What is NATO – जानिए NATO क्या है?, क्या भारत को नाटो में शामिल होना चाहिये?

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What is NATO – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम नाटो (NATO) के बारे में बात करेगे. यह एक ऐसा नाम है, जिसके बारे में न्यूज़ बुलेटिन या टीवी डिबेट के दौरान सुनते रहते हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन है. इसकी मौजूदगी पूरी दुनिया में है. अमेरिका इसका सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा सदस्य हैं. वहीं 200 सैनिकों वाला आइसलैंड इसका सबसे छोटा देश है.

दोस्तों हम में से कई लोग ऐसे हैं, जो नाटो (NATO) के बारे में जानते नहीं है या फिर बहुत कम जानकारी रखते हैं. आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि नाटो क्या है? (What is NATO?), नाटो का पूरा नाम क्या है? (What is the full name of NATO?), नाटो की स्थापना कब हुई थी? (When was NATO established?), नाटो का उद्देश्य क्या है?( What is NATO purpose), नाटो के सदस्य देश कौन-कौन है? (Which are the member countries of NATO?), नाटो का सबसे प्रमुख अंग कौन सा है? (Which is the most important part of NATO?) तो चलिए दोस्तों शूरू करते है.

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नाटो का पूरा नाम क्या है? (What is the full name of NATO?)

दोस्तों NATO का पूरा नाम उत्तर अटालांटिक संधि संगठन (NATO- North Atlantic Treaty Organization). नाटो की स्थापना (establishment of NATO) 4 अप्रैल 1949 को हुई थी. नाटो का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में हैं.

नाटो क्या है? (What is NATO?)

नाटो एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है, इसे उत्तर अटलांटिक एलायंस के नाम से भी जाना जाता है. नाटो 30 देशों का एक सैन्य गठबंधन है. यह देश एक दूसरे को सैन्य सहायता प्रदान करते है. इन गठबंधन में शामिल देशों की सेना एक-दूसरे के साथ सैन्य अभ्यास करती रहती है. इस गठबंधन में शामिल देशों की सेनाओं को अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनिंग प्रदान की जाती है. इस गठबंधन की खास बात यह है कि इसमें शामिल किसी भी देश पर हमला पूरे नाटो देशों पर हमला माना जाता है.

नाटो की स्थापना क्यों की गई? (Why was NATO established?)

दोस्तों साल 1945 में दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद पूरी दुनिया दो हिस्सों में बंट गई. उस समय दुनिया के दो ध्रुव थे पहला अमेरिका और दूसरा सोवियत संघ. यूरोप में संभावित खतरे को देखते हुए और सोवियत संघ की विस्तारवादी नीति को रोकने के लिए अमेरिका ने नाटो (NATO) की शुरूआत की. इस दौरान यह निर्धारित किया गया कि नाटो (NATO) में शामिल किसी भी देश पर हमला होने की स्थिति में बाकि सभी देश एक-दूसरे को सामूहिक सैनिक सहायता व सामाजिक-आर्थिक सहयोग देंगे.

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नाटो में कौन-कौन से देश शामिल है? (Which countries are included in NATO?)

नाटो (NATO) की स्थापना के समय कुल 12 देश इसके सदस्य थे. आगे चलकर अन्य देश भी नाटो (NATO) में शामिल होते गए. वर्तमान समय (साल 2022) में नाटो (NATO) में शामिल देशों की संख्या 30 है. यह देश बेल्जियन, कैनेडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्समबॉर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूके, यूएस, ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणतंत्र, हंगरी, पॉलैंड, बलगैरिया, इस्टोनिया, लातविया, इथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तरी मैसेडोनिया है.

नाटो में शामिल होने की शर्त (Conditions to join NATO)

नाटो संधि के अनुच्छेद 10 में सदस्य बनने के लिए खुला आमंत्रण दिया गया है. इसके मुताबिक, कोई भी यूरोपीय देश जो उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा को बढ़ावा और कायम रखना चाहता है, वह सदस्य बन सकता है. वैसे तो नाटो का सदस्य होने के लिए यूरोपीय देश होना जरूरी है, लेकिन नाटो (NATO) ने अपनी पहुँच बढ़ाने के लिए कई अन्य देशों के साथ संबंध स्थापित किए हैं. जैसे – भूमध्य इलाके में अल्जीरिया, मिस्र, इस्राएल, जॉर्डन सहित कई देश नाटो (NATO) के सहयोगी है. इसके अलावा दक्षिण एशिया में पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी नाटो की भूमिका रही है.

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क्या भारत को नाटो में शामिल होना चाहिए? (Should India join NATO?)

यह एक ऐसा सवाल है, जो कि काफी लंबे समय से लोगों के बीच चर्चा का विषय रहा है. हालांकि यह सवाल आम लोगो के बीच ही रहा है. क्यों कि हमारे देश की सरकारों द्वारा कभी भी नाटो में शामिल होने की कोशिश नहीं की गई. भारत भविष्य में कभी नाटो (NATO) में शामिल होगा या नहीं, यह तो हम नहीं कह सकते है. लेकिन आज हम NATO में शामिल होने पर भारत पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव और नकारात्मक प्रभाव के बारे में बात करेंगे.

भारत के नाटो सदस्य बनने के फायदे (Benefits of India becoming a NATO member)

  • नाटो (NATO) संधि के अनुच्छेद 5 के अनुसार इस गठबंधन में शामिल किसी भी देश पर हमला गठबंधन में शामिल सभी देशों पर हमला माना जाता है. नाटो (NATO) में शामिल सभी देश मिलकर सदस्य देश पर हमला करने वाले देश के खिलाफ संयुक्त सैन्य कार्रवाई करते है. ऐसे में अगर भारत नाटो (NATO) का सदस्य बनता है तो चीन-पाकिस्तान या अन्य कोई भी देश भारत पर हमला करने से पहले 10 बार सोचेगा.
  • भारत के नाटो (NATO) में शामिल होने से भारत का सभी सदस्य देशों से नियमित संपर्क स्थापित हो जाएगा. नाटो के सदस्य देशों के साथ सैन्य आदान-प्रदान में आसानी होगी. ऐसे में दुनिया के सबसे शक्तिशाली संगठन के साथ सैन्य-रणनीतिक गठबंधन से भारत को फायदा होगा.

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भारत के नाटो सदस्य बनने के नुकसान (Disadvantages of India becoming a NATO member)

  • नाटो सदस्य सैन्य बोझ को साझा करते है. नाटो का सदस्य बनने से भारत पर अतिरिक्त सैन्य बोझ पड़ेगा.
  • अमेरिका, नाटो देशों का सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है. अमेरिका और रूस के बीच लंबे समय से तनातनी चलती आ रही है. ऐसे में अगर भारत, नाटो का सदस्य बनता है तो भारत और रूस के मध्य लंबे समय से स्थापित मज़बूत संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. भारत आज भी अपने सैन्य उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर है. इसके अलावा भारत और रूस अगर दूर हुए तो चीन और रूस करीब आ जाएँगे. यह भारत के लिए अच्छा नहीं होगा.
  • जैसा कि हमने आपको बताया है कि नाटो संधि के अनुच्छेद 5 के अनुसार इस गठबंधन में शामिल किसी भी देश पर हमला गठबंधन में शामिल सभी देशों पर हमला माना जाता है. ऐसे में अगर भारत का किसी गैर नाटो से अच्छा संबंध है, लेकिन अगर उस देश का किसी नाटो में शामिल देश से युद्ध हो जाता है तो ऐसी स्थिति में भारत को ना चाहते हुए भी अपने मित्र देश के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी.
  • भारतीय सीमा क्षेत्र में नाटो आधारित संगठनों की स्थापना हमारी संप्रभुता का उल्लंघन भी माना जा सकता है. ऐसे में देश में इसके खिलाफ व्यापक विरोध हो सकता है.
  • नाटो में शामिल होने से भारत को ना चाहते हुए भी दुनिया भर के विभिन्न संघर्षों में हिस्सा लेना पड़ेगा. इससे बहुत से भारतीय सैनिक मारे जाएँगे. ऐसे में भारत को नाटो में शामिल होने का कोई उचित कारण नहीं दिखाई देता.

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