प्रताप को नुकसान ना पहुंचाए. जहां तक शिक्षा की बात है तो महेन्द्र प्रताप ने अलीगढ़ में सैयद साहब द्वारा स्थापित स्कूल से बीए की शिक्षा हासिल की है. दरअसल राजा बहादुर घनश्याम सिंह और सैयद साहब में गहरी मित्रता और सैयद साहब के कहने पर ही राजा बहादुर घनश्याम सिंह ने महेन्द्र प्रताप को अलीगढ़ शिक्षा लेने के लिए भेजा. दूसरी तरफ करीब 8 साल की उम्र के बाद महेन्द्र प्रताप सिंह हाथरस चले गए थे और आगे चलकर हाथरस राज्य के राजा बने.

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राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की पत्नी (Raja Mahendra Pratap Singh Wife)

साल 1901 में 14 वर्ष की उम्र में महेन्द्र प्रताप सिंह का विवाह जींद नरेश महाराज रणवीरसिंह जी की छोटी बहिन बलवीर कौर के साथ सम्पन्न हुआ. महेन्द्र प्रताप के विवाह के लिए दो स्पेशल रेल गाडियां मथुरा स्टेशन से जींद रवाना हुई थी. इस विवाह में उस समय जींद नरेश ने तीन लाख पिचहत्तर हज़ार (3,75,000) रूपए खर्च किए थे. साथ ही दहेज़ में इतना समान दिया गया था कि वृन्दावन के महल का विशाल आंगन भी पूरा भर गया था. बाद में महेन्द्र प्रताप ने बहुत सा सामान रिश्तेदारों और जनता के बीच बाँट दिया था. साल 1909 में महेन्द्र प्रताप सिंह की एक पुत्री हुई जबकि साल 1913 में पुत्र हुआ.

महेन्द्र प्रताप सिंह का देशप्रेम

महेन्द्र प्रताप सिंह ने कम उम्र में ही देश-विदेश की खूब यात्राएं की थी. इससे उनके मन में देश की आजादी की अलख जगी. साल 1906 में जींद के राजा की इच्छा के खिलाफ जाकर महेन्द्र प्रताप सिंह ने कोलकाता में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया.

प्रेम महाविद्यालय

इसके बाद साल 1909 में राजा महेन्द्र प्रताप ने वृन्दावन में ही देश के पहले तकनीकी शिक्षा केंद्र प्रेम महाविद्यालय की स्थापना की थी. इस महाविद्यालय के उद्घाटन के लिए मदनमोहन मालवीय आए थे. राजा महेन्द्र प्रताप अपनी सारी सम्पत्ति प्रेम महाविद्यालय को दान करना चाहते थे, लेकिन मदनमोहन मालवीय के मना करने के बाद उन्होंने अपनी आधी सम्पत्ति महाविद्यालय को दान कर दी.

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बीएचयू और एएमयू के लिए दी जमीन

प्रेम महाविद्यालय ही नहीं बल्कि राजा महेन्द्र प्रताप ने साल 1916 में बीएचयू के लिए अपनी जमीन दान में दी. इसके बाद साल 1929 में राजा महेन्द्र प्रताप ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए अपनी जमीन दी.

हिन्दू-मुस्लिम एकता

राजा महेन्द्र प्रताप सिंह हिन्दू-मुस्लिम एकता के जमकर हिमायती थे. अलीगढ़ में पढ़ने के दौरान उन्होंने मुस्लिम धर्म को करीब से जाना था. महेन्द्र प्रताप जब भी विदेश जाते थे तो मुस्लिम देशों के बादशाहों और जनता से उनको भरपूर समर्थन मिलता था. साल 1912 में हुए तुर्की का बुल्गारिया और ग्रीस से युद्ध हुआ. इस युद्ध के बाद अलीगढ़ के कुछ मुस्लिम छात्र और डॉक्टर अंसारी तुर्की गए. जब राजा महेन्द्र प्रताप को पता चला तो वह भी घायलों की सेवा करने के लिए तुर्की चले गए.

भारत की पहली अस्थाई सरकार

राजा महेन्द्र प्रताप सिंह देश की आजादी के लिए जर्मनी गए और वहां के शासक से मदद मांगी. इस पर जर्मनी के शासक ने उन्हें हरसंभव मदद देने का वादा किया. इसके बाद राजा महेन्द्र प्रताप अफ़ग़ानिस्तान गए और भारत की पहली अस्थाई सरकार का गठन किया. राजा महेन्द्र प्रताप सिंह स्वयं इस सरकार के राष्ट्रपति बने और मौलाना बरकतुल्ला खाँ को प्रधानमंत्री बनाया. राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने 1920 से लेकर 1946 तक विदेशों में भ्रमण करते रहे.

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लोकसभा सांसद

देश की आजादी के बाद राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने साल 1957 में मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उनके सामने भारतीय जन संघ पार्टी के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी मैदान में थे. इस चुनाव में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए भी जीत दर्ज की जबकि अटल बिहारी वाजपेयी की जमानत तक जब्त हो गई थी.

राजा महेन्द्र प्रताप की मुत्यु (Raja Mahendra Pratap Death)

29 अप्रैल 1979 को राजा महेन्द्र प्रताप सिंह का निधन हो गया था. साल 2021 में उत्तरप्रदेश सरकार ने राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के सम्मान में अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना करने की घोषणा की थी.

राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी (Raja Mahendra Pratap Singh University) के बारे में :

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा सितम्बर 2019 में यह घोषण की गई थी कि वे एक राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी बनाने वाले हैं और इस यूनिवर्सिटी का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी (Raja Mahendra Pratap Singh University) होगा. इसका शिलान्यास पीएम मोदी के द्वारा किया गया.

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