Lal Bahadur Shastri Biography – जन्म से लेकर रहस्यमयी मृत्यु तक, जानिए सब कुछ…

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Lal Bahadur Shastri Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम देश के पूर्व प्रधानमंत्री और महान स्वतंत्रता सेनानी लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) के बारे में बात करेंगे. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के आकस्मिक निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला था. लाल बहादुर शास्त्री को छोटे कद के मजबूत व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है. उनके नेतृत्व में ही साल 1965 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध के मैदान में शिकस्त दी थी. भारत को मजबूत बनाने के लिए लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय-जवान, जय-किसान’ का नारा दिया था, जो आज तक लोकप्रिय है.

दोस्तों लाल बहादुर शास्त्री कौन थे? (Who was Lal Bahadur Shastri?) यह तो हम सभी जानते ही है. आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि लाल बहादुर शास्त्री का जन्म कब और कहां हुआ था?, लाल बहादुर शास्त्री के कितने बेटे (lal bahadur shastri son) थे?, लाल बहादुर शास्त्री की बचपन की कहानी (Childhood Story of Lal Bahadur Shastri), लाल बहादुर शास्त्री के प्रेरक प्रसंग (Inspirational stories of Lal Bahadur Shastri), लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कब हुई? (When did Lal Bahadur Shastri die?), लाल बहादुर शास्त्री को किसने मारा था? (Who killed Lal Bahadur Shastri?) तो चलिए शुरू करते है लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय.

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लाल बहादुर शास्त्री जीवनी (Lal Bahadur Shastri Biography)

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तरप्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. वहीं लाल बहादुर शास्त्री की जाति (Lal Bahadur Shastri Caste) की बात करे तो बता दे कि लाल बहादुर शास्त्री का जन्म उत्तरप्रदेश के एक कायस्थ परिवार में हुआ था. लाल बहादुर शास्त्री का धर्म (Lal Bahadur Shastri Religion) हिन्दू था. लाल बहादुर शास्त्री को बचपन में सभी नन्हे कहकर बुलाते थे.

लाल बहादुर शास्त्री का परिवार (Lal Bahadur Shastri Family)

लाल बहादुर शास्त्री के पिता (Lal Bahadur Shastri Father) का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था. वह प्राथमिक शाला के अध्यापक थे और लोग उन्हें मुंशी कहते थे. लाल बहादुर शास्त्री की माता (Lal Bahadur Shastri Mother) का नाम राम दुलारी था. लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी (Lal Bahadur Shastri Wife) का नाम ललिता देवी थे. लाल बहादुर शास्त्री के 4 बेटे और 2 बेटियां थी. लाल बहादुर शास्त्री के बेटों के नाम हरि कृष्ण शास्त्री, अनिल शास्त्री ,सुनील शास्त्री, अशोक शास्त्री थे जबकि उनकी बेटियों के नाम कुसुम शास्त्री, सुमन शास्त्री थे.

लाल बहादुर शास्त्री का बचपन (Childhood of Lal Bahadur Shastri)

जब लाल बहादुर शास्त्री 2 साल के थे, तभी उनके पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव का निधन हो गया था. पति के निधन के बाद राम दुलारी अपने बच्चों को लेकर अपने पिता मुंशी हजारी लाल के पास मुगलसराय आ गई. लाल बहादुर शास्त्री का बचपन अपने नाना के घर पर ही बिता .

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लाल बहादुर शास्त्री की शिक्षा (Lal Bahadur Shastri Education )

लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी स्कूली शिक्षा अपने नाना के यहाँ रहते हुए पूरी की थी. इसके बाद आगे की शिक्षा हासिल करने के लिए लाल बहादुर शास्त्री अपने मामा का पास वाराणसी चले गए. वाराणसी में रहकर लाल बहादुर शास्त्री ने हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ से आगे की शिक्षा हासिल की. काशी विद्यापीठ से लाल बहादुर शास्त्री को शास्त्री की उपाधि मिली थी. यही कारण है कि उनके नाम के आगे से ‘श्रीवास्तव’ हटाकर ‘शास्त्री’ रख दिया गया.

लाल बहादुर शास्त्री का जीवन (Life of Lal Bahadur Shastri)

साल 1915 में छोटी सी उम्र में जब लाल बहादुर शास्त्री ने महात्मा गांधी के एक भाषण को सुना तो उन्होंने भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने का फैसला किया. साल 1921 में लाल बहादुर शास्त्री ने असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और ब्रिटिश सरकार का विरोध किया. इसके चलते उन्हें हिरासत में भी लिया गया, लेकिन नाबालिग होने के कारण पुलिस को उन्हें छोड़ना पड़ा.

साल 1928 में महात्मा गाँधी के कहने पर लाल बहादुर शास्त्री कांग्रेस में शामिल हो गए. साल 1930 में लाल बहादुर शास्त्री को कांग्रेस पार्टी की स्थानीय इकाई का सचिव बनाया गया. बाद में वह इलाहाबाद कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बने. लाल बहादुर शास्त्री ने साल 1930 में हुई ‘दांडी-यात्रा’ में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने घर-घर जाकर लोगों से अंग्रेजों को भू-राजस्व और करों का भुगतान न करने का आग्रह किया.

साल 1942 में जब महात्मा गाँधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया तो ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं को जेल में डाल दिया. इन नेताओं में लाल बहादुर शास्त्री भी थे. भारतीयों में उत्साह जगाने के लिए उस समय लाल बहादुर शास्त्री ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया था, हालांकि बाद में नारे को बदलकर उन्होंने ‘मरो नहीं मारो’ कर दिया. इस आन्दोलन के चलते लाल बहादुर शास्त्री को करीब एक साल तक जेल में रहना पड़ा.

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लाल बहादुर शास्त्री का राजनीतिक जीवन (Political Life of Lal Bahadur Shastri)

देश की आजादी के बाद जब गोविंद बल्लभ पंत को उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया तो लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें संसदीय सचिव नियुक्त किया गया. बाद में वह उत्तरप्रदेश के पुलिस विभाग और परिवहन मंत्री भी बने. आजाद भारत के पहले आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के महासचिव के रूप में लाल बहादुर शास्त्री ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यही कारण है कि साल 1952 में चुनाव के बाद नेहरु ने लाल बहादुर शास्त्री को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया. लाल बहादुर शास्त्री को रेल मंत्री बनाया गया. हालांकि बाद में एक रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री को देश का गृहमंत्री बनाया गया.

लाल बहादुर शास्त्री ने साल 1952, साल 1957 और साल 1962 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. साल 1964 में जब देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु का आकस्मिक निधन हो गया तो लाल बहादुर शास्त्री की काबिलियत को देखते हुए उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनाया गया. लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बने हुए साल ही हुआ था कि साल 1965 में पाकिस्तान ने अचानक भारत पर हमला बोल दिया. इन विपरीत परिस्थियों में लाल बहादुर शास्त्री ने सफलतापूर्वक देश का नेतृत्व किया. उन्होंने लोगों में जोश भरने के लिए ‘जय-जवान, जय-किसान’ का नारा भी दिया. इससे देश में एकता आई और भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया. भारत ने पाकिस्तान के एक बड़े भाग को अपने कब्जे में ले लिया.

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लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु (Lal Bahadur Shastri’s death)

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध खत्म होने के बाद दोनों देशों के बीच समझौता करवाने के लिए सोवियत संघ आगे आया. इसके लिए दोनों देश के प्रधानमंत्रियों की ताशकंद में एक बैठक हुई. ताशकंद पर उस समय सोवियत संघ का कब्जा था. इस समझौते में लाल बहादुर शास्त्री ने पाकिस्तान को हाजी पीर और ठिथवाल वापस कर दिया. कहा जाता है कि इस समझौते के बाद जब लाल बहादुर शास्त्री ने अपने घर फ़ोन लगाया तो उनकी बेटी ने फ़ोन उठाया और उन्हें बताया कि, ‘पाकिस्तान को हाजी पीर और ठिथवाल वापस देने से अम्मा बहुत नाराज है.’

अपनी बेटी की बात सुनकर लाल बहादुर शास्त्री को पहली बार लगा कि उन्होंने कुछ गलत फैसला ले लिया है. इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने अपने सचिव वैंकटरमन को कहा कि वह पता लगाए कि इस समझौते को लेकर भारत में कैसी प्रतिक्रिया है. वैंकटरमन ने कुछ देर बाद लाल बहादुर शास्त्री को बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी और कृष्ण मेनन ने उनके इस फैसले की आलोचना की है. इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री अपने फैसले को लेकर चिंतित हो गए और वह खाना खाकर अपने कमरे में सोने चले गए.

भारत-पाक समझौते के कुछ घंटों बाद ही 11 जनवरी 1966 को रात करीब 1:30 बजे ताशकंद में ही लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया. इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री के पार्थिव शरीर को भारत लाया गया. लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु को सबसे पहले कहा गया कि तनाव होने के कारण उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन उनके शव के भारत पहुँचने के बाद उनके परिवार ने आरोप लगाया था कि शास्त्री जी की मृत्यु हार्ट अटैक से नहीं हुई थी. उनका शरीर नीला पड़ गया था. उनके शरीर पर कुछ जगह चोट के निशान थे. आशंका जताई जाती है कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था क्यों कि सिर्फ उसी दिन उनका खाना उनके निजी सहायक रामनाथ ने नहीं बल्कि सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टीएन कौल के कुक जान मोहम्मद ने पकाया था. उसके बाद से आज तक लाल बहादुर शास्त्री की मौत एक रहस्य ही बनी हुई है.

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लाल बहादुर शास्त्री के विचार ( Lal Bahadur Shastri Thought)

  1. लोगों को सच्‍चा लोकतंत्र और स्‍वराज कभी भी हिंसा और असत्‍य से प्राप्‍त नहीं हो सकता.
  2. कानून का सम्‍मान किया जाना चाहिए, ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे.
  3. यदि कोई भी व्‍यक्ति ऐसा रह गया, जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाता है, तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा.
  4. हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे सामने ज़रूरी काम है, लोगों में एकता और एकजुटता स्‍थापित करना.
  5. “जय जवान, जय किसान”

लाल बहादुर शास्त्री की प्रेरणात्मक कहानियां (Inspirational Stories of Lal Bahadur Shastri)

एक बार लाल बहादुर शास्त्री एक कपडे की मिल देखने गए थे. यहाँ उन्होंने मिल मालिक से साड़ियाँ दिखाने के लिए कहा. इस पर मिल मालिक ने उनके एक से बढ़कर एक साड़ियाँ दिखाई. जब शास्त्री जी ने मिल मालिक से साड़ियों का दाम पूछा तो मिल मालिक ने 800 से 1000 रूपए के करीब बताया. इस पर शास्त्री जी ने कहा कि यह बहुत महंगी है, मैं गरीब आदमी हूँ, आप मुझे मेरी हैसियत के हिसाब से साड़ियाँ दिखाएँ. इस पर मिल मालिक ने कहा कि, ‘आप देश के प्रधानमंत्री है. आप गरीब कैसे हो सकते है. यह साड़ियाँ हम आपको भेंट करना चाहते है.’ इस पर शास्त्री जी ने कहा कि, ‘हाँ मैं प्रधानमंत्री हूँ, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं अपनी पत्नी को भेंट लेकर साड़ियाँ पहनाऊ. मैं भले ही प्रधानमंत्री हूँ, लेकिन मैं हूँ तो गरीब. आप मुझे सस्ती साड़ियाँ दिखाएँ.’ इसके बाद मिल मालिक ने उन्हें सस्ती साड़ियाँ दिखाई, जिसके बाद शास्त्री जी ने पैसे देकर साड़ियाँ खरीदी.

एक बार लाल बहादुर शास्त्री रेल की एसी बोगी में सफ़र कर रहे थे. इस दौरान वह यात्रियों की समस्या जानने के लिए थर्ड क्लास बोगी में चले गए. यहाँ उन्होंने गर्मी से परेशान यात्रियों को देखकर जनरल बोगियों में पहली बार पंखा लगवाने और साथ ही पैंट्री की सुविधा भी शुरू करवाई.

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लाल बहादुर शास्त्री अपने बचपन में रोजाना नदी में तैरकर स्कूल जाते थे. उनके घर और स्कूल के बीच एक नदी थी और नदी पर कोई पुल नहीं था. ऐसे में उन्हें पढाई करने के लिए रोजाना तैरकर नदी पार करना पड़ती थी. एक बार उन्होंने अपने दोस्त को भी नदी में डूबने से बचाया था.

बताया जाता है कि शास्त्री जी फटे कपड़ों से बाद में रूमाल बनवाते थे औऱ फटे कुर्तों को कोट के नीचे पहनते थे. इस पर जब उनकी पत्नी ने उन्हें टोका तो उनका कहना था कि देश में बहुत ऐसे लोग हैं, जो इसी तरह गुजारा करते हैं.

लाल बहादुर शास्त्री किसी भी प्रोग्राम में VVIP की तरह नहीं, बल्कि आम आदमी की तरह जाना पसंद करते थे. कई बार इवेंट ऑर्गनाइजर उनके लिए तरह-तरह के पकवान बनवाते तो वे उन्हें समझाते थे कि गरीब आदमी भूखा सोया होगा और मै मंत्री होकर पकवान खाऊं, ये अच्छा नहीं लगता. दोपहर के खाने में वे अक्सर सब्जी-रोटी खाते थे.

बतौर रेल मंत्री एक बार शास्त्री जी किसी कार्यक्रम के जा रहे थे. इस दौरान उनके एक सहयोगी ने उन्हें बताया कि आपका कुर्ता फटा हुआ है. इस पर शास्त्री जी ने कहा कि, ‘गरीब का बेटा हूं. ऐसे रहूंगा, तभी गरीब का दर्द समझ सकूंगा.’

शास्त्री जी ने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देशवासियों से अपील की थी कि अन्न संकट से उबरने के लिए सभी देशवासी सप्ताह में एक दिन का व्रत रखें. उनके अपील पर देशवासियों ने सोमवार को व्रत रखना शुरू कर दिया था.

हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज में पढ़ाई करने के दौरान एक बार गलती करने पर शास्त्री जी को स्कूल के चपरासी ने थप्पड़ मार दिया था. रेल मंत्री बनने के बाद शास्त्री जी जब वापस अपने स्कूल गए तो चपरासी उन्हें देखकर दूर हो गया, लेकिन शास्त्री जी ने उसे पहचान लिया और अपने पास बुलाकर गले लगा लिया.

एक बार प्रधानमंत्री बनने के बाद लाल बहादुर शास्त्री वाराणसी में अपने घर जाना चाहते थे. लेकिन जब उन्हें पता चला कि उन्हें घर जाने वाली गलियां काफी संकरी है और पुलिस गलियों को चौड़ा करने के लिए लोगों के घर तोड़ने वाली है तो लाल बहादुर शास्त्री ने तत्काल खबर भेजी कि गली को चौड़ा करने के लिए किसी भी मकान को तोड़ा न जाए. मैं पैदल घर जाऊंगा.

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