Indian Independence Act – 4 जुलाई को ब्रिटिश पार्लियामेंट में पेश हुआ था भारत की आजादी का बिल, जानिए बिल के प्रावधान

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Indian Independence Act – दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि अंग्रेजों ने हमारे देश पर कई सालों तक हुकूमत की है. अंग्रेजों की हुकूमत के खिलाफ समय-समय पर भारत के क्रांतिकारियों ने अपनी आवाज बुलंद की है. भारत के कई वीर जवानों ने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया है. हमारे देश की आजादी के लिए पहला बड़ा संघर्ष साल 1857 में हुआ था. इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है.

हालांकि इसमें उस समय तो सफलता नहीं मिली, लेकिन स्वतंत्रता की इस पहली चिंगारी की बदौलत ही हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ. हमारा देश भले ही 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, लेकिन देश को आजाद करने की प्रकिया 4 जुलाई 1947 को शुरू हो गई थी. दरअसल 4 जुलाई ही वह दिन है जब ब्रिटिश पार्लियामेंट में भारत की आजादी का एक्ट यानि भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम (The Independence Act) पेश किया गया. तो इस आर्टिकल के जरिए हम जानेंगे कि भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम क्या है?, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के प्रावधान क्या थे? और साथ ही जानेंगे कि माउंटबेटन योजना क्या है?

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द इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट क्या है (What is Indian Independence Act)

दरअसल 1900 के बाद से ही भारत में स्वतंत्रता आंदोलन ने तेजी पकड़ ली थी. महात्मा गाँधी के नेतृत्व में पूरे देश में अंग्रेजो के खिलाफ आन्दोलन चल रहा था. दूसरी तरफ दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेनभी कमजोर हो गया था. ऐसे में 20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत को आजाद करने की घोषणा की. इसके बाद भारत को आजाद करने के लिए 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश पार्लियामेंट में द इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पेश किया गया. 18 जुलाई को ब्रिटिश पार्लियामेंट ने इस बिल को पास कर दिया और फिर भारत को आजादी मिली.

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के प्रावधान (Provisions of Indian Independence Act 1947)

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 (The Independence Act 1947) के अनुसार ब्रिटेन शासित भारत को दो स्वतंत्र उपनिवेशों भारत और पाकिस्तान के बांटा जाएगा. दोनों देशों के बीच बंगाल और पंजाब के प्रान्तों का विभाजन किया जाएगा. दोनों देशों में गवर्नर जनरल के कार्यालय स्थापित किए जाएंगे. 15 अगस्त 1947 से दोनों देशों पर से ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा. ब्रिटिश शासन ‘भारत के सम्राट’ त्याग देंगे. साथ ही दोनों देशों के बीच सशस्त्र बलों का विभाजन किया जाएगा.

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माउंटबेटन प्लान क्या है? (What is the Mountbatten Plan)

दरअसल इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट को माउंटबेटन योजना के आधार पर ही ब्रिटिश पार्लियामेंट ने पेश किया गया था. माउंटबेटन प्लान के तहत भारत के दो टुकड़े करके भारत और पाकिस्तान नाम के दो देश बनाए जाएँगे. भारत को जून 1948 से पहले 15 अगस्त 1947 को ही आजाद कर दिया जाए.  इसके अलावा पंजाब, बंगाल, असम और उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत को जनमत संग्रह के आधार पर भारत या पाकिस्तान में शामिल किया जाए.

राष्ट्रवादी हिन्दू-मुस्लिमों ने किया विरोध

माउंटबेटन प्लान को लेकर 14 जून 1947 को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई. इस बैठक में मौलाना अबुल कलाम आजाद, पुरुषोत्तम दास टंडन सहित राष्ट्रवादी हिन्दू-मुस्लिमों ने माउंटबेटन प्लान का विरोध किया. हालाँकि महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, पंडित गोविंद बल्लभ पंत, सरदार वल्लभभाई पटेल और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष आचार्य जेबी कृपलानी ने उस समय के हालातों को देखते हुए इस पर सहमती जता दी.

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बंटवारे ने भारत को पहुंचाया नुकसान

लंबे विचार विमर्श के बाद कांग्रेस ने माउंटबेटन प्लान को मान लिया और इस तरह देश को आजादी तो मिली, लेकिन देश के दो हिस्से हो गए. करोड़ों को लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. विभाजन के चलते देश में दंगे भड़क गए, जिस कारण 20 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हो गए. अंग्रेजों ने अपने लाभ के लिए विभाजन का जो तरीका अपनाया, उससे भारत को काफी नुकसान पहुंचा.

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