What is delimitation – जानिए परिसीमन का मतलब क्या होता है? कौन होता है परिसीमन आयोग का अध्यक्ष?

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What is delimitation – दोस्तों इन दिनों सोशल मीडिया और टीवी न्यूज़ में एक चीज का बार-बार जिक्र हो रहा है और वह है परिसीमन. दरअसल परिसीमन एक ऐसी प्रकिया जो हमारे लोकतंत्र के महत्वपूर्ण हिस्सा है. हालांकि परिसीमन हमारे लोकतंत्र के लिए भले ही बहुत जरूरी चीज हो, लेकिन देश के ज्यादातर लोगों को परिसीमन के बारे में पता नहीं है.

परिसीमन को लेकर लोगों के मन में कई तरह सवाल उठते रहते हैं. जैसे – परिसीमन क्या है?, परिसीमन का मतलब क्या है?, परिसीमन आयोग क्या होता है?, परिसीमन आयोग का अध्यक्ष कौन है? तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल के जरिए हम इन्ही सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.

परिसीमन क्या है? (What is delimitation)

दोस्तों परिसीमन का मतलब होता है किसी देश या प्रांत में विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की क्रिया या प्रक्रिया. सीधे शब्दों में कहे तो लोकसभा अथवा विधानसभा सीटों के क्षेत्र को दोबारा से परिभाषित या उनका पुनर्निधारण करना ही परिसीमन कहलाता है.

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परिसीमन क्यों जरूरी है? (Why is delimitation necessary)

दोस्तों हमारी लोकतांत्रिक प्रकिया को और भी ज्यादा लोकतांत्रिक बनाने के लिए परिसीमन जरूरी होता है. इसका कारण यह है कि हर राज्य या क्षेत्र में समय के साथ जनसंख्या में बदलाव होता रहता है. ऐसे में सभी का समान प्रतिनिधित्व हो सके इसलिए परिसीमन जरूरी है. परिसीमन के तहत जनसंख्या के हिसाब से निर्वाचन क्षेत्रों का सही तरीके से विभाजन किया जाता है. इसके अलावा परिसीमन के दौरान ही आरक्षित सीटों का निर्धारण भी किया जाता है.

परिसीमन प्रक्रिया के आधार  (based on delimitation process)

परिसीमन की प्रकिया को पूरा करने के कुल पांच आधार है. पहला क्षेत्रफल, दूसरा जनसँख्या, तीसरा भोगोलिक और राजनीतिक स्थिति, चौथा संचार सुविधा और पांचवां है अन्य समसामयिक कारण.

परिसीमन का इतिहास (history of delimitation)

हमारे देश में अब तक पांच बार परिसीमन की प्रकिया हुई है. देश में पहली बार परिसीमन साल 1952 में हुआ था. इसके बाद साल 1963 में परिसीमन की प्रकिया दोहराई गई. तीसरी बार साल 1973 में परिसीमन की प्रकिया हुई. इसके बाद साल 2002 में चौथी बार परिसीमन प्रक्रिया हुई थी. पांचवीं बार इस प्रकिया को पूरा करने के लिए साल 2020 में परिसीमन का गठन किया गया. इसके तहत जम्मू-कश्मीर और 4 पूर्वोत्तर राज्यों में परिसीमन होगा.

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परिसीमन आयोग क्या होता है? (What is Delimitation Commission)

परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करने का काम केंद्र की एक संस्था करती है, जिसे भारतीय परिसीमन आयोग कहते हैं. भारत सरकार द्वारा परिसीमन अधिनियम के अन्तर्गत परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है. भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी की जाती है।

परिसीमन आयोग का अध्यक्ष (chairman of delimitation commission)

दोस्तों भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त की देखरेख में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस को परिसीमन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है. वर्तमान में न्यायमूर्ति श्रीमती रंजना देसाई परिसीमन आयोग की अध्यक्ष है.

परिसीमन आयोग के सदस्य (member of delimitation commission)

दोस्तों जैसा कि हमने बताया सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस परिसीमन आयोग के अध्यक्ष होते है. इसके अलावा मुख्य निर्वाचन आयुक्त या मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा नामित कोई निर्वाचन आयुक्त इसका सदस्य होता है. संबंधित राज्यों के निर्वाचन आयुक्त भी इसका सदस्य हो सकता है. इसके अलावा आयोग चाहे तो परिसीमन प्रक्रिया के क्रियान्वयन के लिये प्रत्येक राज्य से 10 सदस्यों की नियुक्ति कर सकता है, जिनमें से 5 लोकसभा के सदस्य तथा 5 संबंधित राज्य की विधानसभा के सदस्य होंगे. लोकसभा सदस्यों की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा के सदस्यों की नियुक्ति विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है.

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परिसीमन आयोग की शक्तियां (Powers of Delimitation Commission)

परिसीमन आयोग एक स्वतंत्र निकाय है. भारतीय संविधान के तहत परिसीमन आयोग को कई तरह शक्तियां प्रदान की गई है.

परिसीमन आयोग के आदेशों को कानून की तरह जारी किया जाता है.

परिसीमन आयोग के आदेशों को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है.

परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद परिसीमन आयोग के आदेशों प्रतियां लोकसभा और संबंधित विधानसभा में रखी जाती हैं.

लोकसभा या विधानसभा भी परिसीमन आयोग के आदेशों को बदल नहीं सकती है.

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