IAS Azharuddin Kazi : कभी पिता चलाते थे टैक्सी, अज़हरुद्दीन काजी ने IAS बनकर बढ़ाया मान

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यूपीएससी की पढ़ाई करना और इसकी एग्जाम को क्लियर करना तो हर स्टूडेंट का सपना होता है लेकिन हर किसी का यह सपना पूरा नहीं हो पाता है. दरअसल यूपीएससी की एग्जाम (UPSC exam) काफी कठिन होती है जिसके चलते कुछ ही होनहार स्टूडेंट्स इस एग्जाम को क्लियर करने में सफल होते हैं. इन्हीं नामों में एक नाम अज़हरुद्दीन काजी (Azharuddin Kazi) का भी है. अज़हरुद्दीन काजी की कहानी किसी संघर्ष से कम नहीं है. लेकिन उन्होंने भी सभी परेशानियों को पार करते हुए यह साबित कर दिया कि एक इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है.

अज़हरुद्दीन काजी महाराष्ट्र के एक गांव यवतमाल के रहने वाले हैं और उन्होंने यूपीएससी पर करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना किया है. उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और इस कारण ही अज़हरुद्दीन का बचपन भी काफी तंगी में गुजरा है. कई परेशानियों से लड़ते हुए अज़हरुद्दीन ने यूपीएससी (Azharuddin Kazi UPSC) का सफ़र तय किया और आज एक मिसाल बनकर सामने आए हैं.

अज़हरुद्दीन काजी की लाइफ और यूपीएससी की जर्नी के बारे में काफी लोग जानते हैं लेकिन इसके बावजूद अब भी कई ऐसे व्यक्ति हैं जो अज़हरुद्दीन के बारे में कोई जानकारी नहीं रखते हैं. आज हम आपको अज़हरुद्दीन काजी कौन हैं? से लेकर अज़हरुद्दीन काजी का करियर, अज़हरुद्दीन काजी का यूपीएससी का सफ़र आदि के बारे में बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं विस्तार से.

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कौन हैं अज़हरुद्दीन काजी ? Who is Azharuddin Kazi IAS ?

अज़हरुद्दीन काजी एक आईएएस ऑफिसर (IAS officer Azharuddin Kazi) हैं और इस पद पर रहते हुए देश की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम-2019 में 315वां स्थान हासिल किया था. आईएएस अज़हरुद्दीन काजी चाहते हैं कि समाज में हर किसी को बराबरी का दर्जा मिल सके. और वे इसके लिए काम कर रहे हैं.

अज़हरुद्दीन काजी की बायोग्राफी (IAS officer Azharuddin Kazi Biography) :

आईएएस ऑफिसर अज़हरुद्दीन का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था जबकि उनके पिताजी टैक्सी (IAS Azharuddin Kazi father Taxi Driver) चलाने का काम करते थे. (Azharuddin Kazi Family) अज़हरुद्दीन काजी के घर में उनके तीन छोटे भाई और माता-पिता हैं. छह लोगों के इस परिवार में केवल पिता ही कमाई करते थे और इससे ही घर भी चलता था.

अज़हरुद्दीन काजी की माँ की काफी कम उम्र में ही शादी हो गई थी और इसके चलते उनकी पढ़ाई भी बीच में ही छुट गई थी. जिस कारण उनकी माँ हमेशा से यही चाहती थीं कि उनके बच्चे पढ़ाई करें और उनका नाम रोशन करें. लेकिन परिवार की आय इतनी नहीं थी कि सभी बच्चों को अच्छी पढ़ाई करवाई जा सके. इसलिए उन्होंने सभी भाइयों को यवतमाल के एक सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल (Azharuddin Kazi Education) में एडमिशन दिलवाया.

आईएएस ऑफिसर बताते हैं कि परिवार में तंगी के कारण वे सभी बच्चों को केवल क्लास 10वीं तक ही पढ़ाया. क्योंकि आगे पढ़ने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे ताकि वे किसी कोचिंग को ज्वाइन कर सकें. हालाँकि बावजूद इसके अज़हरुद्दीन काजी ने पढ़ाई करते हुए आगे कदम बढाया और कॉमर्स विषय के साथ ग्रेजुएशन किया. इस पढ़ाई के साथ ही उन्होंने एक प्राइवेट जॉब करना भी शुरू कर दिया.

इतना करने के बाद भी उनके घर की हालत सही नहीं हो रही थी और उनके भाइयों की पढ़ाई पर भी खतरा मंडराने लगा था. लेकिन अज़हरुद्दीन ने हार नहीं मानी और आगे का सफ़र यूपीएससी के साथ करने का मन बना लिया. दरअसल यूपीएससी के लिए साल 2010 में उनका मन एक आईपीएस ऑफिसर के साथ हुई मुलाकात के बाद बना और उन्होंने ठान लिया की तैयारी करना है.

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अज़हरुद्दीन काजी ने अपना मन तो पक्का कर लिया था लेकिन उनके पास दिल्ली जाने के भी पैसे नहीं थे. फिर उन्होंने कहीं से टिकेट के लिए पैसा इकट्टा किया दिल्ली के लिए ट्रेन में खड़े-खड़े ही निकल गए. यहाँ जाने के उन्होंने एक ऐसी कोचिंग का फॉर्म भरा जो यूपीएससी की तैयारी फ्री में ही करवाती थी. यहाँ कोचिंग के लिए उनका सिलेक्शन हो गया और उनके एग्जाम दी.

लेकिन पहले और दूसरे अटेम्प्ट में उनका सिलेक्शन नहीं हुआ और वे असफल रहे. दौरान उनके सामने पैसों की तंगी भी एक बड़ा कारण बनकर उभर रही थी. इसके चलते अज़हरुद्दीन ने एक नौकरी करने की योजना बनाई. उन्होंने एक सरकारी बैंक में काम करना शुरू किया. यहाँ वे एक पीओ के पद थे और सात सालों तक काम करते रहे. इस जॉब से उनके घर की हालत भी काफी सुधर गई थी और साथ ही भाइयों की पढ़ाई भी पूरी हो गई.

उनकी मेहनत के चलते उन्हें बैंक में प्रमोशन भी मिल रहे थे लेकिन कहीं ना कहीं उनके मन में यूपीएससी का सपना अब भी था. आखिरकार अपने सपने को पूरा करने के लिए लिए उन्होंने अपनी बैंक मैनेजर की सरकारी नौकरी को छोड़ा और फिर दिल्ली पहुँच गए. उन्होंने यहाँ जाकर फिर से यूपीएससी की तैयारी करना शुरू कर दिया. 

एक साल की पढ़ाई के बाद उन्होंने फिर से एक बार यूपीएससी की एग्जाम साल 2019 में दी और उनका सिलेक्शन भी हो गया. इस प्रयास और सिलेक्शन के बाद ही अज़हरुद्दीन काजी 2020 बैच के आईएएस ऑफिसर बन गए. अपनी लास्ट अटेम्प्ट की पढ़ाई लिए अज़हरुद्दीन काजी ने किसी कोचिंग को भी ज्वाइन नहीं किया और खुद ही इसकी तैयारी की.

कई बार उनके मन में यह ख्याल भी आया कि कहीं उन्होंने गलत फैसला तो नहीं ले लिया लेकिन वे हर बार अपने सपने के बारे में सोचते और फिर से तैयारी में जुट जाते. उनका यह प्रयास ही सफल हुआ और आज वे एक आईएएस बनकर देश सेवा में लगे हैं.

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