Israel vs Palestine – जानिए इज़रायल-फिलीस्तीन संघर्ष में किसके समर्थन में खड़ा है कौन सा देश

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इजराइल और फिलिस्तीन के बीच ख़ूनी संघर्ष को एक हफ्ते से भी ज्यादा समय बीत चुका है. दोनों और से हो रहे हवाई हमले में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. मरने वालों में लगभग 60 बच्चे भी शामिल है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मारे गए लोगों में इजराइल की तरफ के 10 लोग मारे गए है जबकि बाकी लोग फिलिस्तीन की तरफ मारे गए है.

दरअसल इजराइल और फिलिस्तीन दोनों ही तरफ से एक-दूसरे पर रॉकेट दागने का सिलसिला जारी है. फिलीस्तीन के संगठन हमास (इजराइल इसे आतंकी संगठन मानता है) की ओर से इजराइल पर अब तक लगभग 3 हजार 150 रॉकेट दागे जा चुके हैं. हालांकि इजराइल के पास मौजूद आयरन डोम 90 प्रतिशत रॉकेट को हवा में ही मार गिरा रहा है. यहीं कारण है कि हमास के हमले में इजराइल को कम नुकसान हुआ है.

दूसरी तरफ इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) अब तक फिलिस्तीन के कब्जे वाले गाजा में 1,180 एयरस्ट्राइक्स कर चुकी है. इजराइल के हमले से फिलिस्तीन को भारी नुकसान हुआ है. उसके कई लोग मारे गए है. कई इमारतें पूरी तरह से तबाह हो चुकी है. इसके अलावा टाइम्स ऑफ इजराइल का यह भी कहना है कि हमास के 460 रॉकेट मिसफायर होकर गाजा पर ही गिरे गए.

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इजराइल और फिलिस्तीन का यह संघर्ष कब खत्म होगा, इसको लेकर फ़िलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि संघर्ष नहीं थमा तो ये पूरा क्षेत्र एक बेकाबू संकट में घिर जाएगा. इस बीच दुनिया के कई देश इस संघर्ष को जल्द खत्म करने की कोशिश में लगे.

इजराइल और फिलिस्तीन के संघर्ष के कारण इस समय पूरी दुनिया तीन हिस्से में बंट गई है. एक हिस्सा उन देशों का हैं जो इजराइल और फिलिस्तीन के संघर्ष में इजराइल का साथ दे रहे हैं जबकि एक हिस्सा उन देशों का है जो फिलिस्तीन का साथ दे रहे है. इसके अलावा दुनिया के कई देश ऐसे भी हैं, जो इजराइल और फिलिस्तीन दोनों में से किसी का समर्थन ना करके एक संतुलित रुख़ अपनाएं हुए है. तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि इजराइल और फिलिस्तीन के संघर्ष में कौन से देश किसका समर्थन कर रहे है.

सबसे पहले हम बात करते हैं ऐसे देशों के बारे में जो इजराइल का समर्थन कर रहे है. फिलिस्तीन के साथ संघर्ष में इजराइल के पास सबसे बड़ा समर्थन है सुपर पॉवर कहे जाने वाले अमेरिका का. अमेरिका और इजराइल की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है. इसके अलावा अमेरिका हमास को चरमपंथी संगठन मानता है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने भी कहा है कि इजराइल को अपनी आत्मरक्षा का अधिकार है. हालांकि अमेरिका ने दोनों ही पक्षों से संघर्ष को जल्द खत्म करने के लिए भी कहा है.

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ब्रिटेन उन देशों में से हैं जो इजराइल के साथ खड़ा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इजराइल और फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर ट्वीट किया कि, ‘हमारे समाज में कट्टरता के लिए कोई जगह नहीं है. मैं ब्रिटेन के यहूदियों के साथ खड़ा हूँ, जिन्हें उस शर्मनाक नस्लवाद को नहीं झेलना चाहिए जो हमने आज देखा है.’ बता दे कि इन दिनों ब्रिटेन ने कुछ संगठन इस बात को लेकर प्रदर्शन कर रहे है कि इजराइल और फिलिस्तीन के बीच ब्रिटेन फिलिस्तीन का समर्थन करें, लेकिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने इससे अलग रुख अपना रखा है.

ब्रिटेन की तरह फ्रांस में फिलिस्तीन के समर्थन में कुछ संगठनों ने मार्च निकाला. हालांकि फ्रांस की सरकार ने भी इसराइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से फोन पर बात भी की है और हमास के रॉकेट हमले की निंदा की है.

जर्मनी की सरकार ने भी इस मुद्दे पर इजराइल का समर्थन किया है. जर्मन सरकार की प्रवक्ता स्टीफन सीबर्ट ने कहा है कि, ‘हिंसा को कभी भी सही नहीं ठहराया जा सकता है. इसराइल को आत्मरक्षा के तहत इन हमलों के ख़िलाफ़ ख़ुद को बचाने का अधिकार है.’

इन देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, अलबेनिया, ऑस्ट्रिया, ब्राज़ील, कनाडा, कोलंबिया, साइप्रस, जॉर्जिया, हंगरी, इटली, स्लोवेनिया और यूक्रेन का नाम भी उन देशों में शामिल है, जिन्होंने इजराइल के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया है. बीते दिनों इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने भी ट्वीट करके इजराइल का समर्थन करने के लिए 25 देशों का धन्यवाद अदा किया था.

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दूसरी तरफ बात करें फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले देशों की तो सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, पाकिस्तान, कुवैत सहित अन्य इस्लामिक देशों ने इस मामले में फिलिस्तीन का समर्थन किया है और इसराइल की कड़ी आलोचना की है.

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय का कहना है कि इजराइल और फिलिस्तीन संघर्ष में सऊदी अरब पूरी तरह से फ़लस्तीनियों के साथ खड़ा है. हम फिलिस्तीन में हर तरह के कब्जे का विरोध करते है और कब्जे को खत्म करने का समर्थन करते है.

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप्प अर्दोआन ने इन दिनों इजराइल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है. अर्दोआन ने फिलिस्तीन के समर्थन में कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बात भी की है. इसके अलावा अर्दोआन ने इजराइल पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की है. उन्होंने इजराइल को चेतावनी दी है कि यदि पूरी दुनिया भी खामोश हो गई तो भी तुर्की अपनी आवाज़ उठाता रहेगा.

ईरान ने भी खुलकर फिलिस्तीन का समर्थन और इजराइल का विरोध किया है. ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए कहा कि, ‘यहूदी सिर्फ ताकत की भाषा समझते है. इसलिए फिलिस्तीनियों को अपनी शक्ति बढ़ाना चाहिए ताकि दुश्मन को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया जा सके.

पाकिस्तान भी फिलिस्तीन के समर्थन में आ खड़ा हुआ है. पाकिस्तान ने इजराइल की आलोचना की है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी फ़लस्तीन के समर्थन में ट्वीट किया है.

इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी ने इजराइल और फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर बैठक भी की है. इस बैठक में ओआईसी ने इजराइल की आलोचना की है.

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इनके अलावा कई देश ऐसे भी हैं जिन्होंने इजराइल और फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर संतुलित रुख अपनाया हुआ. ऐसे देशों में सबसे पहले नाम भारत का आता है. इजराइल और फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर भारत पेशोपेश में है. दरअसल भारत का फ़लस्तीनियों और इसराइल दोनों से अच्छे संबंध रहे हैं. ऐसे में भारत का किसी एक देश का समर्थन करना आसान नहीं है. यहीं कारण है कि भारत ने किसी का पक्ष ना लेते हुए दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है.

इसराइल और फ़लस्तीनियों के संघर्ष के चलते रूस ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है.

इसके अलावा चीन ने भी अभी तक इसराइल और फ़लस्तीनियों में से किसी के समर्थन में बयान नहीं दिया है. हालांकि चीन ने इसराइल-फ़लस्तीनियों के बीच संघर्ष के बहाने अमेरिका पर निशाना साधा जरूर साधा है. चीन ने अमेरिका पर तंज कसते हुए कहा है कि खुद को ‘मुसलमानों का शुभचिंतक’ बताने वाले अमेरिका ने इसराइल के साथ टकराव में मारे जा रहे फ़लस्तीनियों से आँखें फेर ली हैं.

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