कभी गुजारे के लिए अंडे बेचते थे Manoj Kumar Rai, आज UPSC क्रेक कर बनाया अपना नाम

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दोस्तों ! हमने कई आईएएस और आईपीएस ऑफिसर्स की कहानियां सुनी हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर अपना नाम बनाया है और आज देश की सेवा कर रहे हैं. इन नामों में आज हम आपके सामने एक ऐसा नाम शामिल करने जा रहे हैं जिनके संघर्ष की कहानी काफी अलग है. अलग होने के साथ ही इनकी कहानी से एक प्रेरणा भी मिलती है जो सबके जीवन में बेहद जरुरी होती है.

दरअसल आज के इस आर्टिकल में बात करने जा रहे हैं आईएएस ऑफिसर मनोज कुमार राय (ias manoj kumar rai) की. मनोज कुमार राय आज एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने देश की सेवा के जज्बे को अपने अंदाज उन हालातों में भी जगाए रखा जिन हालातों में कोई भी इंसान हार मान जाता है. उन्होंने किसी ज़माने में सड़क पर रेहड़ी लगाई और देश की सेवा एक आईएएस ऑफिसर के रूप में कर रहे हैं.

हम आपको आज मनोज कुमार राय के जीवन से जुडी हर बात बताने जा रहे हैं. साथ ही यदि आप मनोज कुमार राय से अंजान हैं तो हम आपको बताएंगे कि मनोज कुमार राय कौन हैं ? मनोज कुमार राय की बायोग्राफी (manoj kumar rai biography), मनोज कुमार राय का संघर्ष, मनोज कुमार राय की कहानी (manoj kumar rai success story) आदि. तो चलिए जानते हैं मनोज कुमार राय के जीवन के बारे में.

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कौन हैं मनोज कुमार राय ? Who is manoj kumar rai ?

मनोज कुमार राय एक आईएएस ऑफिसर हैं. जिन्होंने गरीबी के दलदल से निकलने के बाद ना खुद को साबित किया बल्कि समाज के सामने यह बात भी रख दी कि व्यक्ति चाहे किसी भी जगह से क्यों ना हो वह चाहे तो कुछ भी कर सकता है. आज मनोज कुमार राय की कहानी देश के हजारों नहीं बल्कि लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा का काम कर रही है.

मनोज कुमार राय ने साल 2010 के अपनी यूपीएससी की सिविल सर्विसेज एग्जाम को पास किया था जिसके बाद वे देश के लिए भारतीय आयुध निर्माणी सेवा अधिकारी (IOFS) (manoj kumar rai iofs) के रूप में काम कर रहे हैं.

मनोज कुमार राय की कहानी/बायोग्राफी : (success story of manoj kumar rai)

दोस्तों ! मनोज कुमार राय का जन्म भारत के राज्य बिहार के एक गांव सुपौल (manoj kumar rai from bihar) में हुआ था. बचपन से ही मनोज को पढ़ाई का शौक था और इस कारण ही वे शुरुआत से ही पढ़ाई पर अधिक ध्यान भी दिया करते थे. पहले सरकारी स्कूल्स की पढ़ाई भी ठीक नहीं थी और ना ही बुक्स और अन्य साधन हुआ करते थे. इन हालातों के बावजूद भी मनोज ने पढ़ाई का साथ नहीं छोड़ा. उनकी शुरूआती पढ़ाई जैसे ही यहाँ से हुई वे दिल्ली चले गए.

लेकिन यहाँ पहुँचने के बाद भी उन्हें कहीं काम नही मिल रहा था और पढ़ाई से वैसे ही उनका रिश्ता खत्म हो गया था. आखिरकार उन्होंने सब्जी और अंडे की दुकान लगाने का फैसला किया. इस काम से उनका खर्चा चलने लगा जिसके बाद वे लोगों के घरों तक राशन पहुँचाने का काम भी करने लगे. उनका यह काम चल ही रहा था कि उनके एक दोस्त उदय कुमार ने उन्हें फिर से पढने के लिए प्रेरित किया.

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जिसके बाद दोस्त की बात को मानते हुए मनोज कुमार राय ने श्री अरबिंदो कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया. उन्होंने यहाँ शाम को क्लास में जाना शुरू किया और अपने काम से यहाँ की फीस भरना शुरू किया. जब उन्होंने साल 2000 में अपना ग्रेजुएशन पूरा कर लिया तो उनके दोस्त ने उन्हें यूपीएससी (manoj kumar rai upsc) की तैयारी करने के लिए कहा और उन्होंने फिर से दोस्त की बात मानते हुए यूपीएससी की एग्जाम की तैयारी में लग गए.

इस बीच उदय कुमार में मनोज कुमार राय की मुलाकात पटना यूनिवर्सिटी के भूगोल के PHD प्रोफ़ेसर राम बिहारी प्रसाद से करवाई. मनोज उनसे प्रभवित हुए और उन्होंने भूगोल को ही अपने सब्जेक्ट के रूप में चुना. मनोज कुमार राय ने साल 2005 में यूपीएससी की एक्साम दी लेकिन वे असफल रहे. जिसके बाद उन्होंने फिर से तैयारी करना शुरू कर दिया. लेकिन मनोज कुमार राय के साथ एक प्रॉब्लम यह थी कि वे हिंदी मीडियम के स्टूडेंट थे और अपने आंसर भी हिंदी में ही लिखते थे जोकि उनके लिए चुनौतीभरा था. और उनकी इंग्लिश काफी कमजोर थी.

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इसे देखने के बाद मनोज कुमार राय ने इंग्लिश लैंग्वेज पर ध्यान लगाया और फिर कोशिश करते रहे. वे अब तक तीन कोशिशों में असफल हो चुके थे लेकिन उन्होंने अपनी तैयारी को बंद नहीं किया.

आखिरकार उनके पांचवे प्रयास के साथ ही साल 2010 में उन्होंने यूपीएससी की एग्जाम को पास कर लिया. जिसके बाद उनकी पोस्टिंग बिहार के नालंदा जिले में हुई. यहाँ वे बतौर प्रशासनिक अधिकारी राजगीर आर्डनेंस फैक्ट्री में अपोइन्ट हुए. मनोज कुमार राय ने अपनी पोस्टिंग हो जाने के बाद भी कई बच्चों को फ्री में सिविल सर्विसेज एग्जाम की कोचिंग दी है.

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