Rules of war – जंग में नहीं है सब कुछ जायज, जानिए युद्ध के नियम

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What are the rules of war – दोस्तों किसी ने कहा है कि ‘प्यार और जंग में सब कुछ जायज है.’ अब भय्या प्यार का तो हमें पता नहीं लेकिन जंग में तो हरगिज ऐसा नहीं है. हर के कुछ नियम होते हैं और सभी को उन नियमों का पालन करना होता है. दरअसल हम बात कर रहे हैं दो देशों के बीच होने वाली जंग यानि युद्ध की.

दोस्तों जब भी किन्ही दो देशों के बीच युद्ध होता है या फिर युद्ध जैसे हालत बनते हैं, तो ऐसी स्थिति में दोनों देशों को कुछ नियमों का ध्यान रखना होता है. इन नियमों को इस लिए बनाया गया है ताकि युद्ध या किसी सैन्य गतिविधि के दौरान मानवीय मूल्यों को बरकरार रखा जाए. किसी सैनिक या आम नागरिक के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जाए. इन नियमों को जिनेवा कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है.

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम हम जानेंगे कि युद्ध के नियम क्या है? (What are the rules of war?), युद्ध के दौरान किन नियमों का पालन करना होता है?,  जिनेवा कन्वेंशन क्या है? (What is Geneva Convention), जेनेवा समझौता क्यों हुआ? (Why did the Geneva Accords happen?) तो चलिए दोस्तों शुरू करते है.

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युद्ध के नियमों की जरुरत (need rules of war)

दोस्तों 19वीं सदी के मध्य से पहले दुनियाभर में युद्धबंदियों और युद्ध में भाग लेने वाले लोगों के साथ दुश्मनों  द्वारा अमानवीय बर्ताव किया जाता था. उन्हें तरह-तरह से यातनाएं दी जाती थी. इन यातनाओं को रोकने के लिए उस समय किसी तरह का कोई अंतराष्ट्रीय कानून नहीं था. ऐसे में युद्ध के दौरान घायलों की मदद करने और युद्धबंदियों के साथ अमानवीय व्यवहार ना हो, इसके लिए रेड क्रॉस के संस्थापक हेनरी डुनेंट के प्रयासों से साल 1864 में जिनेवा कन्वेंशन (Geneva Convention) अस्तित्व में आया.

जिनेवा कन्वेंशन क्या है? (What is Geneva Convention)

स्विजरलैंड की राजधानी जिनेवा में साल 1864 से लेकर साल 1949 तक कई सम्मलेन हुए, जिनमें दुनिया के कई देशों ने भाग लिया. इन सम्मेलनों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संधियों की एक ऐसी श्रृंखला बनाई गई, जिससे युद्ध के दौरान युद्धबंदियों और आम नागरिकों के अधिकारों का हनन ना हो. इन सम्मेलनों को ही जिनेवा कन्वेंशन कहा जाता है. दुनिया के 196 देश जिनेवा कन्वेंशन के हस्ताक्षरकर्त्ता हैं.

जिनेवा कन्वेंशन 1864

सबसे पहला जिनेवा कन्वेंशन 22 अगस्त 1864 को हुआ था. इसमें युद्ध के दौरान घायल हुए सैनिकों और बीमार सैनिकों के इलाज की व्यवस्था करने पर सहमती बनी थी. दोस्तों हमने अक्सर देखा या सुना है कि रेड क्रॉस की टीम युद्ध के मैदान में घायल सैनिकों और आम नागरिकों का इलाज करने के लिए जाती है. दरअसल जिनेवा कन्वेंशन के दौरान इस बात पर सहमती बनी है कि कोई भी देश युद्ध के दौरान चिकित्सा-कर्मियों, धार्मिक लोगों और चिकित्सा परिवहन पर हमला नहीं करेगा. इस समझौते पर साल 1864 में 12 देशों ने हस्ताक्षर किए थे.

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जिनेवा कन्वेंशन 1906

6 जुलाई 1906 को दूसरा जिनेवा कन्वेंशन हुआ था. इस सम्मलेन में समुद्री युद्ध और उससे जुड़े प्रावधानों को शामिल किया गया था. इसमें समुद्र में घायल, बीमार और जलपोत के सैन्य-कर्मियों की रक्षा और अधिकारों को लेकर नियम बनाए गए थे. इस जिनेवा कन्वेंशन में कुल 35 देश शामिल हुए थे.

जिनेवा कन्वेंशन 1929

27 जुलाई 1929 को तीसरा जिनेवा कन्वेंशन हुआ था. इसका आधिकारिक नाम Convention relative to the treatment of prisoners of war रखा गया था. इसमें खासकर युद्धबंदियों को लेकर नियमों को दुरुस्त किया गया था. इसमें यह नियम बनाए गए थे कि किसी भी देश को दुश्मन देश के सैनिकों के साथ कैसा बर्ताव करना है. अगर आप किसी दुश्मन देश के सैनिक को बंदी बना लेते हैं तो उसे उपचार, भोजन सहित अन्य चीजों को मुहैया कराया जाए. साथ ही युद्धबंदियों के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जाए और युद्ध खत्म होने के बाद युद्धबंदियों को तुरंत रिहा कर दिया जाए.

जिनेवा कन्वेंशन 1949

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुई घटनाओं से सबक लेते हुए साल 1949 में चौथा जिनेवा कन्वेंशन हुआ. इसमें तीसरे जिनेवा कन्वेंशन के दौरान बनाए गए नियमों में संशोधन किया गया. इसमें कब्ज़ाए गए क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के अधिकारों की बात की गई थी. इसमें युद्ध क्षेत्र तथा आसपास के क्षेत्रों में नागरिकों और घायलों की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी.

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जिनेवा कन्वेंशन में कितने देश शामिल है

जैसा कि हमने आपको बताया था कि साल 1864 में 12 देशों ने जिनेवा कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए थे. साल 1906 तक 35 देश इस कन्वेंशन में शामिल हुए. इसके बाद धीरे-धीरे अन्य देश भी जिनेवा कन्वेंशन में शामिल होते गए. 1950 के दशक में 50 देश, 1960 के दशक में 48 देश, 1970 के दशक में 20 देश, 1980 के दशक में 20 देश, 1990 के दशक में 26 देश और 2000 के दशक में 7 देश इस संधि से जुड़ गए. अब तक 196 देश इस संधि को अपना चुके हैं.

युद्ध के नियम क्या है? (What are the rules of war?)

  • युद्ध के दौरान कभी भी आम नागरिकों पर हमला नहीं किया जाना चाहिए. आम नागरिकों पर हमला करना अपराध है.
  • युद्ध के दौरान घायल या बीमार सैनिक पर हमला नहीं किया जाना चाहिए.
  • युद्ध के दौरान चिकित्सा-कर्मियों, धार्मिक लोगों और चिकित्सा परिवहन पर हमला नहीं करना चाहिए.
  • अगर युद्ध के दौरान किसी देश का सैनिक दूसरे देश में दाखिल हो है और दूसरा देश उस सैनिक को गिरफ्तार कर ले तो ऐसी स्थिति में उस सैनिक को युद्धबंदी माना जाता है.
  • जैसी ही किसी सैनिक को दुश्मन देश गिरफ्तार करता है, उस पर जिनेवा कन्वेंशन लागू हो जाता है. चाहे वह सैनिक महिला हो या पुरूष.
  • युद्धबंदी की हत्या करना या कोई ऐसा कृत्य करना जिससे उसकी सेहत पर बुरा असर पड़े, अपराध है. इसे संधि का उल्लंघन माना जाता है.
  • युद्धबंदी पर किसी भी तरह की दवाओं या अन्य चीजों का एक्सपरिमेंट नहीं किया जा सकता है, जिससे युद्धबंदी को कोई नुकसान हो.
  • युद्धबंदी को जनता या भीड़ से बचाना जाना चाहिए और युद्धबंदी पर किसी भी तरह का बल प्रयोग नहीं होना चाहिए.
  • जिनेवा कन्वेंशन के तहत युद्धबंदियों के साथ बर्बतापूर्ण व्यवहार तथा अमानवीय बर्ताव नहीं होना चाहिए. उनके साथ सम्मान से पेश आना चाहिए.
  • दुश्मन देश के गिरफ्तार सैनिक को किसी भी तरह से प्रताड़ित या शोषित नहीं किया जा सकता.
  • युद्ध बंदी को उचित उपचार और भोजन उपलब्ध कराया जाना जरूरी है.
  • युद्ध बंदी के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता. उसे सभी तरह की क़ानूनी सुविधा मुहैया कराई जाती है. युद्ध बंदी का अधिकार है कि वह अपने देश के लोगों से बात कर सके.
  • युद्ध बंदी को किसी भी तरह से डराया या धमकाया नहीं जा सकता है. ना ही उसे अपमानित किया जा सकता है.
  • दुश्मन देश के गिरफ्तार सैनिक से सिर्फ उसका नाम, सैन्य पद और नंबर के बारे में पूछा जा सकता है. किसी भी स्थिति में युद्ध बंदी से उसकी जाति-धर्म या जन्म के बारे में सवाल नहीं किए जा सकते है.
  • युद्ध के दौरान घायल हुए सैनिक का उचित ढंग से उपचार किया जाना चाहिए.
  • युद्धबंदी के खिलाफ सिर्फ युद्ध अपराध का मुकदमा चलाया जा सकता है ना कि हिंसा करने का मुकदमा.
  • युद्ध खत्म होने पर युद्धबंदी तुरंत रिहा किया जाना चाहिए और उसे अपने देश भेज देना चाहिए.
  • युद्धबंदी को युद्ध खत्म होने के बाद रेडक्रॉस को सौंपा जाता है. रेडक्रॉस उसे अपने देश भेज देता है.

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जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन

दोस्तों युद्ध के दौरान रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति आमतौर पर निगरानी की भूमिका निभाती है. रेड क्रॉस यह सुनिश्चित करती है कि सभी पक्षों द्वारा प्रावधानों का पालन किया जा रहा है. अगर जिनेवा कन्वेंशन में शामिल कोई देश युद्ध के दौरान इन नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ युद्ध अपराधों की जांच अंतरराष्ट्रीय अदालतों द्वारा की जाती है. अगर कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर युद्ध अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है.

विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी

दोस्तों भारत और पाकिस्तान भी जिनेवा कन्वेंशन के सदस्य है. साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान के युद्धबंदियों को युद्ध खत्म होने के बाद उन्हें सुरक्षित उनके देश वापस भेजकर जिनेवा कन्वेंशन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया था. इस दौरान पाकिस्तानी युद्धबंदियों के उपचार और भोजन से जुड़ी सभी चीजों का उचित प्रबंध किया गया था. इसी तरह जिनेवा कन्वेंशन के चलते ही पाकिस्तान को भी विंग कमांडर अभिनंदन को वापस भारत भेजना पड़ा था.

1 Comment
  1. IndiaKeStar says

    good

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