Bharatiya Janata Party History – जनसंघ से लेकर भाजपा तक, जानिए पूरा इतिहास

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Bharatiya Janata Party History – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारतीय जनसंघ (Bharatiya Jana Sangh) और भारतीय जनता पार्टी (bharatiya janata party) के इतिहास के बारे में बात करेंगे. हम जानेंगे कि आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा (BJP) की शुरुआत कहाँ से हुई थी और कैसे भाजपा ने एक लंबा सफ़र तय करते हुए साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 303 सीटें जीतते हुए लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई.

भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी को लेकर लोगों के मन में अक्सर कई तरह के सवाल उठते है. जैसे – भारतीय जनसंघ क्या है? (What is Bharatiya Jana Sangh?), भारतीय जनसंघ का गठन कब हुआ था? (When was Bharatiya Jana Sangh formed?), भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष कौन थे? (Who was the founder President of Bharatiya Jana Sangh?), भारतीय जनता पार्टी की स्थापना कब हुई थी? (When was Bharatiya Janata Party founded?), भारतीय जनता पार्टी का इतिहास कैसा रहा है? (How has been the history of Bharatiya Janata Party?)

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भारतीय जनसंघ की स्थापना और इतिहास (Bharatiya Jana Sangh Establishment and History)

भारतीय जनसंघ की स्थापना की दो मुख्य वजह थी. पहली महात्मा गाँधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर बैन लगना और दूसरी वजह नेहरु-लियाकत समझौता. हालांकि इनके अलावा भी कई वजह है, लेकिन इन दो वजहों को मुख्य माना जाता है.

दरअसल देश की आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान में भीषण दंगे भड़क गए. इन दंगों में अल्पसंख्यकों पर काफी अत्याचार किया जाने लगा. ऐसे में इन दंगों को रोकने के लिए दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच एक समझौता हुआ, जिसे नेहरू-लियाकत समझौता कहा जाता है. इस समझौते में कहा गया था कि दोनों देश अपने-अपने देश में अल्पसंख्यक आयोग गठित करेंगे. उस समय तत्कालीन नेहरू सरकार में उद्योगमंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस समझौते को मुस्लिम तुष्टिकरण बताते हुए इस्तीफा दे दिया.

मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने RSS के दूसरे सरसंघचालक माधवराव गोलवलकर से मुलाकात की. माना जाता है कि गोलवलकर और मुखर्जी इस मुलाकात से ही भारतीय जनसंघ की नीव पड़ी. मई 1951 में भारतीय जनसंघ बनाने की प्रकिया शुरू हुई और 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना (Bharatiya Jana Sangh Establishment) हुई. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसके पहले अध्यक्ष बने.

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भारतीय जनसंघ का गठन दिल्ली के एक कॉलेज के एक छोटे से कमरे में हुआ था. भारतीय जनसंघ ने केसरिया झंडे को पार्टी के झंडे के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद भारतीय जनसंघ को ‘दीपक’ का निशान चुनाव चिन्ह के रूप में मिला.

भारतीय जनसंघ ने साल 1952 में पहली लोकसभा चुनाव लड़ा. भारतीय जनसंघ ने कुल 94 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. इनमें से मात्र तीन उम्मीदवार श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दुर्गा चरण बनर्जी और उमाशंकर त्रिवेदी चुनाव जीत सके. इसके बाद 1957 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की. साल 1962 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ ने 14 सीटें हासिल की. भारतीय जनसंघ ने साल 1967 में 35 और साल 1971 में 22 सीटों पर जीत दर्ज की.

साल 1975 में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल लगा दिया. यह भारतीय जनसंघ के लिए टर्निंग पॉइंट रहा. आपातकाल के खिलाफ देश की सभी विपक्षी पार्टियां एक हो गई और सभी ने मिलकर जनता पार्टी बनाई. इस तरह भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया. आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी ने कांग्रेस को हराकर केंद्र में अपनी सरकार भी बनाई. हालांकि साल 1980 आते-आते जनता पार्टी बिखर गई और इंदिरा गांधी वापस सत्ता में लौट आई.

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जनता पार्टी के टूटने के बाद समाजवादी नेताओं ने मिलकर लोकदल का गठन किया. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनसंघ के नेताओं ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना (Bharatiya Janata Party Establishment) की. अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष भी बने.

भारतीय जनता पार्टी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव साल 1984 में लड़ा. इंदिरा गाँधी की मौत के बाद हुए इस चुनाव में कांग्रेस की ओर सहानुभूति की ऐसी लहर थी कि भाजपा महज 2 सीटों पर चुनाव जीत सकी. इसके बाद साल 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 85 सीटों पर जीत नसीब हुई. साल 1991 में भाजपा ने अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर 120 कर ली.

भारतीय जनता पार्टी को साल 1996 के लोकसभा चुनाव में 161 सीटें मिली. इसके बाद 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 182-182 सीटें मिली. 5 साल केंद्र की सत्ता में रहने के बाद भाजपा को साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 138 सीटें मिली. इसके बाद साल 2008 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 116 सीटों से संतोष करना पड़ा. इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 282 सीटों पर जीत दर्ज की. यह पहला मौका था जब भाजपा को केंद्र में पूर्व बहुमत मिला. इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 303 सीटें मिली और लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई.

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