History of Hindi : जानिए जनमानस की भाषा ‘हिंदी’ का इतिहास

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History of Hindi Diwas in Hindi – 

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारत की राजभाषा ‘हिंदी’ (Rajbhasha Hindi) के बारे में बात करेंगे. ‘हिंदी भाषा’ आम बोलचाल की भाषा है. सहज और सरल होने के कारण पिछले 100 सालों में इस भाषा का तेजी से विकास हुआ है. हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. अगर हम बात करे हिंदी भाषा के इतिहास की तो एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है. हमारे देश में हर साल हिंदी दिवस भी मनाया जाता है.

आज इस आर्टिकल में हम हिंदी भाषा को लेकर लोगों के मन में उठने वाले सवालों के जवाब जानेंगे. जैसे – हिंदी दिवस कब मनाया जाता है? (When is Hindi Divas celebrated?), हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है? (Why is Hindi Divas celebrated?), हिंदी भाषा (History of Hindi) का इतिहास क्या है? इन सब के अलावा हम हिन्दी भाषा का कालखंड, अपभ्रंश और हिंदी साहित्य का संबंध, हिंदी भाषा का नाम हिंदी कैसे पड़ा जैसे सवालों के बारे में भी बात करेंगे.

हिंदी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? (Why hindi diwas celebrate and when?)

दोस्तों हमारे देश में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था. इसीलिए 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. देश की आजादी के बाद महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था. हिंदी पूरी दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है.

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हिंदी भाषा का इतिहास (History of Hindi Language)

हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है. दोस्तों जैसा कि हम जानते है कि संस्कृत भाषा को देश की सबसे प्राचीन भाषा माना जाता है. संस्कृत को आर्य भाषा या देवभाषा भी कहा जाता है. वहीं माना जाता है हिंदी भाषा का जन्म संस्कृत (Sanskrit) से ही हुआ है. हिंदी को संस्कृत भाषा का उत्तराधिकार माना जाता है.

लगभग 1500 ईसा पूर्व सनातन धर्म को मानने वाले लोग ऋग्वेद की भाषा संस्कृत को ही लिखित भाषा की शुरुआत मानते है. रामायण, महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथ भी संस्कृत भाषा में ही लिखे गए थे. संस्कृत की बाद पालि भाषा का जिक्र होता है. इसी भाषा में बोद्ध ग्रंथों का रचना हुई. पालि के बाद कई तरह की क्षेत्रीय भाषाओं का जन्म हुआ, जिन्हें प्राकृत भाषा कहा गया. प्राकृत भाषा उस समय की सबसे बोली और समझी जाने वाली भाषा थी. प्राकृत भाषा के तहत शौरसेनी, पैशाची, ब्राचड, खस, महाराष्ट्री, मागधी और अर्धमागधी जैसी भाषाएं आती थी.

प्राकृत भाषा के अंतिम चरण से अपभ्रंश का जन्म हुआ. यह भाषा 500 ई. से 1000 ई. तक रही. अपभ्रंश को संस्कृत भाषा का सबसे देसी अंदाज भी कह सकते है. अपभ्रंश के जो सरल और देशी शब्द थे, उनसे हिंदी भाषा का जन्म हुआ. हालांकि इसको लेकर भी दो अलग-अलग मत है. दरअसल कई विद्वान हिंदी का विकास अपभ्रंश से ही मानते हैं जबकि कुछ ऐसे भी है जिनका मानना है कि हिंदी का विकास उद्भव अवहट्ट से हुआ.

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बरसाल 1000 ई. के आसपास हिंदी भाषा (Hindi Language) अस्तित्व में आई. उस समय हिंदी भाषा की पहली रचना खुमान रासो लिखी गई थी, जो चित्तौड़ के राजा रावल खुमान की कहानी थी. 1225 से 1249 ई. में चंद्र वरदाई ने पृथ्वीराज रासो लिखी. इसके अलावा आमिर खुसरों ने 1340ई. में फारसी और हिंदी में कई पहेलियां और दोहे लिखे.

1375ई. के बाद जब देश पर मुस्लिम (Muslim) शासकों ने हमला करना शुरू किया तो लोगो को एक करने के लिए हिंदी भाषा बहुत काम आई. उस समय लोगो के बीच नानक, मलिक मोहम्मद जायसी और रैदास की कविताएं बहुत प्रचलित हुई. 1633ई में गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस इतनी लोकप्रिय हुई कि उसका हिंदी सहित अन्य भाषाओं में ट्रांसलेट किया गया.

1650ई. के आसपास जब औरंगजेब (Aurangzeb) हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचा रहे थे तब सूर-तुलसी, रसखान, मीरा, नाभादास के गीत लोगो को जोड़ने में काम आए. इस तरह हिंदी भाषा मुगलों के खिलाफ एक विरोध की भाषा भी बन गई, जिससे हिंदी तेजी से विकसित हुई.

1880ई. में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी गद्य लिखे. वर्तमान में जिस हिंदी भाषा का हम उपयोग करते हैं, उसकी नीव भारतेंदु हरिश्चंद्र ने ही रखी थी. भारतेंदु हरिश्चंद्र से पहले के कवियों पर तुलसी की भाषा अवधी और सुर की भाषा ब्रज का ख़ासा प्रभाव था. 1900ई. में किशोरीलाल गोस्वामी ने ‘इंदुमती’ नाम से एक कहानी लिखी. यह कहानी पूरी तरह से गद्य अंदाज और हिंदी खड़ी बोली में लिखी गई थी. यह बिल्कुल उस तरह की हिंदी भाषा थी जो आज हम बोलते है.

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1904ई. में उत्तर भारत में हर स्कूल में हिंदी पढ़ाने की मांग उठी, लेकिन ब्रिटिश सरकार (British Government) इसके लिए तैयार नहीं थी. देश की आजादी के बाद 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया. दूसरी तरह उस समय महावीर प्रसाद द्विवेदी, श्याम सुंदर दास, प्रताप नारायण मिश्र, राम चंद्र शुक्ल, राम कुमार वर्मा जैसे कवि हुए, जिन्होंने हिंदी भाषा को ऊँचाई पर पहुंचा दिया.

इस तरह देखा जाए तो हिंदी भाषा का इतिहास (History of Hindi Diwas) 1000 वर्षों से भी पुराना है, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव होते गए. वर्तमान में जो हिंदी भाषा हम बोलते है, उसका स्वरुप 100 से अधिक वर्ष पुराना है. भाषाई सर्वेक्षणों के आधार पर दुनिया की आबादी के 18 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा को समझते हैं.

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