जानिए कैसे रखे जाते हैं समुद्री तूफानों के नाम, गुलाब के बाद अब कौन सा तूफ़ान आएगा?

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Cyclone Name – दोस्तों इन दिनों हमारे देश के कई राज्यों में तूफान ‘गुलाब’ ने दस्तक दे दी है. अनुमान लगाया जा रहा है कि गुलाब तूफान के चलते देश के कई राज्यों में बारिश और तेज हवा चलेगी. मौसम विभाग के डायरेक्टर का कहना है कि यह तूफान जैसे-जैसे पश्चिम की तरफ बढ़ेगा इसका असर कम होता जाएगा. सरकार की तरफ से भी यास तूफान से निपटने के लिए जरूरी तैयारी की गई है.

अभी कुछ दिनों पहले ही भारत में यास और तौकते नाम का तूफान भी आया था. इस तूफान ने देश के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई थी. दोस्तों क्या आप जानते है कि तौकते तूफान का नाम किसने रखा और इसका मतलब क्या है? यदि नहीं तो बता दे कि तौकते तूफ़ान का नाम हमारे पड़ोसी देश म्यांमार ने रखा था. यह नाम एक छिपकली के ऊपर रखा गया है.

यह तो हुई तौकते तूफान की बात, लेकिन क्या आप जानते है कि चक्रवाती तूफान के नाम कौन रखता है? यह कौन तय करता है कि किसी तूफ़ान का क्या नाम होगा? तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम यह जानेंगे कि आखिर तूफान के नाम (Cyclone Name) कौन रखता है?

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दरअसल दोस्तों समुद्री तूफ़ान के नाम एक समझौते के तहत रखे जाते है और इसकी शुरुआत साल 1953 में हुई थी. दरअसल इस साल अमेरिका के मायामी स्थित नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन (डब्लूएमओ) की अगुवाई में एक पैनल बना. यह पैनल अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवाती तूफ़ान का नाम रखता था. उस समय अमेरिका में केवल महिलाओं के नाम पर चक्रवाती तूफ़ान का नाम रखा जाता था जबकि ऑस्ट्रेलिया में भ्रष्ट नेताओं के नाम पर चक्रवाती तूफ़ान का नाम रखा जाता था.

हालांकि चक्रवाती तूफ़ान का नाम रखने के लिए पैनल को काफी सावधानी रखना पड़ती है. इसका कारण यह है कि हर देश की अपनी एक अलग पहचान, परम्परा और मान्यता होती है. ऐसे में कहीं ऐसा ना हो कि तूफान के नाम के कारण लोगों की भावनाएं आहत हो जाए. यहीं कारण है कि उस समय उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का कोई नाम नहीं रखा जाता था.

साल 2004 में नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन (डब्लूएमओ) की अगुवाई में बने पैनल को भंग कर दिया गया. ऐसे में जब कोई पैनल नहीं रहा तो सभी देश अपने-अपने हिसाब से तूफान के नाम रखने लगे.

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इस बीच साल 2004 में भारत ने हिन्द महासागर क्षेत्र में आने वाले तूफ़ान का नाम रखने की पहल शुरू की. इस पहल के तहत 8 तटीय देशों भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड के बीच तूफ़ान का नाम रखने को लेकर एक समझौता हुआ. इसके बाद सभी देशों ने मिलकर 64 नामों की एक सूचि बनाई. इसमें हर एक देश ने 8 नाम सुझाए.

अब जब भी हिन्द महासागर क्षेत्र में कोई तूफ़ान आता हैं तो इस सूचि के क्रम के हिसाब से उसका नाम तय कर दिया जाता है. इसका फायदा यह होता है कि इससे तूफान को पहचानने में आसानी होती है और बचाव कार्य में मदद मिलती है. इस सूचि की ख़ास बात यह है कि इसमें कभी भी कोई नाम दोहराया नहीं जाता है.

सभी 8 देशों ने मिलकर तूफानों के नाम रखने के लिए बाकायदा एक पैनल बनाया है. इस पैनल में सभी देशों के चक्रवात विशेषज्ञ शामिल है. यह पैनल हर साल मिलता है और जरुरत पड़ने पर यह पैनल ही सूचि में आगे नाम जोड़ता जाता है. इसमें सभी देश बारी-बारी से नाम सुझाते है.

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जैसे कुछ दिनों पहले ‘निसर्ग’ तूफ़ान आया था. यह नाम बांग्लादेश की ओर से सुझाया गया था जबकि ‘अंपन’ नाम के तूफ़ान का नाम थाईलैंड ने सुझाया था. थाईलैंड में इसका मतलब आकाश होता है. इसके अलावा ‘फानी’ का नाम बांग्लादेश ने दिया था, जिसका मतलब होता है सांप. इसी तरह भारत की ओर से लहर जैसे नाम दिए गए है.

यह पैनाम तूफ़ान का नाम रखने के लिए बहुत सावधानी रखता है. ताकि ऐसा ना हो कि एक देश द्वारा दिए गए नाम से दूसरे देश के लोगों की भावनाएं आहत हो. हालांकि इसके बावजूद कभी कभी चूक हो जाती है. जैसे साल 2013 में श्रीलंका की ओर से एक तूफ़ान का नाम ‘महासेन’ रखा गया था. जिसको लेकर श्रीलंका में ही विवाद खड़ा हो गया था. दरअसल राजा महासेन श्रीलंका में शांति और समृद्धि लाए थे, इसलिए आपदा का नाम उनके नाम पर रखना गलत है. इसके बाद इस तूफान का नाम बदलकर ‘वियारु’ कर दिया गया.

तूफ़ान के नामों की सूची

Nisarga, Gati, Nivar, Burevi, Tauktae, Yaas, Gulab, Shaheen, Jawad, Asani, Sitrang, Mandous, Mocha.

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