Uttar Pradesh Population Bill 2021 – उत्तर प्रदेश जनसंख्या विधेयक क्या है?, क्या है इसके प्रावधान

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Uttar Pradesh Population Bill – दोस्तों आज हमारे देश में जनसंख्या विस्फोट सबसे बड़ी परेशानी है. आज देश की आबादी 135 करोड़ से भी अधिक हो चुकी है. इतनी आधिक आबादी के कारण देश में संसाधनों की कमी हो रही है. लोगों के पास रोजगार के साधन नहीं है. जमीन की कीमत आसमान छू रही है. देश की कमाई का एक बड़ा हिस्सा आवश्यक संसाधन जुटाने में खर्च हो रहा है.

दोस्तों जनसंख्या विस्फोट (Population explosion) और जनसंख्या नियंत्रण (population control) यह दो ऐसे शब्द हैं जो पिछले कुछ सालों में हमारे देश के अक्सर सुनाई देते है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ‘जनसंख्या विस्फोट’ पर चिंता जाता चुके हैं,  जिसके बाद से ही देश की जनसंख्या और जनसंख्या नियंत्रण को लेकर फिर से कवायदें तेज हो गईं.

हमारे देश के कई राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उचित कदम उठाए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाने जा रही है. अगर जनसंख्या नियंत्रण के उपाय की बात करें तो योगी सरकार का यह कानून कितना असरदार होगा, यह तो समय नही बताएगा. तो दोस्तों चलिए सबसे पहले जानते हैं कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या विधेयक-2021 क्या है (What is Uttar Pradesh Population Bill 2021) और इसके क्या प्रावधान (Uttar Pradesh Population Bill-2021 Provisions) है.

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उत्तर प्रदेश जनसंख्या विधेयक-2021 (Uttar Pradesh Population Bill-2021)

दोस्तों उत्तरप्रदेश विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस आदित्यनाथ मित्तल ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या विधेयक-2021 तैयार किया है. इस विधेयक के प्रावधान कुछ इस तरह से है.

दो से अधिक बच्चे पैदा होने पर (more than two children)

  1. ऐसे माता-पिता को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी.
  2. ऐसे लोग स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
  3. 21 साल से अधिक उम्र के युवक और 18 साल से अधिक उम्र की युवतियों पर एक्ट लागू होगा.
  4. अगर एक बच्चे के बाद दूसरी बार में जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं तो ऐसे माता-पिता पर यह कानून लागू नहीं होगा.
  5. यदि के किसी के पहले 2 बच्चे निशक्त है तो उन्हें तीसरा बच्चा पैदा करने की छुट होगी.
  6. तीसरे बच्चे को गोद लेने पर किसी तरह की रोक नहीं होगी.
  7. सरकारी कर्मचारियों को शपथ पत्र देना होगा कि वे इस कानून का पालन करेंगे.

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दो बच्चे पैदा होने पर (two children children policy)

  1. ऐसे माता-पिता को कई सुविधाएं मिलेगी.
  2. दो बच्चे पैदा करने के बाद नसबंदी करवाने वाले माता-पिता को यदि सरकारी नौकरी में हैं तो उन्हें एक्स्ट्रा इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, PF में एंप्लायर कॉन्ट्रिब्यूशन जैसी सुविधाएं मिलेगी.
  3. ऐसे माता-पिता को पानी, बिजली, हाउस टैक्स में छुट मिलेगी.

एक बच्चा नीति (one child policy)

  1. एक बच्चा होने के बाद नसबंदी करवाने पर संतान को 20 साल तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा शिक्षण संस्था व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिलेगी.
  2. BPL कार्ड धारकों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
  3. एक बच्चा नीति के तहत लड़के के बालिग़ होने पर 77 हजार रुपए और लड़की के बालिग होने पर एक लाख रुपए दिए जाएँगे.
  4. एक संतान वाले माता-पिता की लड़की को उच्च शिक्षा तक और लड़के को 20 साल तक मुफ्त शिक्षा दी जाएगी.

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जनसंख्या नियंत्रण के बारे में और बातें : More about population control :

  1. साल 2018 के दौरान देश के करीब 125 सांसदों के द्वारा राष्ट्रपति से यह आग्रह किया गया था कि वे देश में दो बच्चों की नीति (two child policy in India) को जल्द से जल्द लागू कर दें.
  2. साल 2016 के दौरान की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी यानि बीजेपी के सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल (prahalad singh patel) ने एक निजी सदस्य बिल (private member bill) पेश किया था, जिसके देश में जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देने को लेकर बातें लिखी गई थीं.
  3. यही नहीं साल 2015 के दौरान गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के सांसद योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) के द्वारा एक ऑनलाइन पोल का आयोजन किया गया था. इस ऑनलाइन पोल के दौरान उन्होंने पूछा था कि ‘क्या मोदी सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए किसी नई नीति का निर्माण किया जाना चाहिए?’
  4. वहीँ आज हम देखें तो योगी आदित्यनाथ देश की सबसे अधिक आबादी यानि जनसंख्या वाले राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
  5. देश को मिली आज़ादी के बाद अब तक करीब 35 बिल सांसदों के द्वारा पेश किए जा चुके हैं जिनमें संख्या पर रोकथाम करने या उसमें बदलाव करने के बारे में लिखा गया है. इन 35 बिलों में 15 बिल तो कांग्रेस सांसदों की तरफ से पेश किए गए हैं, जबकि अन्य दूसरी पार्टियों की तरफ से हैं.
  6. जानकारों का जनसंख्या नियंत्रण (population control) को लेकर यह मानना है कि देश के लिए अपने ही नागरिकों की फैमिली की साइज़ पर केन्द्रीय कानून बना पाना संभव नहीं है.
  7. साल 1994 के द्वारा जनसंख्या और विकास (population and development) की घोषणा को ध्यान में रखते हुए जब इंडिया ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हस्ताक्षर किए गए थे तो उस दौरान परिवार के आकार के साथ ही दो प्रसव के बीच का समय निर्धारित करने के लिए अधिकार दंपत्ति को ही दिया गया था. यह भी जनसंख्या को कम करने का एक तरीका था.
  8. देश के कई राज्यों के द्वारा अपने स्तरों पर छोटे परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए दंडात्मक प्रावधान लागू किए हुए हैं.
  9. असम सरकार (Assam government) के द्वारा असम की जनसंख्या और महिला सशक्तिकरण नीति को लागू किए जाने का फैसला किया गया था. इसके अंतर्गत यह कहा गया था कि, असम राज्य के भीतर जनवरी 2021 से कोई भी दो से अधिक बच्चों वाला व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होगा.
  10. इसके अलावा भी देश के 12 राज्यों में भी प्रावधान देखने को मिलते हैं. जिनके अंतर्गत दो बच्चों की नीति को पूरा ना करने पर अधिकार से जुड़े परिबंध लगे हैं. इन प्रतिबंधों में पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव को लड़ने को लेकर भी रोक लगाने का प्रावधान शामिल है.
  11. यूनाइटेड नेशन के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग के द्वारा कुछ आंकड़े पेश किए गए थे. इन आंकड़ों के अनुसार यह कहा गया है कि इंडिया की पापुलेशन साल 2030 तक करीब 1.5 बिलियन हो जाएगी, जिसके बाद साल 2050 में यह संख्या करीब 1.64 बिलियन तक पहुंच जाएगी. जबकि चीन के बारे में UN ने जो आंकड़े दिए हैं उसके अनुसार चीन की आबादी साल 2030 तक करीब 1.46 बिलियन हो जाएगी.
  12. वहीँ आंकड़े यह भी कहते हैं कि विश्व की करीब 16 फीसदी आबादी देश में वैश्विक सतह क्षेत्र के केवल 2.45 फीसदी और जल संसाधनों के 4 फीसदी हिस्सो में रहती है.
  13. पारिस्थितिकी तंत्र को ध्यान में रखकर जो आंकलन हुए हैं उनमें कई प्रजातियों के विलुप्त होने की बातें और संसाधनों में कमी की बातें सामने आई हैं. जिसके बाद से ही वैश्विक तौर पर जनसंख्या विस्फोट की बातें सुनने को मिल रही हैं.
  14. इस मामले में जीव विज्ञान के स्पेशलिस्ट ईओ विल्सन का कहना है कि हर घंटें के दौरान करीब तीन प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर पहुंच रही हैं. प्रथ्वी की कार्यप्रणाली के अंतर्गत हर वर्ष के दौरान 10 लाख प्रजातियों में से 1 प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है. और यह भी साबित हो चुका है कि इंसान ही सामूहिक विनाश का एक कारक बन चुका है.
  15. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने भाषण में यह कहा था किसमाज का लघु वर्ग अपने परिवारों को छोटा ही रखता है. वह ना केवल सम्मान का हक़दार है बल्कि वह जो कर रहा है वह देशभक्ति है.
  16. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद राकेश सिन्हा (rakesh sinha) के द्वारा भी जुलाई 2019 के द्वारा जनसंख्या विनियमन को लेकर एक निजी विधेयक पेश किया गया था. इस विधेयक में यह लिखा हुआ था कि, जनसंख्या विस्फोट हमारे देश के पर्यावरण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों को भी प्रभावित करेगा. इसके साथ ही यह आने वाली पीढ़ी के अधिकारों को भी सीमित कर देगा.
  17. राकेश सिन्हा ने इस विधेयक में कहा कि सरकारी कर्मचारियों को चाहिए कि वे दो से अधिक बच्चे पैदा नहीं करें. इनके साथ जिन गरीब लोगों के दो से अधिक बच्चे हैं उन्हें सरकारी जन-कल्याणकारी योजनाओं से वंचित किए जाने का सुझाव दिया गया.
  18. भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय (ashwinin kumar upadhyay) ने पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. इसके अंतर्गत जनसंख्या के नियंत्रण को लेकर एक कड़े कानून का निर्माण किए जाने की मांग की गई थी. हालाँकि दिल्ली उच्च न्यायालय (delhi high court) के द्वारा इस मामले को ख़ारिज भी कर दिया गया था. जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में भेजा गया था.

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