जानिए उन 6 खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में जीता मेडल

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Indian Tokyo Olympic medalist – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे भारत के उन खिलाडियों के बारे में जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2021 (Tokyo Olympics 2021) में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है. दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक अब तक का सबसे सफल ओलंपिक साबित हुआ है. टोक्यो ओलंपिक में भारत ने कुल 7 मेडल जीते है. इससे पहले साल 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में भारत ने 6 मेडल अपने नाम किए थे. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने जीते 7 मेडल में से 6 मेडल व्यक्तिगत स्पर्धा में आए है जबकि एक मेडल भारतीय हॉकी टीम ने जीता है.

दोस्तों ओलंपिक को खेलों का महाकुम्भ भी कहा जाता है. ओलंपिक में शामिल होने के लिए दुनियाभर के खिलाड़ी अपना पूरा जोर लगा देते है. एक ओलंपिक मेडल जीतने के लिए कड़े संघर्ष की जरुरत होती है. सालों की मेहनत के बाद कोई खिलाड़ी ओलंपिक मेडल जीत पाता है. तो चलिए दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम 6 भारतीय खिलाडियों (Indian Tokyo Olympic medalist) के बारे में जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में मेडल जीता है.

  1. नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra)

टोक्यो ओलंपिक में जीता – स्वर्ण पदक (Gold Medal)

खेल – भाला फेंक (Javelin Throw)

दोस्तों सबसे पहले हम बात करेंगे टोक्यो ओलंपिक 2021 में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा के बारे में. दोस्तों नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत में हुआ था. नीरज चोपड़ा के पिता का नाम सतीश कुमार है. नीरज चोपड़ा की माता का नाम सरोज देवी है. इसके अलावा नीरज चोपड़ा की दो बहने भी है. नीरज चोपड़ा के पिता पानीपत के एक छोटे से गांव खंडरा के किसान है जबकि उनकी माता गृहणी है.

अपने परिवार के दुलारे होने के कारण बचपन में नीरज चोपड़ा का वजन काफी बढ़ गया था. ऐसे में वजन कम करने के लिए नीरज चोपड़ा कसरत करने लगे. इसके अलावा वजन कम करने के लिए उनका खेलों की तरफ भी रुझान बढ़ने लगा. नीरज चोपड़ा को शुरुआत में कबड्डी का बहुत शौक था. उनके गांव में कोई स्टेडियम तो था नहीं, ऐसे में नीरज चोपड़ा प्रैक्टिस करने के लिए गांव से 16-17 किलोमीटर दूर पानीपत के शिवाजी नगर स्टेडियम में जाने लगे.

शिवाजी नगर स्टेडियम में नीरज चोपड़ा का जयवीर नाम का एक दोस्त था, जो वहां भाला फेंक (Javelin Throw) की प्रैक्टिस करने के लिए आता था. एक दिन ऐसे खेल-खेल में जयवीर ने नीरज चोपड़ा से भाला फेंकने के लिए कहा. जब नीरज चोपड़ा ने भाला फेंका तो जयवीर उनसे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने नीरज चोपड़ा को भाला फेंकने की प्रैक्टिस करने की सलाह दी. नीरज चोपड़ा को अपने दोस्त की बात ठीक लगी, लेकिन उनके सामने समस्या यह थी कि उनका वजन 80 किलो था. ऐसे में नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में अपना हाथ अजमाने के लिए महज दो महीने में 20 किलो वजन कम कर लिया.

वजन कम करने के बाद नीरज चोपड़ा के सामने समस्या थी जेवलिन (भाला) खरीदने की. दरअसल उस समय एक अच्छी क्वालिटी की जेवलिन एक लाख रुपए से भी ज्यादा की आती थी, जोकि उनके परिवार के लिए खरीदना मुश्किल था. ऐसे में नीरज चोपड़ा ने 6-7 हजार रुपए की जेवलिन खरीदी और उससे प्रैक्टिस करने लगे. इसके बाद नीरज चोपड़ा ने दिन में 7-7 घंटे तक जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस की. इस तरह नीरज चोपड़ा एक बेहतरीन जेवलिन थ्रो खिलाड़ी बने.

नीरज चोपड़ा उपलब्धि (Neeraj Chopra Achievement)

  1. नीरज चोपड़ा ने सबसे पहले साल 2012 में लखनऊ में हुई अंडर-16 नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में 68.46 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता.
  2. साल 2013 में नीरज चोपड़ा नेशनल यूथ चैंपियनशिप में दूसरे स्थान पर रहे और IAAF वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में अपना स्थान पक्का किया.
  3. साल 2015 में नीरज चोपड़ा में इंटर-यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में 81.04 मीटर दूरी पर भाला फेंककर एज ग्रुप का रिकॉर्ड बनाया.
  4. इसके बाद साल 2016 में नीरज चोपड़ा में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंककर विश्वरिकॉर्ड बनाया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
  5. साल 2016 में हुए दक्षिण एशियाई खेलों में नीरज चोपड़ा ने 82.23 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
  6. नीरज ने 85.23 मीटर का भाला फेंककर 2017 के एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था.
  7. साल 2018 में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में नीरज चोपड़ा ने 86.47 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता.
  8. साल 2018 में ही जकार्ता एशियन गेम्स में नीरज चोपड़ा ने 88.06 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
  9. नीरज चोपड़ा एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय जेवलिन थ्रोअर हैं. इसके अलावा मिल्खा सिंह के बाद नीरज चोपड़ा दूसरे ऐसे भारतीय है, जिसने एक ही साल में कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता हो. मिल्खा सिंह ने यह कारनामा साल 1958 में किया था.
  10. नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में अपने पूल ए में अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो फेंककर फाइनल में जगह बनाई थी.
  11. इसके बाद फाइनल में भी 87.58 मीटर का बेहतरीन थ्रो फेंककर नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया.

नीरज चोपड़ा के बारे में अन्य जानकारी (information about Neeraj Chopra)

  1. नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर तैनात है.
  2. जूनियर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज चोपड़ा को भारतीय सेना में नायब सूबेदार नियुक्त किया गया था.
  3. अपने शानदार खेल की बदलौत ही नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) के लिए भी क्वालीफाई किया.
  4. नीरज चोपड़ा को अर्जुन पुरस्कार (2018) से सम्मानित किया जा चुका है.
  5. अगर नीरज चोपड़ा की नेट वर्थ (Neeraj Chopra net worth) की बात करे तो एक मीडिया वेबसाइट के अनुसार उनकी सम्पत्ति 1 मिलियन डॉलर से 5 मिलियन डॉलर (लगभग) होने का अनुमान है.

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2. रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya)

टोक्यो ओलंपिक में जीता – रजत पदक (Silver Medal)

खेल – कुश्ती (Wrestling)

अब हम बात करेंगे टोक्यो ओलंपिक में रजत मेडल जीतने वाले भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया के बारे में. रवि कुमार दहिया का जन्म 12 दिसंबर 1997 को हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव में हुआ था. रवि दहिया के पिता का नाम राकेश दहिया है. रवि दहिया का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता एक किसान थे, लेकिन उनके पास खुद की कोई जमीन नहीं थी. वह दूसरे के खेतों को किराए पर लेकर खेती करते थे.

रवि दहिया जिस क्षेत्र से आते हैं, वहीँ से फोगाट बहनें, बजरंग पुनिया, योगेश्वर दत्त जैसे दिग्गज रेसलर भी आते हैं. रवि दहिया भी रेसलिंग करना चाहते थे, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी. बावजूद इसके रवि दहिया के परिजनों ने उनका रेसलर बनने में पूरा सपोर्ट किया.

रवि दहिया ने पूरे देश में कुश्ती के स्कूल के तौर पर पहचाने जाने वाले दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में रेसलिंग की ट्रेनिंग ली है. यहां रवि दहिया ने सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त दिग्गज खिलाड़ियों को खेलते हुए देखा. छत्रसाल स्टेडियम में रेसलिंग की ट्रेनिंग लेकर रवि दहिया एक अंतराष्ट्रीय पहलवान बने. सतपाल सिंह और वीरेंद्र कुमार रवि दहिया के कोच है.

रवि कुमार दहिया उपलब्धियां (Ravi Kumar Dahiya Achievements)

  1. रवि कुमार दहिया ने साल 2015 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक जीता.
  2. साल 2017 में हुई सीनियर नेशनल्स गेम्स में रवि दहिया ने शानदार प्रदर्शन किया और सेमीफाइनल में पहुंचे, लेकिन चोट के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा.
  3. रवि दहिया ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में एशियन चैंपियन रीज़ा अत्रीनाघारची को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया था.
  4. साल 2018 में रवि दहिया ने अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक अपने नाम किया.
  5. साल 2021 में रवि दहिया ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में रजत मेडल जीता.

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3. मीराबाई चानू (Mirabai Chanu)

टोक्यो ओलंपिक में जीता – रजत पदक (Silver Medal)

खेल – वेटलिफ्टिंग (weightlifting)

भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है. मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को मणिपुर के इम्फाल पूर्व के नोंगपोक काकचिंग में एक हिंदू परिवार में (Mirabai Chanu religion) हुआ था. मीराबाई चानू का पूरा नाम सैखोम मीराबाई चानू है. मीराबाई चानू के परिवार में उनके माता-पिता और छह भाई-बहन है. मीराबाई चानू अपने भाई-बहनों में सबसे छोटी है. मीराबाई चानू के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी. यही कारण है कि वह अपने परिवार की मदद करने के लिए अपने भाई के साथ पहाड़ों पर लकड़ी बीनने के लिए जाती थी.

मीराबाई चानू को किसी समय तीरंदाजी का शौक था. वह तीरंदाजी में अपना करियर बनाना चाहती थी, लेकिन बाद में उनका झुकाव वेटलिफ्टिंग की ओर हो गया. इसके बाद मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में करियर बनाने का सोचा. मीराबाई चानू ने इम्फाल की वेटलिफ्टर कुंजरानी को प्रेरणा मानकर वेटलिफ्टिंग शुरू की.

मीराबाई चानू उपलब्धियां (Mirabai Chanu Achievements)

मीराबाई चानू ने महज 11 साल की उम्र में वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था. इसके बाद मीराबाई चानू ने 12 साल की उम्र में अंडर15 का खिताब जीत लिया था. मीराबाई चानू 17 साल की उम्र में जूनियर चैंपियन बन गई थी. मीराबाई चानू ने साल 2014  में ग्लासगो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता. साल 2016 के रियो ओलंपिक गेम्स में मीराबाई चानू ने जगह जरुर बनाई, लेकिन वह पदक नहीं जीत सकी.

मीराबाई चानू ने साल 2018 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में मीराबाई चानू ने गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा साल 2021 में ताशकंद में हुए एशियाई भारोत्तोलन चैंपियनशिप में मीराबाई चानू ने 119 किग्रा भार उठाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया. मीराबाई चानू ने 2021 के टोक्यो ओलंपिक में 49 किलोग्राम इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचा.

मीराबाई चानू  को मिले अवॉर्ड्स (Mirabai Chanu Awards)

मीराबाई चानू  को साल 2018 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया.

इसके अलावा मीराबाई चानू  को सर्वोच्च खेल अवॉर्ड राजीव गांधी खेल रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है.

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  1. बजरंग पूनिया (Bajrang Poonia)

टोक्यो ओलंपिक में जीता – कांस्य पदक (Bronze Medal)

खेल – कुश्ती (Wrestling)

भारत के प्रसिद्द फ्रीस्टाइल पहलवान और टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया का जन्म 26 फरवरी 1994 को हरियाणा के झाझर गाँव में हुआ था. बजरंग पूनिया के पिता का नाम बलवान सिंह पुनिया हैं. बजरंग पूनिया के माता का नाम ओमप्यारी है. बजरंग पूनिया के पिता बलवान सिंह पुनिया भी पेशेवर पहलवान रह चुके है. बजरंग पूनिया के भाई का नाम हरिंदर पुनिया हैं. बजरंग पूनिया की पत्नी (Bajrang Poonia Wife Name) का नाम संगीता फोगाट है. संगीता फोगाट भी पहलवान रह चुकी है. 25 नवंबर को बजरंग पूनिया और संगीता फोगाट शादी के बंधन में बंधे. संगीता द्रोणाचार्य अवॉर्डी महावीर फोगाट की बेटी हैं.

बजरंग पूनिया को कुश्ती विरासत में मिली है. उन्होंने महज 7 साल की उम्र में कुश्ती करना शुरू कर दिया था. बजरंग पूनिया के पिता भी पहलवान थे तो उन्होंने अपने बेटे के सपने को पूरा करने में बहुत सहयोग किया. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन बलवान सिंह पुनिया ने अपने बेटे को पहलवान बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. बजरंग पूनिया ने 14 साल की उम्र में अखाड़े में ट्रेनिंग करना शुरू की. इसके बाद उनकी मुलाकात ओलंपिक मेडलिस्ट योगेश्वर दत्त से हुई. योगेश्वर दत्त ने बजरंग पूनिया को कुश्ती के दाव पेच सीखाए.

बजरंग पूनिया उपलब्धियां (Bajrang Poonia Achievements)

बजरंग पूनिया ने सबसे पहले साल 2013 में दिल्ली में हुई एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में भाग लिया. हालाँकि इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बाद बजरंग पूनिया ने इसी साल बुडापेस्ट में हुई विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में 60 कि.ग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता. साल 2014 में बजरंग पूनिया ने ग्लासगो में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 61 कि.ग्रा वर्ग में रजत पदक जीता था. इसके अलावा इसी साल इनचियन में हुए एशियाई खेलों में रजत पदक जीता.

साल 2017 में दिल्ली में हुई एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में बजरंग पूनिया ने गोल्ड मेडल जीता. साल 2018 में बजरंग पूनिया ने राष्ट्रमंडल खेल में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. इसी साल एशियन गेम्स में एक बार फिर से गोल्ड मेडल अपने नाम किया. इसके बाद बजरंग पूनिया ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. साल 2019 के वर्ल्ड चैंपियनशिप में बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीतकर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया. टोक्यो ओलंपिक में भी बजरंग पुनिया ने शानदार प्रदर्शन किया और कांस्य पदक अपने नाम किया.

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  1. लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain)

टोक्यो ओलंपिक में जीता – कांस्य पदक (Bronze Medal)

खेल – मुक्केबाजी (Boxing)

भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहे ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया है. लवलीना बोरगोहेन का जन्म (Lovlina Borgohain date of birth) 2 अक्टूबर 1997 को असम में हुआ था. वे भारत के राज्य असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली हैं. और उनके पिता का नाम टिकेन और माता का नाम मामोनी बोरगोहेन है. लवलीना के पिता एक बिजनेसमैन हैं.

बॉक्सर लवलीना (Boxer Lovlina) के पिता ने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए शुरुआत से ही कई आर्थिक कठिनाइयों का भी सामना किया है. लवलीना की दो बड़ी जुड़वां बहनों लिचाऔर लीमा ने भी नेशनल लेवल पर किकबॉक्सिंग में पार्टिसिपेट किया लेकिन वे इसके आगे नहीं जा सकीं.

अपनी बहनों की तरह ही लवलीना बोरगोहेन ने भी अपना करियर किकबॉक्सिंग (Lovlina Borgohain Kick-Boxing) में ही शुरू किया था लेकिन समय के साथ उन्होंने बॉक्सिंग की दिशा में अपने कदम बढ़ाना शुरू कर दिया और आज एक सफल मुक्केबाज हैं.

भारतीय खेल प्राधिकरण (Sports Authority of India) के द्वारा लवलीना बोरगोहेन के हाई स्कूल बर्थ पर एक ट्रायल का आयोजन कराया गया और इसमें लवलीना ने भी भाग लिया. इस दौरान कोच पदम बोरो ने लवलीना को देखा और उनका चयन कर लिया. जिसके बाद लवलीना को मुख्य महिला कोच शिव सिंह ने प्रशिक्षण दिया.

साल 2018 के दौरान लवलीना बोरगोहेन को बड़ा मौका मिला जब उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में वेल्टरवेट बॉक्सिंग में भाग लिया था. हालाँकि वे क्वाटरफाइनल में हार गई थीं.

लवलीना का चयन 2018 के राष्ट्रमंडल खेलो में हुआ था और इसका परिणाम इंडियन ओपन में देखने को मिला. दरअसल इस वर्ष में फरवरी माह के दौरान अंतराष्ट्रीय मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप थी और यहाँ लवलीना ने वेल्टरवेट श्रेणी में गोल्ड मैडल जीता.

इसके बाद नवंबर 2017 के दौरान एशियाई मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में भी उन्उहोंने देश को कांस्य पदक दिलाया जबकि इसी वर्ष जून में अस्थाना में आयोजित प्रेसिडेंट्स कप में भी लवलीना को कांस्य के ही संतोष करना पड़ा.

साल 2018 के जून महीने में मंगोलिया में उलानबातर में लवलीना ने रजत पदक अपने नाम किया और सितम्बर महीने में 13वीं अन्तराष्ट्रीय सिलेसियन चैंपियनशिप (13th International Silesian Championship) में भी कांस्य पदक जीता. इस वर्ष के नवम्बर महीने में लवलीना ने कांस्य पदक जीता था.

साल 2020 के मार्च महीने के दौरान लवलीना बोरगोहेन ने एशिया/ओसनिया ओलंपिक क्वालीफ़ायर बॉक्सिंग टूर्नामेंट में जीत के साथ ही ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई किया. वे ऐसी पहली महिला खिलाड़ी बनी जिन्होंने ओलंपिक के लिए अपना स्थान सेव किया था.

इसी वर्ष यानि अक्टूबर 2020 के दौरान लवलीना बोरगोहेन को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया और वे नेशनल बॉक्सिंग टीम में शामिल होने से चूक गईं और साथ ही इटली की यात्रा से भी हाथधोना पड़ा.

लवलीना ने नई दिल्ली में आयोजित किए गए पहले इंडियन ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट (Lovlina Borgohain won gold medal in Indian Open International Boxing Tournament) में गोल्ड मैडल जीता था. इसके बाद दूसरे इंडियन ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में उन्होंने रजत पदक हासिल किया. शिव थापा के बाद असम से वे दूसरी बॉक्सर हैं जिन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया.

लवलीना ने साल 2021 में टोक्यो में हुए अपने पहले ही ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. विजेंद्र और मेरीकॉम के बाद लवलीना तीसरी मुक्केबाज है, जिसने ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता.

इसके साथ ही लवलीना असम की 6ठी व्यक्ति हैं जिन्हें अर्जुन अवार्ड (Lovlina Borgohain Arjun Award) से सम्मानित किया जा चुका है.

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  1. पीवी सिंधु (P V Sindhu)

टोक्यो ओलंपिक में जीता – कांस्य पदक (Bronze Medal)

खेल – बैडमिंटन (Badminton)

पीवी सिंधु एक भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी (P. V. Sindhu) हैं और इसके साथ ही ओलिंपिक गेम्स में महिला एकल बैडमिंटन में रजत पदक और कांस्य पदक हासिल करने वाली भी पहली प्लेयर हैं. पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया. इससे पहले पीवी सिंधु ने साल 2016 में हुए रियो ओलंपिक में रजत पदक अपने नाम किया था.

पीवी सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु (P. V. Sindhu/Pusarla Venkata Sindhu) है. पीवी सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 (P. V. Sindhu date of birth) में एक तेलुगु फैमिली में हुआ था. उनके पिता का नाम पीवी रमण और उनकी माता का नाम पी विजया है. सिंधु के माता और पिता दोनों ही वॉलीबॉल खिलाडी रहे हैं.

साल 2000 के दौरान पीवी रमण को अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था. माता-पिता के प्रोफेशनल वॉलीबॉल प्लेयर रहने के बावजूद भी पीवी सिंधु ने बैडमिंटन खेल को चुना और इस दिशा में ही अपना नाम बनाने का निर्णय लिया. पीवी सिंधु को सक्सेस का पाठ ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन पुल्लेला गोपीचंद से लिया था.

पीवी सिंधु (P. V. Sindhu) ने महज 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन (Badminton) खेलना शुरू कर दिया था. खेल की शुरुआत से ही सिंधु ने महबूब अली से प्रशिक्षण हासिल किया. इस दौरान उन्होंने बैडमिंटन के बारे में जरुरी जानकारियां इकट्ठा की और इसके बाद सिकंदराबाद के भारतीय रेल्वे इंस्टिट्यूट में ट्रेनिंग शुरु की.

यहाँ से ट्रेनिंग लेने के बाद पीवी सिंधु पुल्लेला गोपीचंद बैडमिंटन अकैडमी में शामिल हो गईं. वे यहाँ बैडमिंटन की प्रैक्टिस के साथ ही खेल को और भी बारीकी से सीख रही थीं. एक अख़बार से यह बात भी सामने आई कि पीवी सिंधु के घर से उनके ट्रेनिंग की जगह की दूरी 56 किलोमीटर के करीब थी.

पीवी सिंधु ने इस दूरी की परवाह करते बिना ही अपनी ट्रेनिंग जरी रखी और समय के साथ इस ट्रेनिंग को और भी कठिन बनाया. इस कठिन परिश्रम के कारण ही आज पीवी सिंधु इस मुकाम पर पहुंची हैं और भारत का नाम रोशन कर रही हैं.

8 साल की छोटी उम्र से बैडमिंटन की ट्रेनिंग लेने वाली पीवी सिंधु के गुरु महबूब अली (Mehboob Ali) उनसे काफी प्रभावित थे. महबूब अली पीवी सिंधु की बहुत तारीफ करते थे और हमेशा यह कहते थे कि एक दिन पीवी सिंधु भारत का नाम रोशन जरुर करेंगी.

साल 2009 तक पीवी सिंधु राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ही चुकी थीं. जिसके बाद इस साल के दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खुद के नाम के झंडे गाड़ना शुरू कर दिया था. साल 2009 में पीवी सिंधु सब जूनियर एश‍ियाई बैडमिंटन चैंपियनश‍िप में कांस्य पदक अपने नाम किया था.

कोलम्बो में हुए इस आयोजन के बाद साल 2010 के दौरान सिंधु ने ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में एकल वर्ग में रजत पदक हासिल किया था. इस साल में ही उन्होंने जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप (मेक्सिको) और थॉमस एंड यूबर कप में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया.

पीवी सिंधु ने साल 2016 के रियो ओलंपिक में रजत पदक हासिल किया. इसके बाद साल 2021 में हुए टोक्यो ओलंपिक में भी कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. पीवी सिंधु के अलावा भारत की ओर से सुशील कुमार ही ऐसे खिलाड़ी है, जिन्होंने दो ओलंपिक मेडल जीते है.

पीवी सिंधु के बारे में खास बातें : More about P. V. Sindhu :

  1. पीवी सिंधु की पढ़ाई गुंटुर से हुई है. उनकी उम्र 25 साल है और वे हैदराबाद में गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी में ट्रेनिंग लेती हैं.
  2. इसके साथ ही पीवी सिंधु ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट नामक एक नॉन-प्रोफिटटेबल संस्था का भी सपोर्ट करती है और इसे लिए काम भी करती हैं.
  3. पीवी सिंधु रोजाना सुबह 4.15 बजे उठकर बैडमिंटन की प्रैक्टिस शुरू कर देती हैं और अपने खेल को लेकर काफी सजग हैं.
  4. 2012 में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की टॉप-20 रैंकिंग में भी स्थान हासिल किया था.
  5. 10 अगस्त 2013 को पीवी सिंधु, पहली भारतीय महिला भी बनीं जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में मैडल अपने नाम किया था.
  6. साल 2015 के दौरान पीवी सिंधु को भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
  7. इसके बाद पीवी सिंधु ने साल 2014 में FICCI ब्रेकथ्रू स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर और एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर 2014 का अवार्ड भी अपने नाम किया.
  8. 7 जुलाई 2012 को पीवी सिंधु ने एशिया यूथ अंडर-19 चैम्पियनशिप में जीत हासिल की थी. उन्हें साल 2016 में गुवाहाटी दक्षिण एशियाई खेलों में गोल्ड मैडल भी मिला था.
  9. पीवी सिंधु ने साल 2013 और साल 2014 के दौरान लगातार विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था.

जानिए भारतीय महिला हॉकी की उन खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने ओलंपिक में रचा इतिहास

7. भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team)

टोक्यो ओलंपिक में जीता – कांस्य पदक (Bronze Medal)

खेल – हॉकी (Badminton)

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. 41 बाद यह मौका आया जब भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में मेडल जीता हो. इससे पहले साल 1980 में भारतीय हॉकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता था.

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