APJ Abdul Kalam Biography – अपने परिवार के राष्ट्रपति भवन में रुकने का खर्च भी खुद उठाते थे अब्दुल कलाम
APJ Abdul Kalam Biography – “सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? किसी इंसान के दिल को खुश करना, किसी भूखे को खाना देना, जरूरतमंद की मदद करना, किसी दुखियारे का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना।।।“
भारत रत्न, मिसाइल मैन, पूर्व राष्टपति श्री ऐ.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के जीवन परिचय लिखना सोभाग्य की बात है। मुझे आज एक भारतीय होने पर गर्व महसूस हो रहा है कि मैं उस देश में पैदा हुआ हु जहाँ ऐसे महान इंसान ने जन्म लिया था। कलाम जी का जीवन एक प्रेरणा से कम नहीं है, उनके जीवन की सफलता के पीछे ऐसे कई पहलू है जिन्हें अगर हम जान ले तो हमें पता चले की उन्होंने ये सफलता कितने संघर्ष और मेहनत से प्राप्त की थी। तो चलिए आज ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम जी की जन्म जयंती पर हम महान इंसान के जीवन के सभी पहलुओ को जाने।
APJ Abdul Kalam Biography –
1. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का पूरा नाम (apj abdul kalam full name)
श्री ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम जी का पूरा नाम ‘अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम’ था। जिनको प्यार से ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है।
2. ऐ.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का परिवार (abdul kalam family) –
15 अक्टूबर 1981 को तमिलनाडु रामेश्वरम के एक छोटे से गाँव धनुषकोड़ी में एक सामान्य मुस्लिम परिवार में अब्दुल कलाम जी का जन्म हुआ था। पिता जैनुलाब्दीन की शिक्षा और आर्थिक स्तिथि सामान्य थी, मछुआरों को नाव किराये से दिया करते थे। इनके पांच भाई और पांच बहने थी। कलाम जी एक सामूहिक परिवार में रहते थे।
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3. प्रारंभिक शिक्षा (abdul kalam education)
अब्दुल कलाम जी को अपनी शिक्षा के लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ा क्योंकि इनके पिता जी बहुत गरीब थे और उन को पढ़ा नहीं सकते थे, इसलिए कलाम जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने के लिए घर-घर जाकर अखबार भी वितरित किए।
इन्होंने सन 1950 में अपनी उच्च शिक्षा मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में पूर्ण की। उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री पूर्ण होने के पश्चात हावर्ड क्राफ्ट परियोजना पर काम किया और इसके लिए इन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान में प्रवेश लिया। सन 1962 में कलाम जी भारतीय अनुसंधान संगठन में पहुंचे और वहां पहुंच कर उन्होंने सफलता के कई परचम लहराए। इन्होने स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 के निर्माण में एक निर्देशक की भूमिका निभाई।
जुलाई 1982 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। इन्होंने अपने जीवन में सबसे ज्यादा तीन लोगों से सीखा है विक्रम साराभाई, उनके प्रोफेसर सतीश धवन और ब्रह्म प्रकाश जी।
4. वैज्ञानिक जीवन (abdul kalam career)
सन 1962 में भारतीय अनुसंधान संगठन में अब्दुल कलाम जी का प्रवेश हुआ जहां अब्दुल कलाम जी को परियोजना महानिदेशक बनाया गया और उन्होंने अपने इस पद पर रहते हुए भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपित करने का गौरव हासिल किया। इन्होंने रोहिणी उपग्रह को भी पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जिसकी वजह से भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष संगठन का सदस्य बन गया।
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इन्हें स्वदेशी मिसाइल बनाने का भी श्रेय जाता है। अब्दुल कलाम जी ने अग्नि और पृथ्वी जैसे मिसाइलों का निर्माण किया और उन्हें पूरी तरह से भारतीय सरजमीं पर तैयार किया। यही कारण था कि इन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता था। सन 1998 में पोखरण में इन्होंने अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों के साथ लाकर खड़ा कर दिया।
कलाम जी सन 1992 में भारतीय रक्षा मंत्रालय में एक वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी नियुक्त किए गए। उन्होंने अपनी देखरेख में कई वैज्ञानिक गतिविधियां संचालित की। इनका एक सपना था कि भारत 2020 में विज्ञान के क्षेत्र में सफलता हासिल करें और विश्व के परमाणु शक्ति संपन्न देशो की सूची में सबसे ऊपर हो।
5. डॉक्टर अब्दुल कलाम राष्ट्रपति कब बने (Abdul Kalam become President) –
भारत के 11वें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी को सन 2002 में भारतीय जनता पार्टी और उनके घटक दलों ने मिलकर राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन अब्दुल कलाम जी के व्यक्तित्व को देखकर सभी पार्टियों ने उन्हें पूर्ण रुप से समर्थन दिया और इस प्रकार वे भारत के 11वें राष्ट्रपति बने।
वैसे कलाम जी राजनीतिक जीवन से बहुत दूर थे लेकिन एक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने अपने कार्य को बहुत ही कुशल राजनीति के रूप में पूर्ण किया। इनका कार्यकाल सन 2002 से 2007 तक रहा। इन्होंने अपने कार्यकाल में हर किसी को अपनी कार्यशैली से संतुष्ट किया था। कलाम जी इतने सहज और सरल व्यक्ति थे कि अपना कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात इन्होंने पुनः बच्चों को शिक्षा देने का अपना संकल्प जारी रखा और अपने अंत समय तक पढ़ाते रहे।
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6. खुद उठाया अपने परिवार का खर्च
अब्दुल कलाम जी के महान व्यक्तित्व को दर्शाती एक घटना और है. दरअसल मई 2006 में अब्दुल कलाम जी ने अपने परिवार के करीब 52 लोगों को दिल्ली आमंत्रित किया. ये लोग आठ दिन तक राष्ट्रपति भवन में रुके. इस दौरान अब्दुल कलाम जी ने एक प्याली चाय तक का भी हिसाब रखा और उनके जाने के बाद अपने अकाउंट से तीन लाख बावन हज़ार रुपयों का चेक काट कर राष्ट्रपति भवन के अकाउंट में जमा करवाए. यहां तक कि जब उनके परिवार के लोग बस में बैठकर अजमेर शरीफ़ गए तो उसका किराया भी अब्दुल कलाम जी ने ही भरा.
7. डॉक्टर अब्दुल कलाम की मृत्यु कब हुई (abdul kalam death date)
अब्दुल कलाम जी 27 जुलाई 2015 को भारतीय अनुसंधान प्रबंधन संस्थान शिलांग में बच्चों को पढ़ा रहे थे और पढ़ाते-पढ़ाते ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई। अब्दुल कलाम जी का व्यक्तित्व कितना बड़ा था उसका पता हम इस बात से ही लगा सकते है कि एक राष्ट्रपति के रूप में जब इनका कार्यकाल समाप्त हो गया तो भी इन्होने अपने लिए रुकने का नहीं सोचा और आगे भी अपने विचारो को विद्यार्थियों को देते रहे।
8. कलाम जी की प्रमुख रचनाएँ (abdul kalam books) –
कलाम जी ने साहित्य में भी अपने विचारों को पुस्तकों के माध्यम से सबके सामने रखा है। उन्होंने अपनी जिंदगी में कुल 4 पुस्तकें लिखी।
इंडिया 20-20- विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम, माय जर्नी, इग्नाइटेड माइंड्स- ऑन लिसनिंग द पावर इन इंडिया, विंग्स ऑफ़ फायर, साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट
कलाम जी की पुस्तकों का कई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। कलाम जी एक ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्हें कई विश्वविद्यालय और संस्थानों से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त थी।
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9. भारत रत्न से सम्मानित (abdul kalam awards)
अब्दुल कलाम जी ने अपने जीवन में कहीं सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त किये। संयुक्त राष्ट्र द्वारा कलाम जी के 79 वे जन्मदिन को ‘विश्व विद्यार्थी दिवस’ के रुप में मनाया गया। इसके अतिरिक्त कलाम जी को 40 से भी ज्यादा विश्वविद्यालयों द्वारा मानक डायरेक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई। इन्हें सन 1981 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ और 1990 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान इन्हें इसरो और डीआरडीओ में अपनी विज्ञानिक उपलब्धि के लिए प्रदान किया गया। सन 1997 में अब्दुल कलाम जी को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” प्रदान किया गया जो उनके वैज्ञानिक अनुसंधान और भारत में तकनीकी विकास मैं अपने योगदान के लिए दिया गया।