Prime Minister Security – एक दिन का खर्च 1 करोड़ 62 लाख रूपए, ऐसा है PM का सुरक्षा प्रोटोकॉल

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Prime Minister Security –दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा (Prime Minister of India Security) के बारे में बात करेंगे. प्रधानमंत्री हमारे देश के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक होता है और उनके ऊपर हर समय खतरा मंडराता रहता है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण काम होता है. यही कारण है कि हर समय प्रधानमंत्री की सुरक्षा बहुत कड़ी रहती है. प्रधानमंत्री कहीं भी यात्रा पर जाते है तो उससे पहले उस जगह के चप्पे-चप्पे की तलाशी ली जाती है. बिना इजाजत के प्रधानमंत्री के पास परिंदा भी भटक नहीं सकता.

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा कैसे होती है? (How is Prime Minister security?), प्रधानमंत्री की सुरक्षा किसके अधीन होती है? (Under whom is security of Prime Minister?), प्रधानमंत्री की सुरक्षा का प्रोटोकॉल क्या होता है? (What is protocol of Prime Minister security?), प्रधानमंत्री की सुरक्षा का स्तर क्या है? (What is level of security of Prime Minister?) और प्रधानमंत्री की सुरक्षा का खर्च (Prime Minister’s Security Expenses) कितना होता है?

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प्रधानमंत्री की सुरक्षा कौन करता है? (Who protects Prime Minister?)

दोस्तों प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्‍पेशल प्रोटेक्‍शन ग्रुप यानी SPG की होती है. प्रधानमंत्री के चारों तरफ जो सुरक्षा का घेरा होता है, वह SPG का ही होता है. यानि हर समय प्रधानमंत्री के सबसे करीब जो सुरक्षा अधिकारी होते है, वह SPG के कमांडों होते है. SPG को देश की सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बलों में एक माना जाता है.

स्‍पेशल प्रोटेक्‍शन ग्रुप की खासियत (Specialties of SPG)

दोस्तों प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे एसपीजी के कमांडों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के अनुसार ट्रेनिंग दी जाती है. एसपीजी कमांडों के पास हर समय ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असॉल्ट राइफल होती है. इसके अलावा उनके पास ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे मॉडर्न हथियार भी होते है. एसपीजी कमांडों लेवल-3 केवलर की हाई ग्रेड बुलेटप्रूफ वेस्ट पहनते है. इसका वजन 2.2 किलोग्राम होता है. यह बुलेटप्रूफ वेस्ट 10 मीटर दूर से एके 47 से चलाई गई 7.62 कैलिबर की गोली को भी झेल सकता है.

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हर समय कई एसपीजी कमांडों होते है और यह आपस में बात करने के लिए कान में लगे ईयर प्लग या वॉकी-टॉकी का सहारा लेते हैं. एसपीजी कमांडों खास तरह के जूते पहनते है जो किसी भी तरह की सतह पर फिसलते नहीं है. एसपीजी कमांडों हमेशा काला चश्मा पहनते है. यह चश्मा उनकी आँखों को हमले से बचाने का काम करता है. साथ ही कोई एसपीजी कमांडों की नज़रों को भी पकड़ नहीं सकता कि वह किस तरफ देख रहे है.

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स्‍पेशल प्रोटेक्‍शन ग्रुप का गठन (Formation of special protection group)

साल 1981 से पहले प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा दिल्ली पुलिस की विशेष सुरक्षा के भरोसे हुआ करती थी. अक्टूबर 1981 में प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एक विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन किया गया. अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद एसपीजी के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई और 30 मार्च 1985 को राष्ट्रपति ने कैबिनेट सचिवालय के तहत स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के लिए 819 पदों का निर्माण किया.

प्रधानमंत्री की सुरक्षा का प्रोटोकॉल (Prime Minister’s Security Protocol)

प्रधानमंत्री जब भी किसी राज्य के दौरे पर जाते है तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी 4 सुरक्षा एजेंसियों के भरोसे होती है. यह 4 एजेंसियां है – एसपीजी, एएसएल, राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन. जैसा कि हमने आपको बताया है कि एसपीजी के कमांडों हर समय प्रधानमंत्री की सुरक्षा में उनके साथ होते है. प्रधानमंत्री के करीब आने वाले सभी लोगों की तलाशी एसपीजी के कमांडों लेते है. वहीं केंद्रीय एजेंसी एएसएल प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल और रूट की सुरक्षा जांच करती है. वहीं प्रधानमंत्री के रूट से लेकर कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन की होती है.

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प्रधानमंत्री जब भी किसी कार्यक्रम में हेलीकॉप्टर के जरिए जाते है तो किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए एक वैकल्पिक सड़क मार्ग को हमेशा तैयार रखा जाता है. प्रधानमंत्रीके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सड़क मार्ग को पूरी तरह से किसी भी बाधा से मुक्त रखा जाता है. इस दौरान उस सड़क मार्ग पर गाड़ियों की आवाजाही बंद कर दी जाति है. प्रधानमंत्री के रूट को तय कर उसकी जांच और उस रूट पर सुरक्षा देने का काम स्थानीय पुलिस और प्रशासन का ही होता है.

किसी भी राज्य में प्रधानमंत्री के काफिले की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस राज्य के डीजीपी की होती है. डीजीपी प्रधानमंत्री के काफिले के साथ चलते है. अगर किसी कारणवश डीजीपी नहीं होते है तो राज्य के दूसरे सबसे सीनियर अधिकारी प्रधानमंत्री के काफिले के साथ चलते हैं. प्रधानमंत्री के काफिले में एसपीजी के अलावा स्थानीय पुलिस और अधिकारियों की गाड़ियाँ भी चलती है. एक जैमर वाली गाड़ी भी काफिले के साथ चलती है. यह जैमर सड़क के दोनों तरफ 100 मीटर की दूरी तक किसी भी तरह के रेडियो कंट्रोल या रिमोट कंट्रोल डिवाइस को जाम कर देता है. यह रिमोट से चलने वाले बम या IED में विस्फोट नहीं होने देता.

प्रधानमंत्री की सुरक्षा का खर्च (Prime Minister’s Security Expenses)

जैसा कि हमने आपको शुरुआत में ही बताया था कि प्रधानमंत्री हमारे देश के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक होता है और उनके ऊपर हर समय खतरा मंडराता रहता है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण काम होता है. प्रधानमंत्री की सुरक्षा कड़ी होती है और इसके लिए भारी रकम भी खर्च की जाती है. साल 2020 में संसद में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर रोजाना एक करोड़ 62 लाख रुपए खर्च होते हैं. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी SPG सिर्फ प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देता है.

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