Petrol Diesel Price बढ़ते और कम क्यों होते हैं? हमें क्यों अधिक कीमत पर मिलता है पेट्रोल-डीजल?

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Petrol Diesel Price –

हेलो दोस्तों ! देश में बढ़ते पेट्रोल और डीजल की कीमतों के बारे में तो हम सब अच्छे से जानते ही हैं. पेट्रोल और डीजल के प्राइस जितने अधिक बढ़ चुके हैं इतने अब से पहले कभी नहीं बढे थे. पेट्रोल और डीजल की कीमत आसमान छू रही हैं. इस बात से तो हम सभी वाकिफ हैं कि कच्चे तेल (Crude Oil) में आने वाली नमी और चढाव के कारण पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़ते और कम होते हैं. लेकिन क्या आप इस बारे में जानते हैं कि पेट्रोल-डीजल के प्राइस (Petrol Diesel Price) बढ़ते और कम क्यों होते हैं? चलिए हम बताते हैं-

पहले कैसे बढ़ाया और कम किया जाता था प्राइस ?

कुछ समय पहले की बात करें तो पेट्रोल-डीजल की कीमत में बदलाव कुछ अलग तरीके से होता था. बता दें कि जून 2017 से पहले ऑइल के प्राइस मात्र 15 दिनों के अन्तराल पर तय किया जाता था. यह बदलाव हर महीने की 1 तारीख और 16 तारीख को होता था. इसके भी पहले की बात करें तो ऑइल प्राइस हर महीने में तय किए जाते थे. बता दें पहले 18 अक्टूबर 2014 को ऑइल प्राइस तय करने का काम गवर्नमेंट हर महीने करता था. फ़िलहाल की बात करें तो रोज ही कीमतें तय की जाती हैं.

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रोज कैसे तय होने लगे ऑइल प्राइस (Oil Price on Daily Basis) :

देश के कुछ हिस्सों जैसे जमशेदपुर, चंडीगढ़, उदयपुर, विशाखापट्टनम और पुडुचेरी में 1 मई 2017 से केवल चालीस दिनों के लिए पायलट की शुरुआत की गई थी. इसकी सफलता को देखने के बाद गवर्नमेंट के द्वारा देश के अन्य हिस्सों में भी रोजाना के आधार पर ही पेट्रोल-डीजल के प्राइस में बदलाव किया जाने लगा. बता दें सरकार के द्वारा इस बदलाव की शुरुआत 16 जून 2017 से देशभर में की गई है.

किस आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय होती हैं ?

गौरतलब है कि नेशनल लेवल पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑइल (Crude Oil Price in International Market) की कीमत पर निर्भर करती हैं. क्रूड ऑइल की इंटरनेशनल मार्केट में विदेशी मुद्रा दर (Foreign Currency Rate) के साथ क्या कीमत है इस आधार पर देश में पेट्रोल और डीजल का प्राइस निश्चित किया जाता है. साथ ही यह भी बता दें कि कुछ खास मानकों को ध्यान में रखते हुए तेल कम्पनियों के द्वारा पेट्रोल-डीजल के प्राइस निर्धारित किए जाते हैं.

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पेट्रोल-डीजल का दाम किन मानकों पर निर्भर करता है?

आज की बात करें तो यह बता दें कि हमारे देश में कच्चे तेल की करीब 75 प्रतिशत जरूरतों को आयात के द्वारा पूरा किया जाता है. यानि भारत में पेट्रोल की कीमतों (Petrol Price in India) पर ही कच्चे तेल और विदेशी  मुद्रा दरों की इंटरनेशनल कीमतें तय होती हैं. इसके अलावा मार्केट की स्थिति और कंडीशन, एक्सचेंज रेट,  मांग और आपूर्ति की स्थितियां आदि मानक भी प्राइस के लिए काफी अहम होते हैं. बता दें केंद्र का रोज की कीमतों के बदलने पर कोई कंट्रोल नहीं है.

पेट्रोल की कीमत ग्लोबल मार्केट में कम लेकिन पंप पर ज्यादा क्यों ?

सबसे पहले आपको यह बात जानना जरुरी है कि आप केवल अपने पेट्रोल का ही पेमेंट नहीं कर रहे हैं. बल्कि आप साथ ही भारी उत्पाद शुल्क (Excise Duty) का भी भुगतान कर रहे हैं. वहीं डीजल पर आप एक्साइज ड्यूटी का भुगतान करते हैं. इसलिए ग्लोबल मार्केट में पेट्रोल और डीजल का दाम कम होता है लेकिन जब वह हमें मिलता है तो इसका प्राइस बढ़ जाता है. अलग-अलग राज्यों के हिसाब से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उतार-चढाव दिख जाता है.

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पेट्रोल-डीजल पर टैक्स (Tax on Pertol Diesel) :

एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार एक लीटर पेट्रोल पर करीब 33 रुपये टैक्स लेती है. वहीं हर राज्य की सरकार भी पेट्रोल -डीजल पर टैक्स के रूप में पैसा वसूल रही हैं. हर राज्य में यह अलग-अलग है. हालांकि औसतन राज्य सरकारें एक लीटर पेट्रोल पर करीब 20 रुपये वसूलती है. इस तरह एक लीटर पेट्रोल पर लगभग 50 रुपए से ज्यादा तो टैक्स के रूप में चला जाता है.

पेट्रोल-डीजल की कीमत कम कैसे हो सकती है ? (How can the price of petrol and diesel be reduced?)

पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने का सीधा स तरीका है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार इन पर से टैक्स कम कर दे. लेकिन इससे केंद्र सरकार और राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान होगा. सरकार चाहे तो पेट्रोल-डीजल को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के दायरे में ला सकती है. इससे पेट्रोल-डीजल की कीमत 25 से 30 रुपए तक कम हो सकती है. हालांकि यहां भी बात वही है कि राजस्व का नुकसान होगा.

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