What is Surrogacy – सरोगेसी क्या है?, जानिए प्रकिया, खर्च, विवाद, लाभ और हानि

What is surrogacy - Type, Meaning, Benefits, Disadvantages, Controversies, Cost

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what is surrogacyदोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम सरोगेसी (surrogacy) के बारे में बात करेंगे. सरोगेसी एक ऐसा नाम है, जो हमने पिछले कई वर्षों में कई बार सुना है. खासकर कई बॉलीवुड सेलेब्रेटी ऐसे हैं, जो सरोगेसी के जरिए माता-पिता बने है. जैसे – शाहरुख खान, करण जौहर, शिल्पा शेट्टी, सनी लियोनी, प्रियंका चोपड़ा, प्रीटी जिंटा सहित कई बॉलीवुड सेलेब्रेटी ऐसे हैं, जिन्होंने सरोगेसी के जरिए बच्चों को जन्म दिया है.

दोस्तों सरोगेसी को लेकर अक्सर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते है. जैसे – सरोगेसी क्या है? (what is surrogacy), सरोगेसी का मतलब क्या है? (what is the meaning of surrogacy), सरोगेसी से बच्चा कैसे पैदा होता है?, सरोगेसी से मां कैसे बनते हैं?, सरोगेसी तकनीक क्या है? (What is Surrogacy Technique?), सरोगेसी में कितना खर्च आता है? (How much does surrogacy cost?) और भारत में सरोगेसी को लेकर क्या कानून है? (What is the law regarding surrogacy in India?) तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम इन्ही सवालों के जवाब जानेंगे.

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सरोगेसी क्या है? (what is surrogacy) और सरोगेसी का मतलब (meaning of surrogacy)

दोस्तों सरोगेसी का मतलब होता है किराए की कोख यानि इस तकनीक में कोई कपल अपना बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराए पर लेता है. इस प्रकिया में जिस महिला की कोख किराए पर ली जाती है, उसे सरोगेट मदर (surrogate mother) कहा जाता है. इस प्रकिया में बच्चे की चाह रखने वाले कपल और सरोगेट मदर के बीच एक एग्रीमेंट किया जाता है. इस एग्रीमेंट के तहत सरोगेट मदर बच्चे को जन्म देगी और बच्चे के जन्म के बाद उस पर पूरा अधिकार उस कपल का होगा, जिसमें सरोगेसी करवाई है.

सरोगेसी क्यों जरूरी है? (Why is surrogacy necessary?)

दोस्तों सरोगेसी किन्ही खास कारणों में बहुत जरूरी हो जाती है. जैसे – अगर कोई कपल अपने बच्चे नहीं हो पा रहे हों तो वह सरोगेसी का इस्तेमाल कर सकते है. अगर किसी महिला को गर्भधारण से जान का खतरा हो, लेकिन वह बच्चा चाहती है तो वह सरोगेसी का सहारा ले सकती है. या फिर कोई महिला खुद बच्चा पैसा नहीं करना चाहती है तो फिर वह सरोगेसी का सहारा लेती है.

सरोगेसी के प्रकार (types of surrogacy)

दो सरोगेसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है. पहली ट्रेडिशनल सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी.

ट्रेडिशनल सरोगेसी – इस सरोगेसी में पिता या डोनर के शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के अंडाणुओं से मिलाया जाता है. इस प्रकिया में बच्चे की बॉयोलॉजिकल मदर (जैविक मां) सरोगेट मदर ही होती है. हालांकि इसमें बच्चे के जन्म के बाद उस पर पूरा अधिकार उस कपल का ही होता है, जिसने सरोगेसी करवाई है.

जेस्टेशनल सरोगेसी – इस सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं और माता के अंडाणुओं को मिलाकर सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. इस प्रकिया में सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को जन्म देती है. इसमें बच्चे का सरोगेट मदर से किसी भी तरह से जेनेटिकली संबंध नहीं होता है. बच्चे की जैविक मां सरोगेसी करवाने वाली महिला ही होती है.

इसके जरिए बच्चा पैसा नहीं कर पा रहे कपल माता-पिता बन सकते है.

एलजीबीटी कम्‍यूनिटी के कपल्‍स भी सरोगेसी से अपना बच्‍चा पैदा कर सकते हैं.

सरोगेसी की मदद से जन्‍म के बाद से ही पेरेंट्स अपने बच्‍चे का पालन कर सकते हैं.

बच्‍चा गोद लेने की तुलना में सरोगेसी में पेरेंट्स को कम परेशानियां उठानी पड़ती हैं.

सरोगेसी के नुकसान (disadvantages of surrogacy)

सरोगेट मदर बनना काफी मुश्किल होता है, यह शारीरिक और भावनात्मक समस्या को उत्पन्न करता है.

कई बार महिलाओं को सरोगेट मदर बनने के लिए मजबूर भी किया जाता है.

सरोगेसी की प्रकिया काफी खर्चीली होती है.

कई बार गरीब महिलाओं की मज़बूरी का फायदा उठाकर उन्हें पैसे का लालच देकर सरोगेट मदर बनने के लिए मजबूर किया जाता है.

सरोगेसी के विवाद (controversies about surrogacy)

कई बार बच्चे के जन्म के बाद सरोगेट मदर बच्चे को सरोगेसी करवाने वाले कपल को देने से मना कर देती है. इसका कारण यह है कि सरोगेट मदर का बच्चे से भावनात्मक लगाव हो जाता है.

कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चा किसी विकलांगता या किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो. ऐसी स्थिति में सरोगेसी करवाने वाले कपल बच्चे को लेने से इंकार कर देते है.

कई अमीर घर की महिलाएं मां बनने के लिए सिर्फ इसलिए सरोगेसी का सहारा लेती है क्यों कि वह खुद बच्चे को जन्म देकर अपना फिगर ख़राब नहीं करना चाहती है.

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सरोगेसी में कितना खर्च आता है? (How much does surrogacy cost?)

सरोगेसी की प्रकिया काफी महंगी होती है. इस प्रकिया में ज्यादातर सरोगेट मदर को उसकी कोख किराए पर लेने के बदले अच्छी-खासी रकम अदा की जाती है. सरोगेसी प्रक्रिया में 15 -20 लाख रूपए आसानी से खर्च हो जाते है.

भारत में सरोगेसी को लेकर कानून (laws regarding surrogacy in india)

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि किसी समय पूरी दुनिया में होने वाले सरोगेसी के आधे से भी अधिक मामले सिर्फ भारत में होते थे. आज भी बड़ी संख्या में सरोगेसी भारत में होती है. इसका सबसे बड़ा कारण है आर्थिक संकट. दरअसल गरीब घर की महिलाएं पैसे की चाह में सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार हो जाती है. सरोगेसी की यह प्रकिया करीब एक साल चलती है. इस प्रकिया के बाद सरोगेट मदर को 5-6 लाख रूपए आसानी से मिल जाते है. इसके अलावा पूरे साल उन्हें अच्छा खाना दिया जाता है और अच्छे से देखभाल भी की जाती है.

वहीं बार करें भारत में सरोगेसी को लेकर कानून की तो बता दे कि भारत में कुछ साल पहले तक सरोगेसी का गलत इस्तेमाल होने लगा था. ऐसे में सरकार द्वारा भारत में सरोगेसी को लेकर कड़े नियम लगा दिए गए. इसके तहत सरकार ने व्यावसायिक सरोगेसी को पूर्ण रूप से प्रतिबंध कर दिया है. यानि अब कोई भी पैसे का लालच देकर किसी महिला को सरोगेट मदर नहीं बना सकता. सरकार ने सिर्फ निस्वार्थ सरोगेसी को ही मंजूरी दी है. यानि अब सरोगेसी करवाने वाला कपल गर्भावस्था के दौरान सरोगेट मदर को दिए जाने वाले मेडिकल खर्च का ही वहन करेगा. इसके अतिरिक्त सरोगेट मदर को अलग से पैसा नहीं दिया जाएगा. यानि कोई महिला स्वेच्छा से बिना किसी लालच के सरोगेट मदर बन सकती है. इनके अलावा भी सरोगेसी को लेकर भारत में कई नियम है.

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भारत में केवल भारतवासी ही सरोगेसी करा सकते हैं.

सरोगेसी को केवल वही दंपत्ति करा सकते हैं, जिनकी शादी को कम-से-कम 5 साल हो चुके हैं.

सरोगेसी  कराने के लिए पुरूष की उम्र 26 से 55 वर्ष और महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए.

अगर किसी दंपत्ति की पहले से ही एक संतान है, तो वह सरोगेसी  नहीं करा सकते.

अविवाहित, समलैंगिक, लिव-इन, सिंगल पैरेंट्स इत्यादि लोग सरोगेसी नहीं करा सकते हैं.

ऐसे दंपत्ति जो किसी बीमारी के कारण बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हो, वह सरोगेसी करा सकते है.

सरोगेसी का उद्देश्य व्यावसायिक नहीं होना चाहिए.

सरोगेट मदर का सरोगेसी करवाने वाले दंपत्ति से निकट संबंध होना चाहिए.

सरोगेट मदर का विवाहित होना और उसका अपना एक बच्चा होना जरूरी है.

सरोगेट मदर की उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच होना चाहिए.

कोई भी महिला सिर्फ एक बार ही सरोगेट मदर बन सकती है.

सरोगेट मदर के पास मेडिकल और मनोवैज्ञानिक फिटनेस सर्टिफिकेट होना चाहिए.

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