12 साल की उम्र में पकड़ा अध्यात्म का मार्ग, महिलाओं से मारपीट का लगा था आरोप

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Mahant Anand Giri Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम प्रयागराज शहर के निरंजनी अखाड़े से जुड़े महंत और योग गुरु आनंद गिरि (Mahant Anand Giri) के बारे में बात करेंगे. खुद को ‘घुमंतू योगी’ बताने वाले आनंद गिरि की पहचान प्रयागराज के संगम किनारे स्थित प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के छोटे महंत के रूप में भी होती है. आनंद गिरि, बाघमबारी गद्दी के महंत, बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य रहे है.

दोस्तों हम यह तो जान ही चुके हैं कि आनंद गिरि कौन है? (who is anand giri) आगे इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आनंद गिरि कैसे महंत बने? आनंद गिरि की महंत नरेंद्र गिरि से कहाँ मुलाकात हुई थी? इसके आलवा हम महंत नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के बीच विवाद (Controversy between Narendra Giri and Anand Giri) के बारे में भी बात करेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं योग गुरु आनंद गिरि का जीवन परिचय.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे महंत नरेंद्र गिरि, शिष्य आनंद गिरि से था पुराना विवाद

आनंद गिरि जीवनी (Mahant Anand Giri Biography)

योग गुरु आनंद गिरि मूल रूप से राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले है. उनके परिवार में पिता के अलावा तीन बड़े भाई, एक छोटी बहन है. उनकी मां का निधन हो चुका है. आनंद गिरि का असली नाम अशोक चोटिया है. आनंद गिरि के बारे में कहा जाता है कि उनका बचपन से ही धर्म की तरफ गहरा झुकाव रहा है. बकौल आनंद गिरि उन्हें 12 साल की उम्र में ईश्‍वर का संदेश मिला था, जिसके बाद वह आध्‍यात्मिक मार्ग पर पड़े. आनंद गिरि देश-विदेश में जाकर लोगो को योग सिखाते है.

महंत नरेंद्र गिरि से मुलाकात

एक दिन महंत नरेंद्र गिरि हरिद्वार आए हुए थे. यहाँ उनकी मुलाकात आनंद गिरि से हुई. महंत नरेंद्र गिरि जल्द ही आनंद गिरि से प्रभावित हो गए. महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि में एक अच्छे शिष्य के सारे गुण देखे. इसके बाद वह आनंद गिरि को अपने साथ प्रयागराज लेकर आ गए. इसके बाद साल 2007 में आनंद गिरि निरंजनी अखाड़े से जुड़े और इसी अखाड़े के महंत बने.

कथित शराब के साथ वायरल हुई थी फोटो

एक बार महंत आनंद गिरि की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी. इस फोटो में आनंद गिरि एक प्लेन में बैठे दिखाई दे रहे है और उनके बगल में एक पेय पदार्थ रखा हुआ है. इस फोटो के साथ किसी ने लिखा था कि, ‘यह मंदिर में भक्तों द्वारा चढ़ाये गये पैसे से विदेश यात्रा पर जाते है और मदिरा का सेवन करते है.’ हालांकि बाद में आनंद गिरि ने सफाई देते हुए इसे एप्पल का जूस बताया था.

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ऑस्‍ट्रेलिया में गिरफ्तार

महंत आनंद गिरि को एक बार ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में महिलाओं से उनके बेडरूम में मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है. हालांकि तब महंत नरेंद्र गिरी ने महंत आनंद गिरि का बचाव करते हुए कहा था कि, ‘पीठ थपथपाकर आशीर्वाद की परंपरा को अमर्यादित आचरण करार देते हुए उन्हें आरोपी बनाया गया है.’

महिलाओं के साथ मारपीट का आरोप

इसके अलावा महंत आनंद गिरि पर 2016 में नव वर्ष के दिन रूटी हिल स्थित एक घर में पूजा में हिस्सा लेने के दौरान शयनकक्ष में महिला से मारपीट करने का आरोप लग चुका है.

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शिष्य नरेन्द्र गिरि से विवाद

महंत आनंद गिरि का अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि से विवाद रहा है. आनंद गिरि ने महंत नरेंद्र गिरि पर मठ और हनुमान मंदिर से होने वाली करोड़ों रुपये की आमदनी में हेरफेर समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे. आनंद गिरि के व्यवहार से दुखी होकर महंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें आश्रम से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद जब अखाड़ों ने हस्तक्षेप किया तो आनंद गिरि ने महंत नरेंद्र गिरि के पैरों में गिरकर माफ़ी मांगी. इसके बाद जाकर यह मामला शांत हुआ, लेकिन दोनों के बीच पहले जैसा रिश्ता नहीं रहा.इसके अलावा आनंद गिरि ने महंत नरेंद्र गिरि पर अखाड़े के सचिव की हत्या करवाने का आरोप भी लगाया था.

महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु (Mahant Narendra Giri Death)

20 सितंबर 2021 को महंत नरेंद्र गिरि का शव उनके कमरे में मिला. शुरूआती जाँच में पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला बताया. महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट भी छोड़ा था. इस सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य आनंद गिरी और कुछ अन्य लोगों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था. इस मामले में पुलिस ने आनंद गिरी को गिरफ्तार भी किया.

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